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Friday, November 15, 2024

भारत सनातन की भूमि है, सनातन सभी को समाहित करता है-उपराष्ट्रपति

  • सनातन राष्ट्रधर्म, भारतीयता का प्रतिबिंब है; सनातन को चुनौती असहनीय –उपराष्ट्रपति
  • सांस्कृतिक जड़ें वर्तमान और भविष्य के निर्माण का आधार- उपराष्ट्रपति
  • स्वदेशी अपनाएं, स्वदेशी जागरण समृद्धि का मार्ग है - उपराष्ट्रपति
  • सामाजिक समरसता हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग- उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति ने वाराणसी में देव दीपावली के अवसर पर ‘नमो घाट’ का लोकार्पण किया 

वाराणसी:
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वाराणसी में देव दीपावली के भव्य समारोह में अपने सम्बोधन में ज़ोर देते हुए कहा कि, “भारत सनातन की भूमि है। काशी इसका केंद्र। सनातन में विश्व शांति का संदेश। सनातन सभी को समाहित करता है। सनातन विभाजनकारी ताकतों का विरोध करता है।”

उपराष्ट्रपति ने वाराणसी में आयोजित देव दीपावली के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और ‘नमो घाट’ का लोकार्पण किया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी सहित अन्य गढ़मान्य भी मौजूद थे। 


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में सनातन को भारत की आत्मा बताते हुए उन्होंने कहा कि सनातन राष्ट्र धर्म, भारतीयता का प्रतिबिंब है और सनातन हमको एक सीख देता है, दृढ़ रहने की, एक रहने की, मजबूत रहने की। और आज के समय में चुनौतियों को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है कि सनातन की मूल भावना में हमारा विश्वास हो। सनातन भारत की आत्मा है और सनातन को चुनौती असहनीय है।

संस्कृति और विरासत के संरक्षण पर ज़ोर देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें ये याद रखना चाहिए की हमारी सांस्कृतिक जड़ें ही हमारे वर्त्तमान और भविष्य का निर्माण करती हैं और सांस्कृतिक जड़ें बहुत जरूरी होती हैं, हमें जीवंत रखती हैं।  

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “अपना भारत बदल रहा है। अकल्पनीय तरीके से बदल रहा है। जो सोचा नहीं था, वह देश में संभव हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी की तपस्या से जो बदलाव हो रहा है, उसने दुनिया को अचंभित कर दिया है। जल हो, थल हो, आकाश हो, अंतरिक्ष हो, भारत की बुलंदियों को दुनिया सराह रही है। हमारी जो सांस्कृतिक विरासत है, जो दुनिया में अनूठी है और 5000 साल से अधिक पुरानी है, उसका संरक्षण और उसका सृजन जिस प्रकार हो रहा है, वह देखने लायक है।


स्वदेशी जागरण के महत्व पर प्रकाश डालिए हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “ स्वदेशी का भाव अपने में जागृत करें। स्वदेशी हमारी आजादी का विशेष अंग रहा है। यहाँ देखिए स्वदेशी दीप देश की मिट्टी, तेल और रुई का प्रतीक है। एक दीप से अनेक दीप, स्वदेशी भाव का जागरण और प्रसार।  स्वदेशी जागरण समृद्धि का मार्ग है।  इसके नतीजे क्या होते हैं -  आत्मनिर्भरता, विदेशी मुद्रा का बचाव और स्वदेशी रोजगार का फैलाव। इसमें हर व्यक्ति योगदान कर सकता है।”

सामाजिक समरसता को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ सामाजिक समरसता हमारे सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहा है। इस देश में कभी भी किसी ने आक्रमण की नहीं सोची है। आक्रमणकारियों को हमने समाहित किया है । हमारी संस्कृति हमें प्रेरणा देती है सभी को साथ लेकर चलें। भारत सामाजिक समरसता की नींव है। दुनिया को बड़ा संदेश देती है। मानवता का सबसे बड़ा धर्म क्या है? सामाजिक समरसता होनी चाहिए। हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, मनभेद कम से कम होने चाहिए ……..पर जब राष्ट्र हित के मामले में हम कुछ लोगों को देखते हैं कि वो इसको सर्वोपरि नहीं रखते हैं, तो देश में चुनौती का वातारण बनता है। उस वातावरण के प्रति सजग रहने के लिए हमारी सांस्कृतिक माला जो है, हम सबको उसी का हिस्सा रहना है। मैं आपसे आग्रह करूंगा और हमारी संस्कृति की ये बेमिसाल पूंजी है, सौहार्द पूर्ण संवाद रखिए। परिजनों से संपर्क रखे, जहां भी रहते हैं आस पड़ोस का ध्यान  रखें।

Friday, June 21, 2024

हृदय में स्पष्टता है तो मन में भी स्पष्टता होगी - हार्टफुलनेस

चिरईगांव: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर विकास खंड के ग्रामसभा उमरहां के पंचायत भवन पर ग्राम प्रधान उदल पटेल के सहयोग से हार्टफुलनेस प्रशिक्षक सुनील कुमार "योगी" द्वारा एक दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षक द्वारा आसन, प्राणायाम के साथ हार्टफुलनेस ध्यान कराया। 


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प्रशिक्षक सुनील कुमार ने बताया की हार्टफुलनेस हृदय पर केन्द्रित होकर जीने की एक जीवनशैली है जिसमे हम हर पल अपने हृदय का अनुसरण करते है। इस आध्यात्मिक अभ्यास के द्वारा आप हर क्षण जागृत और परिष्कृत हो चुके हृदय के गुणों और भावो के साथ स्वाभाविक रूप से जीना सीखते है। इसके गुण है सरलता, विनम्रता, पवित्रता, करुणा, ईमानदारी, संतोष, सच्चाई, क्षमा, उदारता, स्वीकार्यता और हृदय का मौलिक गुण प्रेम। पहले दिन से ही हार्टफुलनेस के इन अभ्यासो से हमारे भीतर ये गुण प्रकट होने लगते है।

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उन्होंने बताया कि हार्टफुलनेस जीवनशैली चार मूलभूत अभ्यासों पर आधारित है - रिलेक्सेशन, ध्यान, सफाई और प्रार्थना जिन्हे सीख कर हम अपने जीवन में शामिल कर सकते है । ये अभ्यास अपने आप में अनोखा है जिसमे यौगिक प्राणाहुति की सहायता से क्रमिक विकास के प्रति हमारा दृष्टिकोण अत्यंत जीवंत हो उठता है। हमारा ह्रदय हमारा जमीर है। यह हर क्षण हमारा मार्गदर्शन करता है। हमारे विचारों और भावनाओं की जड़े हृदय में होती है और उसी प्रकार हमारे हृदय की दशा हमारी मानसिक,भावनात्मक और आध्यात्मिक अवस्थाओं का निर्धारण करती है। यदि हृदय में स्पष्टता है तो मन में भी स्पष्टता होगी। जब हृदय में शांति होगी तो मन भी स्थिर रहेगा।

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कार्यक्रम में संगीता सिंह (प्रधान अध्यापिका प्राथमिक विद्यालय उमरहा), नवनीत श्रीवास्तव (पूर्व सांसद प्रतिनिधि), राकेश (बुनकर विभाग क्लस्टर चिरईगांव), रविन्द्र कुमार (सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय), रमेश राम, सानिया बानो, तरन्नुम, सरवरे आलम, रुकसाना बेगम, सायदा, ग़नेश प्रसाद इत्यादि उपस्थित रहे।

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