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Wednesday, March 26, 2025

जनपक्षधर पत्रकारिता और डिजिटल सेंसरशिप

प्रोफेसर राहुल सिंह अध्यक्ष  उत्तर प्रदेश वाणिज्य परिषद की कलम से

पत्रकारिता को दिन-ब-दिन मुश्किल बनाया जा रहा है। अख़बारों और टीवी चैनलों की धूर्तता अब किसी से छिपी नहीं है, लेकिन AI टूल्स, गूगल, फेसबुक, यूट्यूब और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स भी आपकी आवाज़ को अपने तरीक़े से दबाने का काम कर रहे हैं। यह सेंसरशिप इतनी बारीक और पेचीदा होती है कि अक्सर हमें इसका एहसास तक नहीं होता। मैंने यूट्यूब पर काम कर रहे कुछ सफल और कुछ असफल लोगों के कंटेंट का जायज़ा लिया। इसमें मैंने पाया कि सोशल मीडिया आपको कुछ ख़ास मुद्दों पर और एक ख़ास ढंग से काम करने के लिए प्रेरित करता है। अगर आप इन संकेतों को नज़रअंदाज़ कर जनपक्षधर पत्रकारिता करने की कोशिश करते हैं, तो आपको अलग-अलग तरीक़ों से रोका जाता है।


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सबसे आसान तरीका यह है कि आपकी आवाज़ को उन्हीं लोगों तक सीमित कर दिया जाए, जो पहले से आपकी बातों से सहमत हैं। यह काम इतनी ख़ामोशी से किया जाता है कि आपको अंदाजा भी नहीं होता कि आपकी पहुँच पर रोक लगाई जा चुकी है। दूसरा तरीका आपके अकाउंट को अस्थायी या स्थायी रूप से बंद करना है। हालाँकि, अब यह तरीका कम अपनाया जाता है; इसकी जगह आपकी रीच को कम कर दिया जाता है, जिससे आपके वीडियो या लेख ज़्यादा लोगों तक नहीं पहुँचते। AI टूल्स और गूगल सर्च भी आपकी अभिव्यक्ति को अपने हिसाब से नियंत्रित करते हैं। कई बार जब आप किसी संवेदनशील मुद्दे पर सर्च करते हैं, तो आपको मुख्यधारा की मीडिया से हटकर जानकारी नहीं मिलती। मसलन, अगर आप गूगल पर “भारत में मुसलमान विरोधी सांप्रदायिक हिंसा” खोजते हैं, तो हो सकता है कि आपको वह रिपोर्ट न मिले जो निष्पक्ष दृष्टिकोण से तैयार की गई हो। इसके बजाय, सर्च रिज़ल्ट में मुसलमानों को ही दंगाई के रूप में पेश करने वाली खबरें ज़्यादा दिखाई दें, जबकि हिंदू अतिवादियों की हकीकत को बड़े ही सलीक़े से छिपा दिया जाए।

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इसी तरह, अगर आप OpenAI या अन्य AI चैटबॉट्स से इज़राइल-फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर निष्पक्ष जानकारी माँगते हैं, तो आपको गोलमोल जवाब मिलेंगे। कभी-कभी ये टूल्स आपको पूरी तरह भटका देते हैं, और अगर आपकी सियासी समझ गहरी नहीं है, तो आप इस भटकाव के शिकार भी हो सकते हैं। आज की डिजिटल दुनिया में निष्पक्ष और जनपक्षधर पत्रकारिता के लिए जगह तेज़ी से सिकुड़ती जा रही है। मुख्यधारा की मीडिया कॉर्पोरेट और सत्ता प्रतिष्ठानों के दबाव में काम करती है, जबकि डिजिटल मीडिया भी अपने एल्गोरिदम के ज़रिए यह तय करता है कि कौन-सी जानकारी को ज़्यादा फैलाया जाए और कौन-सी दबा दी जाए। अब सूचना महज़ सूचना नहीं रही, बल्कि एक टूल, एक हथियार बन चुकी है। सूचना का सही इस्तेमाल सत्ता बना और बिगाड़ सकता है, तो इसके ज़रिए किसी समाज में अमन और शांति भी क़ायम की जा सकती है।

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डिजिटल मार्केटिंग आज पूरी तरह आपसे छीनी गई या चोरी की गई सूचनाओं पर निर्भर है। आपके मोबाइल में कम से कम दो दर्जन ऐप होंगे, जिनको आपने अपने कॉन्टैक्ट्स, मीडिया फाइल्स, माइक्रोफोन और कैमरे तक पहुँच की अनुमति दे रखी है। यानी यह छोटा-सा मोबाइल आपकी इतनी ख़ामोशी से जासूसी कर रहा है कि अगर यही काम इंसानों से करवाया जाए, तो एक शख़्स की निगरानी पर लाखों रुपये खर्च होंगे। सोचिए, आपकी उँगलियाँ जो इस वक़्त कीबोर्ड पर चल रही हैं, उनकी हर हरकत दुनिया के कई हिस्सों में रिकॉर्ड हो रही है। आपकी पसंद, नापसंद, विचारधारा और यहाँ तक कि आपकी सियासी सोच भी कहीं न कहीं दर्ज हो रही है। ये डेटा सिर्फ़ विज्ञापन कंपनियों के लिए नहीं, बल्कि सरकारों और ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए भी बेहद क़ीमती होता है।

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अगर आप समझते हैं कि पत्रकारिता सिर्फ़ सच को सामने लाने का नाम है, तो आप ग़लत हैं। आज पत्रकारिता एक ख़तरनाक पेशा बन चुका है, ख़ासतौर पर अगर आप सत्ता और कॉर्पोरेट के ख़िलाफ़ लिखते हैं। ग़ाज़ा में 120 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि वे वह सच दिखा रहे थे जिसे कुछ ताक़तें छिपाना चाहती थीं। हमारे देश में भी पत्रकारों की हत्या अब आम बात हो गई है। सबसे आसान तरीका है कि पत्रकारों पर फ़र्ज़ी मुक़दमे कर दिए जाएँ। भले ही वे बाद में बरी हो जाएँ, लेकिन मुक़दमे की दौड़-धूप में उनकी सामाजिक, आर्थिक और मानसिक हालत इतनी ख़राब हो जाती है कि वह दोबारा उठ भी नहीं पाते। हाल ही में नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर मेरी एक वीडियो रिपोर्ट पर एक व्यक्ति ने धमकी दी कि अगर मैं इस तरह की रिपोर्टिंग जारी रखता हूँ, तो वह पुलिस में शिकायत करेगा। जबकि उस वीडियो में सिर्फ़ तथ्य पेश किए गए थे और उन्हीं का विश्लेषण किया गया था। सोचिए, ये कौन लोग हैं जो सच सामने लाने वालों को डराने की कोशिश कर रहे हैं?

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ऐसे हालात में स्वतंत्र पत्रकारों और वैकल्पिक मीडिया संस्थानों के लिए चुनौतियाँ और भी बढ़ जाती हैं। सोशल मीडिया पर बने रहना मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि जिन मुद्दों को मुख्यधारा की मीडिया नज़रअंदाज़ करती है, उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म भी दबाने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया का अपना महत्व है, लेकिन इन पर पूरी तरह निर्भर रहना बेहद जोखिम भरा हो सकता है। अगर हम निष्पक्ष और जनपक्षधर पत्रकारिता को ज़िंदा रखना चाहते हैं, तो हमें नए विकल्पों की तलाश करनी होगी। स्वतंत्र वेबसाइटें, वैकल्पिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और प्रत्यक्ष संवाद के ज़रिए लोगों तक सही जानकारी पहुँचाने की कोशिश करनी होगी। पत्रकारिता को सिर्फ़ बाज़ार और सत्ता के चश्मे से देखने के बजाय, इसे समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ बनाना ही असली चुनौती है। आने वाले वक़्त में हमें डिजिटल निगरानी और सेंसरशिप से निपटने के नए तरीक़े विकसित करने होंगे। अगर हम अपनी निजता और अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाना चाहते हैं, तो हमें इस लड़ाई को सिर्फ़ सोशल मीडिया तक सीमित रखने के बजाय ज़मीन पर भी लड़ना होगा। पत्रकारिता को बचाने के लिए ज़रूरी है कि हम सच के साथ खड़े हों, चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों।

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“जो लिखेंगे सच, वो सताए जाएँगे, जो बोलेंगे हक़, वो दबाए जाएँगे

लेकिन मिटेगा नहीं हौसला सच का, हर दौर में, दीए जलाए जाएँगे।”

Sunday, March 23, 2025

यूपी के सहारनपुर में बीजेपी नेता ने पत्नी और तीन बच्चों को मारी गोली, खुद पुलिस को दी जानकारी

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के गंगोह कस्बे में एक दर्दनाक हत्याकांड सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष योगेश रोहिला ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों को गोली मार दी। इस वारदात में 11 साल की बेटी श्रद्धा, 6 साल का बेटा देवांश और 4 साल का बेटा शिवांश की मौत हो गई, जबकि पत्नी नेहा (31) गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। इस खौफनाक घटना के बाद, आरोपी योगेश रोहिला ने खुद पुलिस को फोन कर बताया, "मैंने अपनी पत्नी और बच्चों को गोली मार दी है।" इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।


जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर 2 से 3 बजे के बीच, योगेश रोहिला ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से अपनी पत्नी और बच्चों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। गोलियों की आवाज सुनकर पड़ोसी दौड़कर मौके पर पहुंचे, जहां पत्नी और तीनों बच्चे खून से लथपथ पड़े थे। योगेश रोहिला मौके पर ही मौजूद था और भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन गुस्साई भीड़ ने उसे पकड़कर उसकी पिटाई कर दी। इसके बाद ग्रामीणों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि योगेश रोहिला को अपनी पत्नी के चरित्र पर शक था। इसी शक के चलते उसने यह खौफनाक कदम उठाया। पुलिस ने आरोपी योगेश रोहिला को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही हत्या में इस्तेमाल की गई लाइसेंसी पिस्टल जब्त कर ली गई है। तो वही पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस इस हत्याकांड के पीछे के असली कारणों की गहराई से जांच कर रही है।

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इस हत्याकांड से गंगोह कस्बे के लोग सदमे में हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, योगेश रोहिला को एक सुलझे हुए व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, लेकिन उसने ऐसा जघन्य अपराध क्यों किया, यह किसी को समझ नहीं आ रहा।

Friday, March 07, 2025

महाकुंभ-2025: कुंभ का आर्थिक और राजनीतिक शास्त्र

प्रो. राहुल सिंह की कलम से

महाकुंभ मेले का 45 दिन बाद महाशिवरात्रि स्नान के बाद समापन हो गया। सरकार की तरफ से आंकड़े दिए जा रहे हैं कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 66 करोड़ 30 लाख से आधिक लोगों ने स्नान किया। एक तरफ तो पूंजीपतियों के नुमाइंदे यह बोल रहे हैं कि देश की तरक्की के लिए सप्ताह में ‘70 घंटे और 90 घंटे’ काम करने की जरूरत है, दूसरी तरफ देश की करीब आधी जनसंख्या के पास इतना समय है कि वह कुंभ मेले में स्नान के लिए जाती है। यह भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।


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हम देख रहे हैं कि कई युवा-युवतियां जो कि आईआईटी किये हुए है, वो भी साधु बनने आ रहे हैं और साधु लोग सांसद, विधायक, मंत्री बन रहे हैं। आईआईटी छात्र को उनके घर वाले और कई साधु संत भी विक्षिप्त बता रहे हैं। अगर इस देश का युवा वर्ग पढ़-लिख कर विक्षिप्त की हालत में जी रहा है, तो उस देश का भविष्य क्या होगा! प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नााथ यह कहते हुए कि ‘‘जो दुर्भावना से जायेंगे उसकी दुर्गति तय है,’’ भक्तों पर ही सवाल खड़े कर देते हैं। प्रशासन भीड़ को सम्हालने के लिए स्टेशन बंद कर देती है, कई किलोमीटर दूर गाड़ियों की आवाजाही रोक दी जाती है। उससे परेशान श्रद्धालुओं के नियति पर ही प्रदेश के मुख्यमंत्री सवाल खड़े करते हैं।

मुख्यमंत्री के अनुसर भगदड़ में मरे या घायल लोगों के लिए वह स्वयं के दोषी हैं, क्योंकि उनकी भावना अच्छी नहीं थी,  जिसके कारण वे भगदड़ में दब गये। भगदड़ में मरने वालों की संख्या बताने में प्रशासन को घंटों लग गये, जबकि करोड़ों की भीड़ को कुछ ही घंटे में प्रशासन बता देती है। योगी की बातों को आगे बढ़ाया जाए तो दिल्ली के प्लेटफार्म पर मरने वाले लोगों की नीयत और खराब होगी, जो कि संगम तक नहीं पहुंच सके। उस छात्र को क्या कहा जाए जो परीक्षा देने के लिए बंगलौर जा रहा था और दिल्ली के भगदड़ में उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके नीयत में खोट है या उस सरकार की नियत खोटी है, जो भगदड़ का वीडियो और फोटो सोशल साईट से हटवा रही है? उस सरकार-प्रशासन को किया कहा जाये, जो महाकुंभ में अमृत स्नान की घोषणा कर देती है और पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पाती है और ट्रेनें कई घंटे देर से चलाई जाती है।  

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17 फरवरी को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंप कर बताया कि पानी में फेकल कोलीफॉर्म (मल-मूत्र से उपजी गंदगी) की मात्रा 13 गुना ज्यादा है, जिससे महाकुंभ का पानी नहाने योग्य और आचमन करने लायक नहीं है। मुख्यमंत्री योगी ने रिपोर्ट को खंडन करते हुए संगम के पानी को पीने योग्य बताया। योगी के इस बयान पर सिंगर और संगीतकार विशाल ददलानी ने इंस्टाग्राम पर योगी जी को चुनौती देते हुए लिखा कि आप कैमरे के सामने एक घूंट पानी पीकर दिखा दें। 29 जनवरी की रात विपक्षी दलों ने भगदड़ में मरने वालों की संख्या को भी छुपाने का आरोप सरकार पर लगाया। इसके जवाब में विधान सभा में बोलते हुए योगी ने कहा कि ‘‘समाजवादी और वामपंथियों की सनतान की सुंदरता कैसे नजर आएगी।’’

कुंभ में भगदड़ और प्रशासन

बीबीसी संवाददाता विकास पांडे ने बताया कि ‘‘मैं मेले के मुख्य एंट्री गेट पर हूँ, जहां से अब भी लाखों लोगों का कुंभ मेले में जाना जारी है। इसी दौरान कुंभ क्षेत्र से एम्बुलेंस का जाना जारी है। प्रशासन ने घायलों और मृतकों का कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है।’’ सुमेधा पाल से बातचीत में एक पीड़ित महिला ने बताया कि भगदड़ में वो गिर गई थीं और उनके नीचे तीन लोग दबे थे, जिनकी मौत हुई है। एक श्रद्धालु ने विकास पांडे से बात की, जिन्होंने बताया कि सुबह आठ बजे से वो चले जा रहे हैं और उनको पुलिसकर्मी सही पता नहीं बता रहे हैं। स्टेशन से लेकर अब तक ग़लत रास्ते बताए जा रहे हैं। बीबीसी से आएशा मिश्रा नामक एक श्रद्धालु ने बुधवार तड़के गंगा घाट का हाल बताते हुए कहा कि ’एक ही रास्ते से लोग आ और जा रहे हैं, इस दौरान धक्का-मुक्की की वजह से लोग गिर जा रहे हैं। पुलिस या तो घाट पर है या द्वार पर है, बीच में कहीं पुलिस नहीं है।

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वैभव कृष्ण (डीआईजी, महाकुंभ नगर मेला क्षेत्र) ने बुधवार शाम को पत्रकारों को बताया कि संगम नोज घाट पर मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई है, जिसमें से 25 की शिनाख्त कर ली गई है। उन्होंने बताया कि 60 लोग घायल हुए हैं, जिनका अस्पतालों में उपचार किया जा रहा है। बीबीसी ने लिखा है कि चश्मदीदों की मानें तो और दो जगहों पर ऐसे हालात बने. इसमें लोगों की जान भी गई। प्रशासन का कहना है कि 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन संगम नोज़ के अलावा जिन दूसरी जगहों पर हादसे और मौतें होने के दावे किये जा रहे हैं, उनकी पुष्टि और जाँच की जा रही है। अर्पित महाराज बताते हैं, “लोग प्यास के मारे तड़प रहे थे। पानी पिला दो, एक घूँट पानी दे दो। चारों तरफ़ से लोग आ गए। इधर झूँसी से रास्ता उतर रहा है, वहाँ से लोग आ गए। उधर शास्त्री पुल से उतर कर लोग आ गए, इधर पीछे से यहाँ लोग आ गए, एकदम कसाकसी हो गई“। दास धर्म शिविर को जब बेहाल भीड़ के लिए खोला गया तो कुछ मिनट में ही कई हज़ार लोग इसमें घुस गए।

अर्पित महाराज कहते हैं, “एक महिला ने अपना बच्चा फेंकते हुए कहा- गुरुजी, मेरे बच्चे को बचा लीजिए। उन मुश्किल हालात में हमने सैकड़ों लोगों की मदद की“। दास शिविर में सेवा कर रहे अशोक त्यागी कहते हैं, “खुले आसमान के नीचे साँस न ले पाएँ, यह पहली बार देखा। लोगों ने जूते, चप्पल, बैग, जिसका जो सामान था, छोड़ गए। जान बचाना मुश्किल हो रहा था, लोग पानी के लिए तड़प रहे थे।“ सेक्टर-21 का कचरा ट्रांसफ़र स्टेशन है, यहां अभी कचरे में आए जूते-चप्पलों, कपड़ों से भरा-पड़ा है। शिवनाथ कचरा ले जाने वाला ट्रक चलाते हैं। 29 जनवरी की सुबह का मंज़र याद करते हुए शिवनाथ बताते हैं, “हालात बहुत ख़राब थे, ऐसा लगा था कि जो लेटे हुए थे, वे पूरी तरह से ख़त्म हो गए हैं। जो परिवार यहाँ थे, वह बिलख-बिलख कर रो रहे थे। कोई कह रहा था, यहाँ मेरा चाचा था, यहाँ मेरे माँ-बाप थे, यहाँ मेरी औरत थी। यहाँ मेरा भाई था, कोई नहीं मिला सर’’। कचरा गाड़ी चलाने वाले चंद्रभान ने कचरे में एक शव ख़ुद देखने का दावा करते हुए बीबीसी हिंदी से कहा, “बॉडी… मैं इस चौराहे (उल्टा किला चौक) पर देखा, बारह बजे, वहाँ पर एक बहुत बुज़ुर्ग का शव देखा  था“।

चंद्रभान बताते हैं कि वे अगले तीन दिनों तक सिर्फ़ भीड़ में लोगों का छूट गया सामान ही कचरे में ढोते रहे। आशुतोष अपनी ताई का शव उठाने अपने दोस्तों के साथ वहाँ पहुँचे थे। उन्होंने बताया, “वहाँ कोई सरकारी मदद नहीं पहुँची। न कोई एंबुलेंस न और कुछ।’’ उनका सवाल है कि अगर मेडिकल की इतनी सुविधा थी, तो वह पहुँची क्यों नहीं? गणेश मिश्र दावा करते हैं कि एक महिला पुलिसकर्मी बार-बार उच्च अधिकारियों और कंट्रोल रूम को फ़ोन करके बता रही थी कि यहाँ स्थिति विकट हो रही है। उधर से न कोई जवाब आया और न कोई मदद। 15 फरवरी की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई। इनमें से कई लोगों का रात में ही पोस्टमार्टम करा दिया गया और अस्पतालों में जाना मीडियाकर्मी को वर्जित कर दिया गया। गिरधारी का कहना है, “हम दोनों पटना से पहले आनंद विहार ट्रेन से आए फिर पानीपत जाने के लिए नई दिल्ली से ट्रेन पकड़ रहे थे, लेकिन प्लेटफ़ॉर्म 14 पर भगदड़ मचने से मामी की मौत हो गई।“

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गिरधारी ने बताया, “प्लेटफॉर्म में जाने के लिए जैसे ही स्टेशन में आए त़ो वहाँ भारी भीड़ देखी। सीढ़ी में धक्का-मुक्की की वजह से हम अलग हो गए। मैं थोड़ी देर बाद उनको देखने गया तो उधर दो, तीन लोगों के बचाओ-बचाओ की आवाज आ रही थी। मैंने चादर से मामी को पहचाना, जैसे ही चादर हटाई तो हल्की सांस चल रही थी।“ उमेश अपनी आंखों-देखी बताते हैं, “मेरे सामने पहले से कई लोगों की बॉडी गिरी हुई थी. उसके बाद वो लोग टकराए हैं, उनके ऊपर से लोग जाने लगे हैं।“ उन्होंने बताया, “उस समय लोगों (बॉडी) को जीने के सामने ही लगा रखा था. उस समय वहां पर न कोई मीडिया थी और न कोई प्रशासन था।“ मदद को लेकर उमेश कहते हैं, “मदद तो कुछ नहीं मिली. बाद में बहुत देर हो गई थी। मैंने कई पुलिस वाले, आरपीएफ़ वालों को कहा लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था।“ मैं साल 1981 से कुली का काम कर रहा हूं, मैंने इतनी भीड़ कभी नहीं देखी।“ दूसरे कुली का कहना है कि “हमने 14 और 15 नंबर प्लेटफॉर्म से खुद लाशों को उठा-उठाकर एंबुलेंस में भरा, उन्हें अस्पताल लेकर गए। बच्चे, महिलाएं आदमी, सब भीड़ में दब गए, घायल हो गए. सांस लेने की जगह नहीं मिली।“

एक अन्य कुली ने हादसे के बारे में बताया कि “हम लोग स्टेशन के बाहर काम कर रहे थे, स्टेशन के भीतर से तेज़ आवाज़ें आने लगीं।“ “हम लोग भागकर भीतर गए तो देखा कि लोग इधर-उधर भाग रहे थे। हमने कई बच्चों को देखा जो दबे हुए थे. हमने बच्चों को उठा-उठाकर बाहर निकाला. कई लोग बेहोश हो गए थे।’’ “हमारे पास हाथ गाड़ी होती है, उसी में लोगों को लाद-लादकर हम बाहर लेकर आ रहे थे और एंबुलेंस तक पहुंचा रहे थे।“ रेल मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (टिवट्र) को पत्र लिखा है. इस पत्र में रेल मंत्रालय ने एक्स से 15 फरवरी को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ से जुड़े सभी वीडियो और फोटो को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए कहा है। इसके पीछे मंत्रालय ने “एथिकल नॉर्म्स“ का हवाला दिया है!

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पैसा का धंधा

आज तक न्यूज चैनल की भाषा में कहा जाए तो ‘‘एक तरफ करोड़ों लोग अपने पाप धोने और प्रायश्चित करने के लिए कुंभ में पहुंचे और तो दूसरी तरफ कुंभ में ही कुछ लोग अपने पाप की दुकान चला रहे थे। ये लोग कुंभ में स्नान करने पहुंची हर उम्र की महिलाओं और लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो बना रहे थे। डुबकी लगाने आने वाली औरतों, लड़कियों और बच्चियों की डुबकी लगाते वक्त उनके भींगे और गीले कपड़ों के साथ चोरी छुपे उनकी तस्वीरें और वीडियो बनाये गये। वीडियो और तस्वीरें उतारने वाले तो खैर गिनती के होंगे, लेकिन अफसोस की बात ये है कि इनके खरीददार हजारों-लाखों में हैं। इस वीडियो को देखने के लिए 90 रुपए से लेकर 1,800 रूपये तक खर्च कर रहे हैं।’’ महाकुंभ में महिला स्नानार्थियों के कथित आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया खातों के खिलाफ 17 एफआईआर दर्ज की गई हैं। तीन लोगों – चंद्र प्रकाश, प्रज्वल तेली और प्रजा पाटिल को गिरफ्तार किया गया है।

महाकुंभ शुरू होने से पहले प्रयागराज और श्रावस्ती में नकली नोटों के गिरोह पकड़े गए थे। इन नकली नोटों को महाकुंभ में खपाने की तैयारी थी। कोलकाता से नकली रुद्राक्ष लाए गए, तो मुंबई के मार्केट से नामी कंपनियों के बैग, पर्स लाकर बेचे गए। मेले में मिठाई की 7,000 से ज्यादा दुकानें सजीं, इसमें नकली खोया (मावा) सप्लाई हुआ। होली पर जांच करने निकलने वाली टीमें महाकुंभ के बाजार में नजर नहीं आईं। महाकुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के बाद भंडारे और प्रसाद के लिए शुद्ध घी और दूध सामग्री खरीदते हैं, लेकिन यहां नकली दूध का धंधा बड़े स्तर पर चला। एक दुकानदार से बातचीत में पता चला कि ब्रांडेड देसी घी के नाम पर नकली पैकेट बेचे जा रहे हैं। इनमें वनस्पति घी या सस्ता तेल मिलाकर पैकिंग की जाती है।

संगम में पूजा-पाठ के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में रुद्राक्ष और चंदन खरीदते हैं। इसमें भी नकली माल बिका। हमने खुद 500 रुपए में एक दुकानदार से ’प्रामाणिक’ रुद्राक्ष खरीदा। जब इसे एक्सपर्ट को दिखाया तो पता चला कि यह प्लास्टिक का बना था, ऊपर से हल्की-सी पॉलिश कर दी गई थी। इसी तरह चंदन की लकड़ी के नाम पर पीले रंग से रंगी हुई आम की लकड़ी बिकी। एक स्थानीय दुकानदार ने कबूल किया कि असली चंदन की खुशबू लाने के लिए कई बार नकली एसेंस का इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह महाकुंभ में आने वाले 10 में से 9 व्यक्ति फ्लाइट के लिए महंगे टिकट लिए, जिसके लिए 300 प्रतिशत तक अधिक कीमत चुकानी पड़ी। प्रयागराज जाने के लिए लोगों ने 50 हजार तक में टिकट खरीदें हैं। होटल और नाव किराये में तीन से चार गुना अधिक पैसा चुकाना पड़ा। प्रयागराज में सामान्य दिनों में होटल के जो रूम 2,500 से 3,000 रुपये तक मिल जाते हैं, वह 29 जनवरी को 22 हजार रुपये में मिला। लक्जरी कॉटेज में तीन रात रूकने और खाने की पैकेज 2.40 लाख रुपये था। यूपी टूरिज्म द्वारा निर्मित डोम सिटी में एक रात रूकने का किराया 91 हजार रुपये था इसके अलावा खाने-पीने का खर्च है।

कुंभ मेले का एक राजनीतिक दांव-पेंच भी है। यही कारण है कि 29 जनवरी के भगदड़ के बाद वीआईपी मुवमेंट पर रोक लगाने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने 5 फरवरी को संगम में जाकर स्नान किया। कानून के रखवाले खुद ही राजनीतिक लाभ लेने के लिए कानून को तोड़ते रहते हैं। इस राजनीतिक शास्त्र को आरएसएस अच्छा से समझता है और उसको अच्छी तरह से इस्तेमाल करता है। जब जनता महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त है तो उसके आस्था के साथ खिलवाड़ करके, उसको उस संगम में डुबकी लगवाई गई, जिसका पानी नहाने योग्य नहीं है। इसके  बावजूद श्रद्धालुओं को गन्दे और हानिकारक पानी में लोगों को स्नान करवाने के लिए झूठ बोला गया। जिस देश में युवाओं को रोजगार चाहिए वो वहां पर महिलाओं के अश्लील फोटोग्राफी कर पैसा कमाने के रास्ते तलाश रहे हैं। जहां भारत की संस्कृति में माना जाता है कि तीर्थ धाम की अवस्था वृद्धावस्था होती है, वहीं पर देखा गया कि इस महाकुंभ में युवाओं और युवतियों की संख्या काफी रहीं।

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महाकुंभ खत्म होते ही 2027 में महाराष्ट्र के नासिक में लगने वाले कुंभ की प्रचार और तैयारी होने लगी। 26 फरवरी, 2025 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों की बैठके हुई। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र में इस संबंध में विधेयक लाया जाएगा। महाजन ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणावीस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कुंभ के आयोजन के लिए पैसे की कोई कमी नहीं रहेगी। अच्छा कुंभ नासिक की धरती पर होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा है कि कुंभ के लिए बेहतर इंतजाम हो। जिस तरह कुंभ की व्यवस्था के लिए सरकार तत्पर है, अगर उसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों के लिए तत्त्पर होती तो महाराष्ट्र में किसानों को आत्महत्या नहीं करने पड़ते। युवाओं को बरगलाने के लिए इस तरह के  आयोजनों को प्रमुखता दी जा रही है, ताकि वह रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य की बात नहीं करें।

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Thursday, March 06, 2025

अनाधिकृत लाउडस्पीकर व डीजे के विरुद्ध पुलिस की सख्त कार्रवाई जारी

वाराणसी: पुलिस प्रशासन द्वारा ध्वनि प्रदूषण रोकने और नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई का अभियान लगातार जारी है। तीसरे दिन भी पुलिस ने 29 लाउडस्पीकर और 07 डीजे के खिलाफ कार्रवाई की।


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पुलिस की अब तक की कार्रवाई में कुल 108 लाउडस्पीकर जब्त  किये गए और 19 डीजे के विरुद्ध कार्यवाही की गयी साथ ही संबंधित व्यक्तियों को चेतावनी भी जारी की गयी. 

यदि आपके क्षेत्र में अनाधिकृत रूप से लाउडस्पीकर या डीजे बजाया जा रहा है, तो आप इसकी शिकायत निम्नलिखित नंबरों पुलिस कंट्रोल रूम: 9454401645, डायल-112 और नजदीकी थाने पर कर सकते हैं. साथ ही आपकी पहचान भी गोपनीय रखी जाएगी।

पुलिस प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे ध्वनि प्रदूषण से संबंधित नियमों का पालन करें और उल्लंघन की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं।

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Tuesday, March 04, 2025

सदन में CM योगी का बड़ा खुलासा: कुंभ में नाविक परिवार ने 45 दिन में कमाए 30 करोड़ रुपये

लखनऊ: प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुम्भ को लेकर सपा के द्वारा लगाये जा रहे आरोपों के जबाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में बड़ा खुलासा किया कि कुंभ मेले के दौरान एक नाविक परिवार ने 45 दिनों में लगभग 30 करोड़ रुपये की कमाई की।


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मुख्यमंत्री योगी ने सदन में दी जानकारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि प्रयागराज कुंभ 2025 न सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नया आयाम दिया। उन्होंने बताया कि इस नाविक परिवार के पास कुल 130 नौकाये थी. महाकुम्भ के दौरान इस परिवार की 45 दिनों में लगभग 23 लाख रुपये की कमी हुई अगर हम प्रतिदिन की कमाई को देखे तो करीब 50,000-52,000 रुपये है और अगर हम कुल आय देखे तो वो लगभग 30 करोड़ रुपये होते है

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स्थानीय लोगों को आर्थिक मजबूती

CM योगी ने कहा कि कुंभ मेले ने नाविकों सहित स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों, हस्तशिल्पियों और परिवहन सेवाओं से जुड़े लोगों को बड़ा आर्थिक लाभ दिया। उन्होंने कहा कि "कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार भी है। नाविक परिवारों की यह सफलता दर्शाती है कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए अवसरों का सही उपयोग कर लोग आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।"

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साथ ही CM योगी ने कहा कि इतना ही नही कुंभ का आर्थिक प्रभाव औरश्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति की वजह हजारों नाविकों को रोजगार मिला, स्थानीय पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिला, गंगा स्नान और संगम यात्रा की मांग बढ़ी इसके साथ साथ होटल, दुकानें और परिवहन सेवाओं को भारी मुनाफा भी हुआ है। योगी सरकार अब इस सफलता को अन्य धार्मिक पर्यटन स्थलों पर भी लागू करने पर विचार कर रही है, जिससे स्थानीय रोजगार और व्यापार को और बढ़ावा मिले।

Friday, February 28, 2025

यूपी में कांग्रेस महाअभियान के सहारे मतदाताओं को पार्टी से जोड़ेगी

 वाराणसी: मतदाताओं से जुड़ने के लिए कांग्रेस ने नई रणनीति अपनाई है। इसके लिए पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता जोड़ो महा अभियान चलाएगी। विधानसभा क्षेत्रों में 100 दिन में करीब 600 सभाएं आयोजित कर एक लाख लोगों से संकल्प पत्र भरवाए जाएंगे। इसकी शुरुआत आजमगढ़ के निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र से 28 फरवरी से हो रही है।


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2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तत्परता से मैदान में जुटी है। पार्टी यह चुनाव सपा अथवा अन्य दलों से मिलकर लड़ेगी या नहीं, यह तय होना बाकी है, लेकिन पार्टी मतदाताओं को खुद से जोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इसी रणनीति के तहत यह मुहिम शुरू की जा रही है।

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नमस्ते निजामाबाद के नाम से शुरू होने वाले इस महा अभियान की जिम्मेदारी पार्टी के निवर्तमान प्रदेश संगठन महासचिव अनिल यादव को सौंपी गई है। महाअभियान में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक न्याय, जातीय जनगणना और संविधान सुरक्षा के मुद्दे पर हर ग्राम पंचायत में तीन सभाएं होंगी।

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इस तरह पूरे विधानसभा क्षेत्र में 500 से 600 सभाएं होंगी। इस दौरान एक लाख से अधिक लोगों से संकल्प पत्र भरवाया जाएगा। 51 सदस्यों की निजामाबाद एक्शन कमेटी भी बनाई जाएगी।

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IMF ने भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर जताया भरोसा

नईदिल्ली: पहले जर्मनी, फिर वर्ल्ड बैंक और अब इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने भारत की आर्थिक विकास दर पर भरोसा जताया है। IMF के मुताबिक, दुनिया की टॉप 20 अर्थव्यवस्थाओं में भारत की ग्रोथ सबसे तेज है।


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भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था

  • IMF की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है

  • इससे पहले वर्ल्ड बैंक और जर्मनी ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया था।

  • भारत की तेजी से बढ़ती GDP और सुधरती कारोबारी परिस्थितियां इसकी मजबूती को दर्शाती हैं।

IMF की यह रिपोर्ट भारत के आर्थिक सुधारों और नीतियों की सफलता को प्रमाणित करती है। इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।

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Tuesday, February 25, 2025

मक्का और महाकुंभ में क्या अंतर? सीएम योगी ने विधानसभा में दिया जोरदार जवाब

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष को करारा जवाब दिया। उन्होंने मक्का-मदीना और महाकुंभ के बीच के अंतर को आंकड़ों के जरिए स्पष्ट किया और कहा कि प्रदेश में कट्टरपंथी शिक्षा नीति की कोई जगह नहीं होगी।


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महाकुंभ बनाम मक्का-मदीना: आंकड़ों की जुबानी

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि धार्मिक पर्यटन के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि महाकुंभ का वैश्विक महत्व कितना बड़ा है। उन्होंने कहा कि मक्का में 24 दिनों में करीब 1.4 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे, ईसाइयों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल वेटिकन सिटी में 80 लाख लोग जाते हैं जबकि अकेले अयोध्या में 52 दिनों में 16 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे इतना ही नही महाकुंभ में 45 दिनों में 64 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। सीएम योगी ने इन आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश अब धार्मिक पर्यटन का एक वैश्विक केंद्र बन रहा है और यह प्रदेश की बढ़ती आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है।

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महाकुंभ के दौरान हुआ अभूतपूर्व विकास

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज समेत अन्य तीर्थस्थलों पर बड़े पैमाने पर विकास कार्य किए गए जिसमे 200 से अधिक नई सड़कों का निर्माण किया गया, सिंगल लेन को डबल लेन, डबल लेन को चार लेन में बदला गया, 14 नए फ्लाईओवर बनाए गए साथ ही डिजिटल कुंभ की मदद से 28,000 लापता श्रद्धालुओं को उनके परिवार से मिलाया गया।

विपक्ष पर तीखा हमला

सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर महाकुंभ का उपहास उड़ाने और झूठे दावे करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "सपा सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करती रही कि बस्ती और गोरखपुर मंडल के 35 लोग लापता हो गए, लेकिन बाद में वे सभी सुरक्षित अपने घर पहुंच गए।" उन्होंने यह भी कहा कि प्रयागराज में अक्षयवट कॉरिडोर को विपक्षी दल अकबर का किला बताते हैं, जबकि अक्षयवट का वर्णन वेदों में भी मिलता है। योगी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि सनातन संस्कृति की महत्ता वामपंथी और समाजवादी नहीं समझ सकते।

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कट्टरपंथी शिक्षा नीति पर दो टूक जवाब

सीएम योगी ने साफ कहा कि उत्तर प्रदेश में कठमुल्लापन की कोई जगह नहीं होगी। "हम बच्चों को मुल्ला-मौलवी नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा देना चाहते हैं। हमारी सरकार में कट्टरपंथी शिक्षा नीति को बढ़ावा नहीं मिलेगा।"

2025 का महाकुंभ तोड़ेगा सभी रिकॉर्ड

मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि 2025 में होने वाला महाकुंभ अब तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करेगा। उन्होंने कहा, "महाकुंभ में जिसने जो तलाशा, उसे वही मिला। कुछ लोगों को वहां सनातन संस्कृति की महिमा नहीं दिखी, लेकिन पर्यटन के आंकड़े जरूर नजर आ गए।" उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की महानता को समझने के बजाय विपक्ष सिर्फ राजनीति करने में जुटा रहता है।

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सीएम योगी के इस बयान ने धार्मिक आयोजनों के महत्व और धार्मिक पर्यटन के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया है। उनकी सरकार का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। महाकुंभ के सफल आयोजन और भविष्य में इसे और भव्य बनाने की प्रतिबद्धता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि यूपी सरकार धार्मिक आयोजनों को विकास और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण आधार बना रही है।

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Monday, February 24, 2025

दिल्ली एयरपोर्ट पर वन्यजीव तस्करी का पर्दाफाश, तीन यात्री गिरफ्तार

नई दिल्ली: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर कस्टम अधिकारियों ने वन्यजीव तस्करी के एक बड़े मामले का खुलासा किया है। बैंकॉक से दिल्ली आने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-303 से आए तीन भारतीय यात्रियों को जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया। इनके पास से दुर्लभ और विदेशी वन्यजीव बरामद किए गए, जिनका इस्तेमाल नशे और अन्य अवैध उद्देश्यों के लिए किया जाता है।



22 सांप, 23 छिपकली और 14 कीड़े बरामदजब कस्टम अधिकारियों ने इन यात्रियों के चेक-इन बैग की जांच की, तो वे चौंक गए। बैग के अंदर 22 अलग-अलग प्रजातियों के सांप, 23 दुर्लभ छिपकलियां और 14 जहरीले कीड़े मिले। इसके अलावा, मकड़ियों और अन्य दुर्लभ प्रजातियों के जीव भी बरामद किए गए। अधिकारियों ने तुरंत इन तीनों यात्रियों को हिरासत में ले लिया और मामले की सूचना वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को दी।


गिरफ्तार यात्रियों से पूछताछ जारी
अधिकारियों के अनुसार, इन तस्करों का उद्देश्य इन जीवों को भारत में अवैध रूप से बेचकर भारी मुनाफा कमाना था। कुछ जीवों का इस्तेमाल पारंपरिक औषधियों और नशे के लिए किया जाता है, जबकि अन्य दुर्लभ जीवों की काले बाजार में ऊंची कीमत मिलती है। फिलहाल, तीनों आरोपियों को जांच एजेंसियों के हवाले कर दिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है।


वन्यजीव तस्करी पर सख्ती जरूरीभारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत इस तरह की तस्करी एक गंभीर अपराध है। दोषी पाए जाने पर आरोपियों को लंबी सजा और भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। कस्टम विभाग और सुरक्षा एजेंसियां अब इस नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन तस्करों के पीछे कौन सा बड़ा गिरोह काम कर रहा है।


अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हो सकता है हाथ
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की तस्करी में अंतरराष्ट्रीय गिरोहों का हाथ हो सकता है, जो एशियाई और अफ्रीकी देशों से दुर्लभ जीवों की तस्करी कर उन्हें विभिन्न बाजारों में बेचते हैं। कस्टम अधिकारियों ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि उन्हें इस तरह की किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिले, तो तुरंत सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करें।

Saturday, February 22, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर, किसानों को देंगे बड़ी सौगात

पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बिहार का दौरा करेंगे, जहां वह भागलपुर से देशभर के पात्र किसानों को 'पीएम किसान सम्मान निधि' की 19वीं किस्त जारी करेंगे। इस योजना के तहत 9.80 करोड़ किसानों के खातों में लगभग 22 हजार करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर किए जाएंगे।


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कई योजनाओं की शुरुआत
इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ भी करेंगे। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को मीडिया को जानकारी दी कि पीएम मोदी की यात्रा के एक दिन पहले वह बिहार पहुंचकर मखाना उत्पादक किसानों से चर्चा करेंगे।

नई परियोजनाओं की सौगात
बिहार दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी दुग्ध उत्पाद संयंत्र, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, रेल लाइन एवं रेलवे ओवरब्रिज जैसी कई विकास योजनाओं का उद्घाटन करेंगे। 2019 में शुरू हुई इस योजना के तहत 18वीं किस्त में 20,665 करोड़ रुपये किसानों के खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक किसान को प्रतिवर्ष छह हजार रुपये तीन किस्तों में दिए जाते हैं। अब तक कुल 3.46 लाख करोड़ रुपये किसानों को प्रदान किए जा चुके हैं।

Wednesday, February 12, 2025

अखिलेश यादव का केंद्र और यूपी सरकार पर तीखा हमला, बजट और नीतियों पर उठाए सवाल

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट केवल उद्योगपतियों के लिए बनाया गया है और आम जनता को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा।


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बजट पर हमला

अखिलेश यादव ने कहा, "मैं भी इस बजट के विरोध में खड़ा हुआ हूं। यह उद्योगपतियों के लिए बना हुआ है।" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बड़े उद्योगपतियों का कर्ज तो माफ कर रही है, लेकिन किसानों की कर्जमाफी पर कोई ध्यान नहीं दे रही।

यूपी सरकार पर तीखा वार

उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "जो अपने आप को डबल इंजन की सरकार कह रहे हैं, वे उत्तर प्रदेश के इन्वेस्टमेंट के लिए क्या सहयोग कर रहे हैं? वास्तव में, यह सरकार डबल इंजन नहीं, बल्कि डबल ब्लंडर कर रही है।"

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विकसित भारत पर सवाल

सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत पर सवाल उठाते हुए अखिलेश यादव ने कहा, "जो शौचालय बने हैं, उनमें पानी तक नहीं पहुंच रहा। क्या यही विकसित भारत की तस्वीर है?"

विदेश यात्रा और सरकार की प्राथमिकताएं

सरकार के फैसलों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "अगर अमेरिका जा रहे हैं तो सोने की जंजीर लेकर जाइए और कुछ महिलाओं व बच्चों को दूसरी जहाज में लेकर आइएगा।"

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देश की असली तरक्की पर जोर

अखिलेश यादव ने कहा कि असली तरक्की वही होती है जो हर भेदभाव को मिटाती है और समाज में खुशहाली लाती है। उन्होंने अपनी कविता के जरिए कहा,

"असली तरक्की है वही जो हर फर्क मिटाती है,

जो हर तरफ खुशहाली के गुलशन खिलाती है।"

समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर अपनी मांग दोहराई कि सरकार को केवल उद्योगपतियों के लिए नहीं, बल्कि किसानों, मजदूरों और आम जनता के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए।

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Sunday, February 09, 2025

अमेरिका द्वारा हथकड़ी प्रवासी भारतीयों के नहीं हमारे और आपके हाथ में लगी है!

 प्रोफेसर राहुल सिंह की कलम से 

पूरे देश के लिए 5 फरवरी का दिन कलंकित करने वाला था। 104 भारतीयों को जब कमर, हाथ और उनके पैरों में लोहे की बेड़ियां बांध कर अमेरिकी सैन्य विमान से अमृतसर हवाई अड्डे पर उतारा गया होगा तो शहीद-ए-आजम भगत सिंह की रूह कांप गयी होगी। उससे कुछ किमी की दूरी पर हुसैनीवाला में दफनाए गए शहीद-ए-आजम देश के लोगों से ज़रूर पूछ रहे होंगे क्या इसी दिन के लिए हमने कुर्बानी दी थी। क्या इसी दिन के लिए उस साम्राज्यवादी ताकत से मोर्चा लिया था जिसकी सत्ता का सूरज कभी नहीं डूबता था? और सवाल पूछने वालों की इस कतार में केवल भगत सिंह नहीं बल्कि गांधी से लेकर राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद समेत लाखों-लाख शहीद हैं। जिनकी रूहें इस समय देश के सामने सबसे बड़ा सवाल बनकर खड़ी हो गयी हैं। 


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70 क्या 700 सालों में ऐसा नहीं हुआ कि देश की कोई बाहरी ताकत हमारी धरती पर आकर अपने विमान से अपने ही सेना के संरक्षण में हमारे नागरिकों को लोहे की बेड़ियों के साथ छोड़कर चला जाए। विमान से उतारे गए गए प्रवासी युवकों की मानें तो उनको यात्रा के 40 घंटों के दौरान शौचालय तक का उपयोग नहीं करने दिया गया। और उसके लिए भी उन्हें विमान में अमेरिकी सैनिकों से हुज्जत करनी पड़ी। देश के किसी भी नागरिक के सम्मान की रक्षा करना वह देश में हो या कि विदेश की धरती पर, देश के सरकार की होती है। और अगर वह सरकार इसमें विफल रहती है तो उसे अपनी कुर्सी पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

कुछ लोग उन्हें अपराधी करार देकर पूरे मामले को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। पहली बात तो वो अपराधी नहीं हैं। उनमें से ज्यादातर लोग टेम्परेरी वीजा पर गए थे और वीजा बढ़ाने या फिर उसे स्थाई बनाने के लिए उन्होंने आवेदन दे रखे थे। यानि उनका पूरा मामला एक कानूनी प्रक्रिया में था। और अगर वह नहीं पूरी हुई या फिर उसको खारिज कर दिया गया तो अमेरिकी सरकार उन्हें भारत लौटाने के लिए आजाद है। लेकिन इस प्रक्रिया को सभ्य तरीके से पूरा किया जाएगा। न कि उन नागरिकों को अपराधी बनाकर और उन्हें हथकड़ियां पहनाकर किया जाएगा। और इस कड़ी में उन्हें सामान्य नागरिक विमानों से वापस उनके वतन भेजा जाएगा न कि किसी सैन्य विमान से पशुओं की तरह लादकर। 

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देश में बीजेपी-आरएसएस से जुड़े कई नेता और पदाधिकारी इसको जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें कोलंबिया और उसके राष्ट्रपति पेट्रो से सीखना चाहिए। पांच करोड़ आबादी वाले इस देश ने किस तरह से अपने और अपने नागरिकों के स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। यह गौर करने लायक बात है। पेट्रो ने अमेरिकी मिलिट्री विमान को अपने देश में उतरने ही नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह अपने नागरिकों का इतने अपमानजनक तरीके से अपनी धरती पर स्वागत नहीं कर सकते हैं। और फिर उन्होंने अपने उन नागरिकों को लेने के लिए अमेरिका के विभिन्न शहरों में अपने विमान भेजे और फिर उन्हें पूरे सम्मानजनक तरीके से अपने देश वापस ले आए। 

लेकिन यहां एक अरब 40 करोड़ आबादी वाले देश की गौरव और गरिमा को ताक पर रख दिया गया। देश की सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने प्रतिकार करने की बात तो दूर उसके विरोध में एक बयान भी देना जरूरी नहीं समझा। उल्टे देश में यह माहौल ज़रूर बनाया जा रहा है कि वो अपराधी हैं लिहाजा उनके साथ इस तरह का सुलूक किया जा सकता है। ऊपर से मोदी जी ने इसी 12 फरवरी को ट्रम्प से मिलने का कार्यक्रम भी बना लिया है। अब मोदी जी से कोई पूछ सकता है कि एक तरफ वही शख्स आपके नागरिकों को हथकड़ी पहना रहा है और दूसरी तरफ आप उसी से गले मिलने जा रहे हैं। मोदी जी यह हथकड़ी उन नागरिकों को नहीं बल्कि यहां की करोड़ों करोड़ जनता को पहनायी गयी है। वह आपको पहनायी गयी है। आपकी पूरी कैबिनेट को पहनायी गयी है।

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अगर इस तरह से आप नहीं समझते तो दूसरे तरीके से समझिए जिस शख्स से आप मिलने जा रहे हैं उसके संविधान में लिखा है कि अगर अमेरिका के किसी एक नागरिक को भी विदेश की किसी धरती पर अपमानित या परेशान किया जाता है तो अमेरिकी सरकार उस पर हमले का अधिकार रखती है। लेकिन यहां तो 17 हजार लोगों को अभी हथकड़ी लगनी है। अभी तो महज 104 यात्रियों की पहली खेप आयी है। और इस तरह से 17000 बार देश को अपमानित किया जाएगा। यह देश की आत्मा पर ऐसी मर्मांतक चोट होगी जिसके असर से निकल पाना पूरे देश के लिए बहुत मुश्किल होगा। 

इसलिए भारतीय नागरिकों और देश के विपक्ष को मोदी से यह मांग करनी चाहिए कि वह इसके विरोध में तत्काल अपनी अमेरिकी यात्रा रद्द करें। और इस पूरे मसले पर अमेरिकी सरकार से अपना विरोध जाहिर करें। इस बात में कोई शक नहीं कि हम अपने नागरिकों को लेने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस अपमानजनक तरीके से नहीं। और जरूरत पड़े तो अपने सभी 17 हजार नागरिकों को अपने हवाई जहाज के जरिये देश में लाने का प्रस्ताव दिया जाए। और अगर यह सरकार ऐसा नहीं करती है तो उससे तत्काल इस्तीफे की मांग की जानी चाहिए। ऐसी सरकार जो अपने नागरिकों के न्यूनतम सम्मान की रक्षा भी न कर सके उसके बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।

दरअसल आरएसएस और बीजेपी को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि इन्होंने साम्राज्यवाद के खिलाफ न तो कोई लड़ाई लड़ी है और न ही उसके द्वारा दिए गए अपमान को महसूस किया है। इन्होंने पूरी आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश हुकूमत के साथ गलबहियां कर रखी थी। इसलिए इन्हें उस अपमान का कोई एहसास ही नहीं हो रहा है। लिहाजा यह चाहते हैं कि पूरी जनता भी उसी को मान ले। लेकिन यह देश और उसकी जनता कतई इसको स्वीकार करने नहीं जा रही है। वह साम्राज्यवाद के खिलाफ दिए गए अपने पुरखों की कुर्बानियों को कतई भुलाने नहीं जा रही है।

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दुनिया में विश्व गुरू होने का डंका पीटने वाले आरएसएस-बीजेपी के नेताओं और उनके भक्तों से ज़रूर यह पूछा जाना चाहिए कि आपने देश को कहां ले जाकर खड़ा कर दिया। कुछ सबक चाहते तो आप अपनी पिछली सरकारों से सीख सकते थे। भारतीय राजनयिक देव्यानी खोबरागडे के साथ अमेरिकी सरकार और उसकी एजेंसियों ने जब अपमानजनक व्यवहार किया था तो यूपीए सरकार ने उस पर एतराज जाहिर किया था। और उसी दौरान भारत आए एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से यूपीए के नेताओं ने मिलने से इंकार कर दिया था। इसके अलावा भारत स्थित अमेरिकी दूतावास की कई सुविधाओं में कटौती कर दी गयी थी। उनको मिलने वाली सुरक्षा व्यवस्था को भी कम कर दिया गया था। और जिसका नतीजा यह रहा कि बाद में अमेरिकी सरकार को खेद जाहिर करना पड़ा था। और उसके लिए उसने माफी मांगी थी।

लेकिन अमेरिका और खासकर ट्रम्प की गोद में बैठे मोदी को इस बात का एहसास ही नहीं है। अबकी बार ट्रम्प सरकार का नारा देने वाले मोदी अपने दोस्त से भारतीय नागरिकों को अपमानित करने का काम करा रहे हैं।दरअसल बीजेपी और आरएसएस देश से नागरिक बोध को ही खत्म कर देना चाहते हैं। वह पूरी नागरिकता को ही इतिहास का विषय बना देना चाहते हैं। और यही वजह है कि वह बार-बार संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने की बात करते हैं। और उसकी जगह हिंदू राष्ट्र स्थापित कर पुरानी वर्ण व्यवस्था को बहाल करना चाहते हैं। जिसमें जातियां और धर्म होंगे और उनका संचालन उसी मनुस्मृति और उसी पुरानी हिंदू पद्धतियों से होगा। नागरिकों को तो इन्होंने अपने हिसाब से पशुओं से भी नीचे पहुंचा दिया है। जब वो यह कहते हैं कि गाय माता है और उसका गोबर से लेकर मूत्र तक का पीना श्रेयस्कर होता है।

तब वह आपको पशुओं से नीचे का दर्जा दे रहे होते हैं। जिसमें आप का स्थान गाय के बाद ही आता है। आप बैल के बराबर हो सकते हैं या फिर भैंस के यह आपको तय करना है। लेकिन मनुष्य कम से कम नहीं हो सकते हैं। ऐसे में ऐसी मानसिकता वाले शख्स का क्या नागरिक बोध जगाया जा सकता है? कतई नहीं। लेकिन मामला केवल भक्तों का नहीं है। इस देश का न तो संविधान मरा है। और ना ही लोकतंत्र का अभी खात्मा हुआ है। देश के नागरिक अभी भी अपने पूरे आत्मसम्मान के साथ जिंदा हैं। और उन्हें अपने पुरखों की कुर्बानियों का भी एहसास है। इसलिए वह खड़े होंगे अपनी गौरव और गरिमा को बचाने के लिए। इसलिए मोदी जी यह कोई छोटा-मोटा मसला नहीं है। यह पूरे देश की इज्जत और सम्मान से जुड़ गया है। इसलिए आपको भी इस पर अपनी पोजीशन लेनी होगी। वरना सत्ता की कुर्सी से उतर कर अपने घर का रास्ता नापना होगा।

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Friday, February 07, 2025

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर में फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर में फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग मिल्कीपुर में मतदान करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने दावा किया कि उनके पास उन वाहनों के नंबरों के प्रमाण हैं, जो इन फर्जी वोटरों के साथ जुड़ी हुई थीं।


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अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "यह पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और सपा इस मामले में उचित कार्रवाई के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम मामले की पूरी जांच करवा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

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सपा की ओर से फर्जी वोटिंग के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया जारी है और पार्टी ने चुनाव आयोग से मामले की जांच की मांग की है। सपा नेताओं का आरोप है कि फर्जी वोटिंग के माध्यम से निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, जिससे लोकतंत्र की साख पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

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Saturday, January 25, 2025

प्रतापगढ़ में 'लंगड़ा ऑपरेशन': पुलिस ने बदमाशों से की मुठभेड़, एक गिरफ्तार

प्रतापगढ़: जिले में अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए प्रतापगढ़ पुलिस ने एक विशेष अभियान 'लंगड़ा ऑपरेशन' चलाया, जिसमें पुलिस और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की टीम ने न केवल चेकिंग की, बल्कि बदमाशों के साथ मुठभेड़ भी की।


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मुठभेड़ के दौरान, एक बदमाश सुफियान उर्फ पुच्ची के पैर में गोली लगी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान उसके साथी बदमाश को भी पुलिस ने पकड़ लिया। घायल बदमाश को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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गंभीर आपराधिक इतिहास

सुफियान उर्फ पुच्ची के खिलाफ लूट, डकैती और हत्या के प्रयास सहित एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, उसके साथी बदमाश गुलशाद उर्फ गुलजार पर भी चोरी और हत्या के प्रयास के 6 मामले दर्ज हैं।

अवैध हथियार और बरामदगी

पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान बदमाशों के पास से दो अवैध तमंचे और कारतूस भी बरामद किए हैं। इसके अलावा, ट्रक चोरी करने के बाद बचे 15,000 रुपये भी पुलिस ने जब्त किए।

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थाना क्षेत्र की जानकारी

यह पूरा घटनाक्रम आसपुर देवसरा थाना क्षेत्र के तेलियानी मोड़ के पास हुआ। पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में कानून व्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिलेगी और अपराधियों के मन में भय पैदा होगा। प्रतापगढ़ पुलिस की इस मुहिम को लोगों ने सकारात्मक रूप में लिया है और उम्मीद जताई है कि इससे अपराधियों के खिलाफ सख्ती बढ़ेगी।

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ऑटो चालक की आपत्ति पर डीएम ने दिया सम्मान, गणतंत्र दिवस पर करेंगे ध्वजारोहण

कानपुर: कानपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक ऑटो चालक राकेश सोनी ने यातायात पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर जिले के डीएम को पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन इच्छामृत्यु की अनुमति की गुहार लगाई थी।

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राकेश सोनी के इस पत्र ने प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया। उनके दुखदायी अनुभव को समझते हुए, कानपुर के जिलाधिकारी ने राकेश सोनी को सम्मानित करने का निर्णय लिया। डीएम ने राकेश को 26 जनवरी को शहर के परेड ग्राउंड में ध्वजारोहण समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।

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राकेश सोनी ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपने अनुभव साझा किया और बताया कि डीएम का यह कदम उनके लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है। उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह की सम्मान मिल सकता है। यह मेरे लिए एक नई उम्मीद का संकेत है।"

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इस कदम से न केवल राकेश सोनी को सम्मान मिला है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि समाज में हर व्यक्ति की आवाज़ महत्वपूर्ण है और प्रशासन को आम लोगों की समस्याओं का संज्ञान लेना चाहिए। इस मामले ने कानपुर की स्थानीय खबरों में काफी चर्चा पैदा की है और लोग इस पहल को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं। गणतंत्र दिवस समारोह में राकेश सोनी की उपस्थिति सभी के लिए एक नई प्रेरणा बन गई है।

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Thursday, January 23, 2025

मुख्यमंत्री ने शामली में अपराधियों के साथ साहसी मुठभेड़ में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए यूपी एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद शामली में अपराधियों के साथ साहसिक मुठभेड़ में कर्तव्यपालन के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए जनपद मेरठ निवासी उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 के निरीक्षक सुनील कुमार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। 


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मुख्यमंत्री ने शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने तथा गृह जनपद की एक सड़क का नामकरण शहीद सुनील कुमार के नाम पर करने की भी घोषणा की है।

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मुख्यमंत्री ने शहीद सुनील कुमार के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि शोक की इस घड़ी में राज्य सरकार उनके साथ है। प्रदेश सरकार द्वारा शहीद के परिवार को हर सम्भव मदद प्रदान की जाएगी।

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Wednesday, January 22, 2025

रहस्यमय बीमारी से गांव सील, 17 की मौत के बाद अब युवक गंभीर; 24 घंटे में 4 मामले

जम्मू-कश्मीर: राजौरी जिले से 55 किलोमीटर दूर स्थित बधाल गांव में एक रहस्यमयी बीमारी के कारण 17 लोगों की मौत के बाद इसे कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है। मृतकों में 13 बच्चे शामिल हैं। जिला प्रशासन ने गांव में बीएनएसएस की धारा 163 (पहले ये धारा 144 थी) लागू कर दी है और प्रभावित परिवारों के घरों को सील कर दिया गया है।


तीन जोन में बंटा गांव, सभी प्रकार की सार्वजनिक और निजी सभाओं पर प्रतिबंध

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि, "बधाल को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। गांव को तीन जोन में विभाजित किया गया है और सभी सार्वजनिक और निजी सभाओं पर रोक लगा दी गई है। प्रभावित परिवारों को भोजन और पानी की आपूर्ति की निगरानी के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।"

स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को सख्त निर्देश

मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने मंगलवार देर रात स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। बैठक में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा सचिव, जम्मू के एडीजीपी, राजौरी-पुंछ रेंज के डीआईजी, जिला आयुक्त राजौरी, जीएमसी जम्मू और राजौरी के प्रधानाचार्य सहित कई राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल थे। डुल्लू ने स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को सख्त रोकथाम के उपाय करने के निर्देश दिए। उन्होंने दोनों विभागों को गांव की आबादी की निगरानी के लिए उचित एसओपी तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को गांव में पर्याप्त संख्या में कर्मी तैनात करने के लिए कहा ताकि एसओपी का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

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डुल्लू ने आगे कहा कि संभागीय और जिला प्रशासन को अपनी सतर्कता में कोई ढील नहीं देनी चाहिए और केवल टेस्ट किए गए खाद्य और गैर-खाद्य पदार्थों को ही क्वारंटीन किए गए लोगों को इस्तेमाल करने की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक इन मौतों के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल जाता, तब तक पुलिस और स्वास्थ्य पेशेवरों को निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार अपनी जांच जारी रखनी चाहिए। सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा डॉ. सैयद आबिद रशीद शाह ने बैठक में बताया कि परिवारों को आइसोलेट करने तथा उनकी जांच के बाद उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव उपाय किए गए हैं। किसी भी व्यक्ति में लक्षण दिखने पर निगरानी रखने के लिए स्वास्थ्य टीमें वहां तैनात हैं। साथ ही यह भी बताया गया कि स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों को तैयार रखा गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी भोजन या खाद्य सामग्री आपस में न मिले।

राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा जांच जारी

रहस्यमयी बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, नई दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, लखनऊ के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी एंड रिसर्च, ग्वालियर के डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर माइक्रोबायोलॉजी विभाग, और आईसीएमआर-वीआरडीएल जैसे संस्थानों को शामिल किया गया है।

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नए मामले और चिकित्सा प्रबंधन

25 वर्षीय अजीज अहमद इसी बीमारी के लक्षणों से ग्रस्त थे। उन्हें मंगलवार रात को भारतीय वायुसेना के एयर एंबुलेंस के माध्यम से पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया। जम्मू के संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने कहा, "युवक को मंगलवार रात भारतीय वायुसेना की एयर एंबुलेंस से पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया।" इस बीच, बुधवार को बदहाल गांव में 16, 18 और 23 साल की तीन सगी बहनें रहस्यमयी बीमारी की चपेट में आ गईं। बुधवार को गांव की तीन सगी बहनों - नाजिया कौसर (16), तजीम अख्तर (23) और खालिदा बेगम (18) को राजौरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत स्थिर है लेकिन यह बीमारी अचानक तबीयत बिगड़ने का कारण बनती है।

तीन बहनों में सबसे बड़ी ताजीम अख्तर की शादी मुश्ताक अहमद से हुई है। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. शमीम चौधरी ने बताया, "16, 18 और 23 साल की तीन सगी बहनों को बुधवार को जीएमसी राजौरी में भर्ती कराया गया। फिलहाल उनकी हालत स्थिर लग रही है और डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं, लेकिन बीमारी के कारण उनकी हालत अचानक बिगड़ गई है।" एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, "ये तीनों महिलाएं फजल हुसैन की बहन की संतान हैं। फजल हुसैन वह व्यक्ति है, जो अपने परिवार के साथ 7 दिसंबर को पहली बार रहस्यमय बीमारी की चपेट में आया था।"

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पहले मामले और मौतें

स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह बीमारी पहली बार 7 दिसंबर को 40 वर्षीय फजल हुसैन और उनके परिवार में सामने आई। 8 दिसंबर को फजल हुसैन की मौत हो गई, इसके बाद उनकी बेटियां फरमाना (7) और राबिया कौसर (14) और बेटे रुकसान अहमद (10) की मौत हो गई। 12 दिसंबर को उनका सबसे छोटा बेटा रफ्तार अहमद (4) भी चल बसा। स्वास्थ्य अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर गांव के 30 लोगों को जीएमसी राजौरी के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया है। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल में एक और आइसोलेशन वार्ड तैयार किया जा रहा है।

गांव में स्थिति और जनसंख्या

बधाल गांव में 585 घर हैं और कुल 3624 की आबादी है, जिसमें 1986 पुरुष और 1638 महिलाएं शामिल हैं। गांव की साक्षरता दर 55.5% है। फिलहाल 30 लोगों को राजौरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए एक और आइसोलेशन वार्ड तैयार किया जा रहा है।

केंद्र सरकार की टीम सक्रिय

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भेजी गई अंतर-मंत्रालयीय टीम गांव में डेरा डाले हुए है और विभिन्न अध्ययनों में लगी हुई है। मुख्य सचिव ने टीम को हरसंभव एहतियाती उपाय करने और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

सभी खाद्य पदार्थों और जल की जांच अनिवार्य

स्वास्थ्य सचिव डॉ. सैयद आबिद रशीद शाह ने बताया कि प्रभावित परिवारों को भोजन और जल की आपूर्ति जांच के बाद ही की जा रही है। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों को उच्च स्तर पर तैयार रखा गया है और प्रभावित परिवारों को सतत निगरानी में रखा गया है। जब तक इस बीमारी के वास्तविक कारण का पता नहीं चलता, प्रशासन ने गांव में कड़ी निगरानी और सख्त रोकथाम उपाय जारी रखने के निर्देश दिए हैं।

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