पहलगाम: आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मीटिंग ले रहे हैं. इसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएस अजित डोभाल मौजूद हैं. यहीं तय होगा कि आतंकी हमले का जवाब कैसे दिया जाए. लेकिन इस मीटिंग की सबसे खास बात ये है कि सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त जो कुछ भी हुआ, ठीक वैसा ही इस बार भी हो रहा है. उस वक्त भी सीसीएस की मीटिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पर हुई थी और इस बार भी पीएम मोदी अपने घर पर ही मीटिंग कर रहे हैं. मतलब साफ है कि भारत का जवाब भयानक होने वाला है.
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कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की मीटिंग बुलाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. आमतौर पर यह मीटिंग साउथ ब्लॉक में होती है, जहां प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) है. लेकिन उरी सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त 29 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीसीएस की मीटिंग अपने आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर की थी. इसी मीटिंग में पाकिस्तान को जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का प्लान बना था. इस बार भी पीएम मोदी ने अपने आवास पर मीटिंग बुलाई है. इससे माना जा रहा है कि भारत कोई बड़ा फैसला ले सकता है.
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मीटिंग PMO में करने के मायने
हाई लेवल सिक्रेसी और सिक्योरिटी
पीएम का आवास एक हाई सिक्योरिटी जोन में होता है, जहां सीमित स्टाफ मौजूद रहता है. कड़ी निगरानी रखी जाती है, इसलिए कोई भी सूचना लीक नहीं हो सकती. जब सर्जिकल स्ट्राइक या किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई पर फैसला लेना हो तो यह जगह सबसे सुरक्षित मानी जाती है.
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सेंट्रलाइज डिसीजन मेकिंग
पीएम आवास में मीटिंग का मतलब है कि सभी शीर्ष अधिकारी तुरंत उपलब्ध हैं. बिना किसी देरी और औपचारिकता के फैसले लिए जा सकते हैं, तुरंत उन्हें लागू किया जा सकता है. ऐसा तब होता है जब सेकेंडों में निर्णय लेना हो. डिफेंस एक्सपर्ट के मुताबिक, अभी वही वक्त है.
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मीडिया और पब्लिक से दूरी
साउथ या नॉर्थ ब्लॉक में मीटिंग होने पर मीडिया की हलचल और कयासबाजी तेज हो जाती है. पीएम आवास पर मीटिंग ज्यादा निजी होती है. इससे किसी भी जानकारी के बाहर जाने की संभावना लगभग शून्य हो जाती है.
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गंभीरता बताती है ये मीटिंग
जब CCS की मीटिंग पीएम आवास पर होती है, तो यह संकेत मिलता कि मामला सामान्य नहीं है. इससे यह संदेश जाता है कि स्थिति बेहद गंभीर है और सरकार उससे सख्ती से निपटने का प्लान बना रही है.
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