पाकिस्तान: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण ने जहां दुनिया भर में बसे करोड़ों हिंदुओं को भावनात्मक रूप से एक सूत्र में बांध दिया है, वहीं पाकिस्तान के हिंदू समुदाय ने भी आस्था की एक अनोखी मिसाल पेश की है। सिंध प्रांत के थारपारकर जिले के मेघवाल बाड़ा गांव में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है, जो पूर्णतः जनश्रद्धा और भक्ति पर आधारित है।
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"धन नहीं, राम का मंदिर चाहिए" – पुजारी थारूराम
इस मंदिर निर्माण की अगुवाई कर रहे पुजारी थारूराम ने भावुक स्वर में कहा कि यह कोई सरकारी योजना या राजनीतिक दलों से जुड़ा प्रोजेक्ट नहीं है। "मैंने भारत यात्रा के दौरान मां गंगा से कुछ नहीं मांगा, बस एक राम मंदिर मांगा। धन-दौलत नहीं चाहिए, राम का मंदिर चाहिए।
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भारत से लाया गया गंगाजल
इस मंदिर को पवित्र बनाने के लिए थारूराम भारत से गंगाजल भी लेकर आए हैं। वे कहते हैं, "भारत आना मेरे लिए सिर्फ एक तीर्थ नहीं, एक आशीर्वाद था। अयोध्या जा न सका, लेकिन वहां की आस्था को अपने गांव में लाकर जी रहा हूं।" उन्होंने कहा कि सीमाओं से परे श्रद्धा की मिसाल भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते भले ही तनावपूर्ण हों, लेकिन श्रद्धा की सीमा नहीं होती। अयोध्या न जा पाने की मजबूरी को पाकिस्तानी हिंदुओं ने राम मंदिर निर्माण के ज़रिए एक अवसर में बदल दिया है।
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स्थानीय समुदाय का सहयोग
गांव के स्थानीय हिंदू समुदाय ने एकजुट होकर मंदिर निर्माण में श्रमदान और आर्थिक सहयोग देना शुरू कर दिया है। मंदिर के निर्माण में कोई भव्यता नहीं, पर इसमें समर्पण की ऊंचाई जरूर नजर आती है। यह मंदिर भारत-पाक रिश्तों की दीवार के उस पार श्रद्धा की एक खिड़की की तरह है, जहां राम सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि विश्वास और एकता के प्रतीक बनकर उभर रहे हैं।
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