डॉ मनोज कुमार तिवारी, वरिष्ठ परामर्शदाता, एआरटीसी, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी
गर्भावस्था महिलाओं पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और जैव रासायनिक प्रभावों के साथ एक अनूठा मातृत्व का अनुभव प्रदान करता है। अधिकांश गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के बिभिन्न चरणों में होने वाले परिवर्तनों के कारण असुरक्षित महसूस करती हैं जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता हैं।
एक अनुमान के लगभग 30% गर्भवती महिलाओं को किसी न किसी स्तर पर चिंता का अनुभव होगा। शोध के अनुसार लगभग 15% महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अवसाद या चिंता से ग्रस्त होती हैं, गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की समस्या होना आम बात है, हर 5 गर्भवती में से 1 गर्भवती महिला मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित होती हैं। जन्म देने वाली लगभग 3% महिलाएं प्रसव के बाद प्रसवोत्तर अभिघातजन्य तनाव विकार (PTSD) का अनुभव करती हैं, जबकि उच्च जोखिम वाली आबादी में यह आंकड़ा 15% है। एक अनुमान के अनुसार 7.8% गर्भवती महिलाओं तथा 16.9% प्रसवोत्तर महिलाओं को प्रसवकालीन ओसीडी का अनुभव होगा।
गर्भावस्था के लक्षण:-
# मासिक धर्म का न आना
# स्तनों में दर्द या सूजन
# थकान
# बार-बार पेशाब आना
# मतली और उल्टी (मॉर्निंग सिकनेस)
# हल्का रक्तस्राव
# मूड स्विंग
# सिर दर्द
# खाने की इच्छा होना या खाने से नफ़रत होना
# खूशबू की समझ में बढोतरी
# पीठ के निचले भाग में दर्द
# पैर और टखने में सूजन आना
# हल्का स्पॉटिंग
# कब्ज
# नाक बंद होना
# सीने में जलन
# पेट में बच्चे की हलचल महसूस होना
# चेहरे में चमक आना
ध्यान रखें हर महिला को अलग-अलग तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं, अगर पीरियड्स न आएं, तो प्रारंभिक प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना चाहिए और डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए।
गर्भावस्था में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण:-
# घबराहट- दिल की धड़कन तेज़ होना, बैचेनी, सांस फूलना, कपकपी या अपने को आस-पास से शारीरिक रूप से 'अलग' महसूस करना
# सामान्यीकृत चिंता- सामान्य चिंताओं में क्या मेरा बच्चा सामान्य होगा, श्रम की चिंता, अपने बदलते शरीर की चिंता, भावनात्मक दबाव, रिश्ते में बदलाव, कैरियर आदि शामिल हैं।
# बाध्यकारी व्यवहार
# अचानक मूड में बदलाव
# बिना किसी स्पष्ट कारण के उदास रहना
# बार - बार रोने का मन करना
# खुशी देने वाली चीजों में भी दिलचस्पी न होना (जैसे- दोस्तों के साथ समय बिताना, व्यायाम करना, भोजन करना इत्यादि)
# जल्दी घबरा जाना
# तनावग्रस्त रहना
# हर समय थका हुआ महसूस करना
# नींद की समस्या
# लैंगिक क्रिया में रुचि न होना
# अपने बच्चे के साथ अकेले रहने का डर
# खुद को या अपने बच्चे को नुकसान पहुंचाने के विचार आना
# ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
#सामान्य बातों को याद रखने में कठिनाई होना
# जोखिमपूर्ण व्यवहार करना
# नशे का उपयोग करना।
अगर ये लक्षण दो सप्ताह से ज़्यादा समय तक बने रहते हैं तो समझें की गर्भवती महिला को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, यथाशीघ्र मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से मिलकर निदान किया जाना आवश्यक है अन्यथा इसका गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के ऊपर भी विपरीत असर पड़ता है।
गर्भावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक:-
तनाव:-
गर्भावस्था के दौरान तनाव बढ़ जाता है। तनाव के कारणों में मातृत्व अवकाश लेने से जुड़े मुद्दे, वित्तीय तनाव, रिश्तों की चिंता, स्वास्थ्य की चिंता, भविष्य की चिंता इत्यादि शामिल है।
नकारात्मक अनुभव:-
बांझपन, प्रसवकालीन समस्याएं, गरीबी, भेदभाव, हिंसा, बेरोज़गारी, व अलगाव जैसे अनुभवों से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
व्यक्तित्व:-
कम आत्मसम्मान, अपने जीवन पर कम नियंत्रण महसूस करना, निर्णय लेने में समस्या, अवसाद व तनाव विकार विकसित होने की जोखिम बढ़ा सकता है.
गर्भपात:-
गर्भपात का इतिहास या पहली तिमाही के बाद गर्भपात होना भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
बीमारी:-
बीमारियां 70% गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती हैं। मचली, उल्टी, भूख न लगना, थकान बहुत सामान्य हैं। गंभीर बीमारियाँ अवसाद और चिंता के लक्षण पैदा कर सकती है।
गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं:-
गर्भावस्था के दौरान जटिलताएँ गर्भवती महिला को नकारात्मक भावनाओं के भंवर में डालती हैं। माँ या बच्चे के लिए जटिलताएँ अक्सर अप्रत्याशित होती हैं और डर, भ्रम, उदासी और गुस्सा पैदा करती हैं।
हार्मोन:-
प्रजनन हार्मोन हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और चिंता, उदासी, क्रोध और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण पैदा करते हैं हालाँकि कभी-कभी, यह निर्धारित करने में थोड़ी सतर्कता की ज़रूरत होती है कि भावनाएँ हार्मोन के कारण हैं या कुछ और कारण है।
शारीरिक पीड़ा:-
गर्भावस्था के आखिरी तिमाही के दौरान, शारीरिक रूप से सहज रहना मुश्किल होता है। रात में शरीर में दर्द और बार-बार बाथरूम जाने के साथ-साथ नींद में खलल पड़ता है। बच्चे के जन्म के बाद, शुरुआती महीनों में नींद टूटना स्वाभाविक है और नींद की कमी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
पूर्व मानसिक स्वास्थ्य:-
यदि गर्भवती महिला पहले भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव किया है, तो उसे प्रसवकालीन मानसिक स्वास्थ्य स्थिति विकसित होने का अधिक जोखिम होता है हालांकि सही उपचार से विकसित होने का जोखिम को कम किया जा सकता है।
अन्य जोखिम कारक:-
# सामाजिक समर्थन की कमी
# घरेलू हिंसा
# वित्तीय कठिनाइयां
# प्रसव-पूर्व और प्रसवोत्तर जटिलताएं
# आपातकालीन सिजेरियन सेक्शन
# पिछला गर्भपात या गर्भाधान में कठिनाई
# अनियोजित गर्भावस्था
# अनिईच्छित गर्भधारण
गर्भावस्था में मानसिक स्वास्थ्य का प्रबंधन:-
# अपने आप से बहुत ज़्यादा उम्मीद न रखें। आप जो कर सकते हैं, उसके बारे में यथार्थवादी बनें और जब ज़रूरत हो, आराम करें।
# गर्भावस्था में बड़े बदलाव न करें, जैसे- घर बदलना, नौकरी बदलना, जब तक कि ऐसा करना बहुत जरूरी न हो।
# शारीरिक रूप से सक्रिय रहें ।
# व्यायाम कार्यक्रम शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें।
# नियमित रूप से स्वस्थ व संतुलित भोजन ले यदि संभव हो तो आहार विशेषज्ञ से संपर्क कर आहार तालिका बनवा लें और यथा संभव उसका पालन करें
# ऐसे लोगों के साथ समय बिताएँ जो आपको तनावमुक्त और अच्छा महसूस कराते हैं।
# तनाव से निपटने के लिए नशीली दवाओं या शराब का उपयोग करने से बचें।
यह भी पढ़ें: इस दिन किसानों के खाते में आएगी 20वीं किस्त, इन किसानों को नहीं मिलेंगे पैसे, जानें वजह
करना चाहिए:-
# अपनी भावनाओं के बारे में विश्वास पात्र मित्र, परिवार के सदस्य, चिकित्सक या स्टाफ नर्स से बात करें
# यदि आप तनावग्रस्त महसूस करते हैं तो श्वसन व्यायाम करें
# यदि संभव हो तो शारीरिक गतिविधि करें - इससे आपका मूड बेहतर हो सकता है और आपको नींद आने में मदद मिलेगी, भूख अच्छी लगेगी।
# प्रसवपूर्व कक्षाओं में भाग लेने का प्रयास करें ताकि उन लोगों से मिल सकें जो आपके जैसे ही बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं।
नहीं करें:-
# अपनी तुलना दूसरों से न करें - हर किसी को गर्भावस्था का अनुभव अलग-अलग तरीके से होता है दूसरों से तुलना कर परेशान न हों
# स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को यह बताने से न डरें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं - वे आपकी बात सुनने और आपकी सहायता करने के लिए हैं
# बेहतर महसूस करने के लिए शराब, सिगरेट या नशीली दवाओं का सेवन न करें, नशा और ज्यादा बुरा महसूस कराते हैं तथा बच्चे के विकास व स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
सदैव ध्यान रहे कि गर्भावस्था बीमारी नहीं बल्कि जीवन का एक सुनहरा काल है जो नए जीवन को जन्म देता है। परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी की यह जिम्मेदारी है कि गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल एवं भावनात्मक सहयोग प्रदान किया जाए ताकि गर्भवती महिला मानसिक समस्याओं से उबर कर स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके क्योंकि बच्चे ही राष्ट्र के भविष्य होते हैं।
No comments:
Post a Comment