लेखक अंकित तिवारी पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता की कलम से
पूरा भारतीय समाज इसके प्रकोप को झेल रहा है। प्रशासनिक लापरवाहियों भ्रष्टाचार के साये में लगातार यह धंधा बढ़ रहा है। सामाजिक तानेबाने में बिखराव, बाजारवाद, छोटे होते परिवार, पश्चिम जीवन के तौर तरीकों को अपनाने की वजह से एकाकी होता जीवन कुछ ऐसे मूलभूत कारण हैं जो नशीले धंधे को बढ़ावा दे रहे हैं। इस पर काबू पाना अकेले सरकार के बस का नहीं परंतु सरकारी तंत्र आम जन को साथ लेकर चलने के लिए तैयार नहीं है। दिखावे के कुछ जागरूकता कार्यक्रम व अभियान चंद समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से कराने की खानापूर्ति आम जन के सहयोग का कतई प्रमाण नहीं, यह एक प्रकार से आंखों में धूल झोंकने जैसा है। हमें यह भी देखना चाहिए कि भारतभूमि, संयुक्त परिवार कुटुंब और संस्कार की भूमि रही है और संयुक्त परिवार में ऐसे संस्कार और प्रभाव होते हैं जो बच्चे को जिंदगी की यथार्थता व संस्कार से इस तरह परिचित करा सकते हैं कि वह अपराध व नशेड़ी कुकर्मों से दूर बेहतर जिंदगी के काबिल बन सके। अफसोस की आज की शासन व्यवस्था और एक हद तक सामाजिक व्यवस्था भी पश्चिमी प्रभावों से आविष्ट है।
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जिसमें सरकार ही सबकुछ है और हर स्तर पर उसका दखल है । किसी भी समाज के सहज मानवीय विकास में कहीं न कहीं यह एक बड़ी बाधा है, खासकर तब, जब प्रशासन भ्रष्ट है। इसका एक बड़ा कारण है कि प्रशासन मात्र कानून से हर गतिविधि हांकना चाहता है और मानव के लिए समझ और भावना भी बहुत मायने रखता है । सो देश को इस गंभीर कैंसर समान समस्या से मुक्त करने के लिए सर्वसम्मत रायबात रणनीति तय किये जाने की जरूरत है। यह समाधान तात्कालिक रूप से कारर्वाई मांग रहा क्योंकि न केवल युवा वर्ग नशे की चपेट में है इसका असर बच्चों पर भी पड़ रहा है इससे नशा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक दुष्प्रभाव भी डाल रहा है। नशे की पूर्ति के लिए अपराध में भी वह हिचक नहीं रहे हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण कुछ इस तरीके की घटनाओं से समझा जा सकता है
बीते दिनों, प्रयागराज के एक गांव की घटना है, जिसमे नाबालिग बेटे ने पैसे की मांग को लेकर पिता की हत्या कर दी , उस वक्त वह शराब के नशे में था और लोहे की राड से पिता को मार डाला ।दूसरे मामले में, अभी उत्तर प्रदेश के मेरठ का वह चर्चित कांड जिसमें पत्नी मुस्कान रस्तोगी और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला ने नशे की हालत में ही चाकू से कई वार कर के सौरभ राजपूत को मार डाला पुलिस के मुताबिक जेल में भी वह नशे की मांग को लेकर परेशान हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में भी नशेड़ी बेटे ने पीट-पीट कर अपने पिता को मार डाला था। ठीक इसी तरह बिजनौर जिले में भी नशा मुक्ति केंद्र में सीसीटीवी कैमरे में एक घटना कैद हुई थी जिसमें दो युवकों ने एक भर्ती युवक की गला घोंट कर हत्या कर दी थी। ऐसे मामले और भी है जैसे कि जम्मू कश्मीर में एक महिला ने कथित तौर पर नशा करके अपनी पति के ऊपर मारपीट का आरोप लगाया था।
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विशेषज्ञों की मानें तो नशे की लत लगने के कई कारण हो सकते हैं तनाव के चलते कई बार बच्चे मनोवैज्ञानिक कारण, पर्यावरणीय कारण, अवसाद, जेनेटिक्स और फैमिली हिस्ट्री स्कूल या किसी सामाजिक जगह पर दोस्तों की कमी होना, दर्दनाक घटनाओं का होना आदि की वजह से नशे के आदी हो जाते हैं। नशाखोरी का कारोबार न केवल युवाओं से लेकर आम लोगों की सेहत बिगड़ रहा है बल्कि नशे की हालत में बदमाश अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पूर्व में हुई लूट, स्नैचिंग, चोरी आदि घटनाओं में पकड़े गए बदमाशों से पूछताछ में जानकारी मिलती है कि उन्होंने नशे की हालत में वारदात की थी ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बलात्कार की घटनाओं में 95% मामले में आरोपी नशे की हालत में ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, अपने देश में पंजाब नशे के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में शामिल है, वहां की सरकार हाल ही में युद्ध नशे के विरुद्ध का अभियान छेड़ा है अब देखना होगा कि इसका कितना असर होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में 20 लोगो में से एक की मौत का कारण, शराब ही बनता है । हाल ही में मिजोरम के आबकारी मंत्री के अनुसार तीन महिलाओं समेत 46 लोगों की मौत नशीली दवाओं के सेवन से हुई जो की बड़ी ही चिंता का विषय है। नशे के रूप में युवा, मादक द्रव्यों को इनहेलर, शालूसन, कफ सिरप, स्पिरिट, तंबाकू और गुटके आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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पिछले दिनों प्रयागराज में एंटीनार्कोटिक्स टास्क फोर्स ने नशीली दवाओं, इंजेक्शनों की सप्लाई करने वाले गैंग को पकड़ा था जो छात्रों को नशे की लत लगा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि नशे से युवा पीढ़ी को गंभीर खतरा है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि युवाओं में बढ़ रही नशे की लत पर उन्होंने देश की नशीली दवाओं के अवैध कारोबार युवाओं के ड्रग्स के सेवन पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ड्रग्स लेना बिल्कुल भी ठीक नहीं है, पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक सारणी भर नहीं माना जाना चाहिए लेकिन इस मुद्दे से निपटने के लिए एक खुली चर्चा की आवश्यकता है, भारत में नशे संबंधी मुद्दों पर लोग चुप रहते हैं और इसका फायदा आतंकवाद का समर्थन करने वाले और हिंसा को बढ़ावा देने वाले उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता को भी सलाह दी कि नशे के शिकार व्यक्ति के साथ-सहनशीलता और प्यार से पेश आने की जरूरत है बता दें कि एससी की तरफ से यह टिप्पणी तब आई जब पाकिस्तान से भारत में 500 किलो हीरोइन की तस्करी के मामले में आरोपी एक व्यक्ति की तरफ से दायर जमानत याचिका पर फैसला सुनाया जा रहा था। नशे जैसे मुद्दे पर समाज और सरकार को मिलकर लड़ने की जरूरत है । इसके लिए शिक्षित होना जरूरी है, मनोचिकित्सकों के अनुसार तनाव से निपटने के लिए स्वस्थ तरीके अपनाएं, परिवार के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रखें, कांसलिंग कराएं और सबसे बड़ी बात , खुद कि इच्छा शक्ति खुद को मोटिवेट करें अच्छी संगत में रहें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, नशे को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। उन्होंने कहा कि नशा एक ऐसी लत होती है जिस पर काबू नहीं पाया गया तो उसे व्यक्ति का पूरा जीवन तबाह कर देती है इससे समाज का बहुत बड़ा नुकसान होता है इसलिए हमारी सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की है । पीएम मोदी ने कहा कि जब परिवार कमजोर होता है तो मूल्य का क्षरण होने लगता है फिर उसका प्रभाव व्यापक तौर पर पड़ता है, श्री मोदी ने परिवार की अवधारणा और उसके महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जब परिजन कई दिन तक मेल मुलाकात नहीं करते तब ऐसे खतरे पैदा होते हैं और नशाखोरी को बढ़ावा मिलता है, ऐसे में परिवारों को मजबूत होने और देश को नशा मुक्त बनाने की जरूरत है। सरकार के मुताबिक सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्रालय के नशा मुक्त भारत अभियान में देश भर के 500 से अधिक स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी से प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय कार्य योजना एनपीडीआर के तहत वित्तीय सहायता दी जाती है।
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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार नशा मुक्त भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है मादक पदार्थ तस्करों को दंडित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। जो पैसे के लालच में युवाओं को नशे की अंधेरी खाई में धकेल रहे हैं उनको सरकार किसी भी कीमत पर नहीं बख्शेगी। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक शाह के मार्गदर्शन में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एनसी 2047 तक नशा मुक्त भारत, के पीएम के सपने को साकार करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। देश के विभिन्न मामलों में अदालत ने 29 मादक तस्करों को दोषी भी ठहराया है. आपको बता दें कि कानून में नशा तस्करों के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास जैसी कठोरता सजा का भी प्रावधान है। उम्मीद है, एक दिन मेहनत रंग लाएगी।
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