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Sunday, March 30, 2025

बिजली महापंचायत में उमड़ी कर्मचारियों एवं आमजनमानस की भारी भीड़

वाराणसी: नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स तथा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज वाराणसी के भिखारीपुर स्थित प्रबन्ध निदेशक कार्यालय पर हुई महाविशाल बिजली महा पंचायत में एक प्रस्ताव पारित कर वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी से मांग की गई कि उत्तर प्रदेश की आम जनता के व्यापक हित में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त किया जाए। वाराणसी की बिजली महापंचायत में हजारों की संख्या में बिजली कर्मचारी और आमजनमानस की भारी भीड़ उमड़ी।



संघर्ष समिति उ0प्र0 के प्रदेश संयोजक ई0 शैलेंद्र दुबे जी कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने निगम के प्रांगण में बिजली महापंचायत करने से रोकने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का मुख्य द्वार बंद करवा दिया और प्रबंध निदेशक ने इस प्रकार अनावश्यक रूप से औद्योगिक अशांति पैदा करने की कोशिश की। संघर्ष समिति ने पूरे संयम और अनुशासन से काम लिया और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्य द्वार पर 3 घंटे तक शांतिपूर्वक बिजली महापंचायत की।

बिजली महापंचायत में पारित मुख्य प्रस्ताव में कहा गया है कि बिजली का निजीकरण न ही किसानों और गरीब बिजली उपभोक्ताओं के हक में है और न ही बिजली कर्मचारियों के हित में। प्रस्ताव में कहा गया है कि बिजली के निजीकरण से बिजली की दरों में कम से कम तीन गुना की वृद्धि होगी । मुंबई में निजी क्षेत्र के चलते घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट तक है जबकि उत्तर प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की अधिकतम दरें भी 06.50 रुपए प्रति यूनिट है। इसी प्रकार निजी क्षेत्र में कोलकाता में 12 रुपए प्रति यूनिट और दिल्ली में 10 रुपए प्रति यूनिट बिजली की दरें हैं। उत्तर प्रदेश में ही ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजी कंपनी है जो गरीबों को ट्यूबवेल के लिए मुक्त बिजली नहीं दे रही है। 


प्रस्ताव में कहा गया है कि आगरा और कानपुर को निजी क्षेत्र में देने का एक साथ निर्णय लिया गया था। आगरा टोरेंट कंपनी को दे दिया गया किंतु बिजली कर्मचारियों के विरोध के कारण केस्को सरकारी क्षेत्र में ही बना रहा । आज 15 साल के बाद आगरा में ए टी एंड सी हानियां 9.86% है जबकि केस्को में ए टी एंड सी हानियां 8.6% है। आगरा में पावर कॉरपोरेशन 5 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट पावर कंपनी को 4 रुपए 36 पैसे प्रति यूनिट में बिजली बेचती है । इस प्रकार 275 करोड रुपए प्रति वर्ष का नुकसान हो रहा है। केस्को आज भी सरकारी क्षेत्र में है और केस्को से प्रति यूनिट 7 रुपए 96 पैसे राजस्व की वसूली हो रही है जो आगरा से मिलने वाले राजस्व की तुलना में 3 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट अधिक है। निजी क्षेत्र में लूट और निजी क्षेत्र से होने वाले प्रदेश की जनता को नुकसान का इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रदेश के 42 जनपदों के बिजली वितरण का निजीकरण करने की जिद पर अड़े हुए हैं। संघर्ष समिति ने वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से प्रस्ताव के माध्यम से मांग की है कि वह प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें और बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त कराएं।


वाराणसी की बिजली महापंचायत में संविदा कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर हटाए जाने को लेकर भारी गुस्सा दिखा। मार्च 2023 की हड़ताल के बाद ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के अनुसार संविदा कर्मचारियों को आज 2 वर्ष से ज्यादा समय व्यतीत हो जाने के बाद भी बहाल न किए जाने से बिजली कर्मियों में भारी आक्रोश दिखा। प्रस्ताव के माध्यम से मांग की गई है कि मार्च 2023 की हड़ताल में हटाए गए सभी संविदा कर्मचारियों को बहाल किया जाए, संविदा कर्मचारियों को हटाए जाने की प्रक्रिया बंद की जाए, सभी हटाए गए संविदा कर्मचारी नौकरी में वापस लिए जाए और निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाए साथ अल्पवेतन भोगी बिजलिकर्मियो /संविदाकर्मियों को स्मार्टफोन खरीदकर फेसिअल अटेंडेंस लगाने को मजबूर न कर इसको उधोगहित में निरस्त किया जाये।


वाराणसी की बिजली महापंचायत में 9 अप्रैल को लखनऊ में होने वाली विशाल रैली में चलने का आह्वान किया गया। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि लखनऊ की रैली में निर्णायक आंदोलन का शंखनाद होगा। वाराणसी की बिजली महापंचायत में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की ओर से सुभाष लांबा मुख्य रूप से सम्मिलित हुए और संबोधित किया। ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष जयप्रकाश और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष अजय कुमार तथा शिक्षक नेता रीना त्रिपाठी ने भी सभा को संबोधित किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से केंद्रीय पदाधिकारियों शैलेंद्र दुबे, जितेंद्र सिंह गुर्जर, आर बी सिंह ,महेंद्र राय, पी के दीक्षित, माया शंकर तिवारी, चन्द्र भूषण उपाध्याय, श्री चन्द, सरजू त्रिवेदी, देवेन्द्र पांडेय, राजेंद्र सिंह, अंकुर पांडेय, राम कुमार झा,नरेंद्र वर्मा, नीरज बिंद, मनीष श्रीवास्तव ,आर0बी0यादव,संतोष वर्मा,राजेश कुमार, रमाशंकर पाल,ने मुख्यतया सम्बोधित किया।

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