वाराणसी: विकास खंड चिरईगांव के तरया ग्राम सभा का जिलाधिकारी के द्वारा प्रधान के ऊपर गबन सिद्ध होने के बाद ग्राम प्रधान के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार को 29 जनवरी 2025 को सीज कर दिया गया. आदेश की कॉपी सहायक ग्राम विकास अधिकारी पंचायत कमलेश कुमार सिंह को भी डीपीआरओ कार्यालय के द्वारा दे दिया गया था.
लेकिन इस सब के बावजूद तरया के ग्राम प्रधान के साथ मिल कर सचिव रमाशंकर के द्वारा 31 जनवरी को लाखों रूपये ग्राम पंचायत के खाते से निकल लिया गया. जबकि वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज होने के बाद सचिव की जिम्मेदारी होती है कि ग्राम सभा के खाते से एक भी रूपये का आहरण नही होना चाहिए. बावजूद इसके ग्राम सभा के खाते से लाखों रूपये का आहरण कर दिया गया.
इस सम्बन्ध में जब हमने सहायक विकास अधिकारी पंचायत कमलेश कुमार सिंह से बात किया तो उन्होंने ने बताया कि जब मुझे इसकी जानकारी डीपीआरओ कार्यालय से मिली उसी समय मैंने सचिव रमाशंकर को मौखिक तौर पर यह बता दिया था कि तरया के खाते से एक भी रूपये का आहरण नही होना चाहिए. लेकिन सचिव ने प्रधान के साथ मिलकर पैसे निकला है तो उनके खिलाफ भी जो भी वैधानिक कार्यवाही होनी चाहिए होगी.
उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलहाल सचिव को अभी कारण बताओ नोटिस जारी करके. उनसे यह सपष्टीकरण लिया जायेगा की आखिर जब उनको इसकी जानकारी थी तो इन्होने अपना ड़ोंगल क्यों लगाया और ग्राम सभा के खाते से लाखों की धनराशी का आहरण क्यों किया. उसके बाद ही कोई कार्यवाही की जाएगी.
अब देखना यह है कि सहायक विकास अधिकारी पंचायत द्वारा इसमें क्या कार्यवाही की जाती है. क्योकि जब किसी ग्राम सभा में प्रधान का वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज होता है तो उस ग्राम सभा के खाते से एक रूपये का भी आहरण नही किया जा सकता. जब तक जिलाधिकारी के द्वारा उस ग्राम सभा में त्रिस्तरीय टीम का गठन नही होता या फिर प्रधान को दुबारा से बहाल नही किया जाता.
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