Latest News

Tuesday, January 28, 2025

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद का गुरु सुभाष, माफिया को 5 साल बाद भेजा गया जेल

वाराणसी: आजीवन कारावास की सजा काट रहा माफिया सुभाष ठाकुर पांच साल बाद सोमवार को बीएचयू अस्पताल से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया। हालांकि, इसके पीछे की राह आसान नहीं रही। वह खुद के अस्वस्थ होने का दावा करता रहा। मगर, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल की तरफ से गठित 12 डॉक्टरों के पैनल ने बताया कि सुभाष ठाकुर स्वस्थ है। उसे जेल से अस्पताल में लाकर रखने का कोई ठोस आधार नहीं है। सुभाष ठाकुर को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरु कहा जाता है। वाराणसी के फूलपुर थाना क्षेत्र के नेवादा गांव निवासी सुभाष सिंह ठाकुर उर्फ सुभाष राय उर्फ बाबा नब्बे के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड का चर्चित नाम रहा है। मौजूदा समय में भी मुंबई में पूर्वांचल के शूटर किसी वारदात को अंजाम देते हैं तो महाराष्ट्र पुलिस की शक की सूई सबसे पहले सुभाष ठाकुर की ओर जाती है। 


यह भी पढ़ें: नगर आयुक्त ने महाकुम्भ 2025 की तैयारियों के दृष्टिगत मातहत अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक

यह है इतिहास

वर्ष 1992 के हत्या, हत्या के प्रयास और टाडा एक्ट के एक मामले में मुंबई की अदालत ने सुभाष ठाकुर को वर्ष 2000 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फतेहगढ़ सेंट्रल जेल प्रशासन के अनुसार, सुभाष ठाकुर ने दिसंबर 2019 में गुर्द, पेट और आंख की गंभीर बीमारियों से खुद को पीड़ित बताया और बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में भर्ती हो गया था। इसके बाद जेल और पुलिस के स्तर पर लगातार पत्राचार के बाद भी सुभाष ठाकुर बीएचयू अस्पताल से स्वस्थ होकर फतेहगढ़ सेंट्रल जेल नहीं जा सका।

यह भी पढ़ें: वाराणसी विकास प्राधिकरण की बड़ी कार्रवाई, करीब 6 बीघे में की जा रही अवैध प्लाटिंग को किया ध्वस्त

सुभाष ठाकुर के लंबे समय से अस्पताल में भर्ती होने के मामले को डीजी जेल पीवी रामाशास्त्री ने गंभीरता से लिया। उन्होंने पुलिस आयुक्त से विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल गठित करा कर सुभाष ठाकुर का स्वास्थ्य परीक्षण कराने को कहा। पुलिस आयुक्त ने बीएचयू के ही 12 विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल गठित करा कर सुभाष ठाकुर के स्वास्थ्य का परीक्षण कराया। डॉक्टरों ने सुभाष ठाकुर को पूरी तरह से स्वस्थ बताया। इससे पहले सुभाष ठाकुर जब तक बीएचयू अस्पताल में रहा, सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों के अलावा तगड़ी संख्या में उसके लोग रहते थे। सुभाष ठाकुर के कमरे के आसपास आम आदमी खड़ा होकर बात भी नहीं कर सकता था। सजायाफ्ता कैदी पूरी तरह से स्वस्थ है। वह अस्पताल में क्यों रहेगा? डॉक्टरों ने सुभाष ठाकुर को स्वस्थ बताया तो उसे फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भिजवा दिया गया। - मोहित अग्रवाल, पुलिस आयुक्त

यह भी पढ़ें: निजीकरण के विरोध में बनारस के बिजली कर्मियों ने सभा कर निकाला विशाल मोमबत्ती जुलूस

डिस्चार्ज होने के बाद भी कहता रहा...बीमार हूं

पुलिस अफसरों ने बताया कि सुभाष ठाकुर को बीएचयू अस्पताल के डॉक्टरों ने रविवार को ही डिस्चार्ज कर दिया था। इसके बावजूद वह अस्पताल में ही रुकने की जुगत लगाता रहा और तरह-तरह की नई बीमारियां बताता रहा। मामला पुलिस आयुक्त की जानकारी में आया तो उनके सख्त रुख अपनाया। इसके बाद सोमवार शाम चार बजे उसे पुलिस की सुरक्षा में फतेहगढ़ सेंट्रल जेल रवाना किया गया।

यह भी पढ़ें: महाकुंभ की भीड़ से हाउसफुल हुई काशी, सड़कों पर उतरे अधिकारी

कभी दाऊद कहलाता था शिष्य, फिर सुभाष ने बताया अपनी जान का खतरा

सफेद कपड़े, सफेद साफा और लंबी सफेद दाढ़ी के कारण सुभाष ठाकुर को उसके जानने वाले और जरायम जगत से जुड़े लोग बाबा कहते हैं। पुलिस डोजियर के अनुसार सुभाष ठाकुर की हिंदी के साथ ही मराठी और अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ है। सुभाष ठाकुर नब्बे के दशक में काम की तलाश में मुंबई गया था। मगर, वहां बिल्डरों से रंगदारी वसूलने, धमकाने और भाड़े पर हत्या का काम करने लगा।

यह भी पढ़ें: नगर आयुक्त ने महाकुम्भ 2025 की तैयारियों के दृष्टिगत मातहत अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक

माना जाता है कि उसी दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम उसके गिरोह में शामिल हुआ था। इसलिए दाऊद को सुभाष ठाकुर का शिष्य कहा जाता है। अरुण गवली के गुर्गों ने दाउद के बहनोई इस्माइल इब्राहिम पारकर की 26 जुलाई 1992 को हत्या कर दी थी। इस हत्या के बदला लेने के लिए मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में 12 सितंबर 1992 को अंधाधुंध फायरिंग कर गवली गिरोह के शूटर शैलेश और दो सिपाहियों की हत्या कर दी गई थी। वारदात को इस तरीके से अंजाम दिया गया था कि सुभाष ठाकुर को मुंबई में हर छोटा-बड़ा अपराधी जानने लगा था। हालांकि, दाऊद और सुभाष ठाकुर का साथ लंबा नहीं चला। वर्ष 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद दाउद इब्राहिम से सुभाष ठाकुर ने नाता तोड़ लिया था। वर्ष 2017 में सुभाष ठाकुर ने वाराणसी की कचहरी में खुद की जान को दाऊद इब्राहिम से खतरा बताया था। अपनी हिफाजत के लिए उसने बुलेटप्रूफ जैकेट की मांग की थी।

यह भी पढ़ें: वाराणसी विकास प्राधिकरण की बड़ी कार्रवाई, करीब 6 बीघे में की जा रही अवैध प्लाटिंग को किया ध्वस्त

एक केस की पत्रावली गायब, एक मुकदमा लंबित

पुलिस डोजियर के अनुसार वाराणसी में सुभाष ठाकुर के खिलाफ फूलपुर थाने में वर्ष 1982 और शिवपुर थाने में वर्ष 1991 में आर्म्स एक्ट के केवल दो मुकदमे दर्ज हुए थे। फूलपुर थाने से संबंधित मुकदमे की पत्रावली ही गायब हो गई। शिवपुर थाने से संबंधित मुकदमा अदालत में विचाराधीन है। सुभाष ठाकुर के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों में मुंबई और दिल्ली में 10 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से एक में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई है। हत्या और हत्या के प्रयास के चार मुकदमों में वह दोषमुक्त हो चुका है।

यह भी पढ़ें: निजीकरण के विरोध में बनारस के बिजली कर्मियों ने सभा कर निकाला विशाल मोमबत्ती जुलूस

पांच साल तक क्या करती रहीं एजेंसियां, बड़ा सवाल

आजीवन कारावास की सजा से दंडित एक कैदी पांच साल तक इलाज के नाम पर अस्पताल में रहकर दरबार लगाता रहा और सरकारी एजेंसियां चुप्पी साधे रहीं। यह अपने आप में बड़ा और गंभीर सवाल है। पुलिस, माफिया और जेल की गहरी जानकारी रखने वालों का कहना है कि यह सब मिलीभगत से संभव हुआ है। इसकी बाकायदा जांच होनी चाहिए कि इस खेल में आखिरकार कौन-कौन शामिल था? उनका नाम सार्वजनिक कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें: महाकुंभ की भीड़ से हाउसफुल हुई काशी, सड़कों पर उतरे अधिकारी

No comments:

Post a Comment