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Friday, January 10, 2025

प्रदेश के बाकी हिस्सों की तरह बनारस के भी बिजली कर्मचारियों ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध दिवस मनाया

वाराणसी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर प्रदेश भर में  बिजली कर्मचारियों ने विरोध सभा कर अपना आक्रोश व्यक्त किया जिसके तारतम्य में बनारस के बिजलिकर्मियो ने भी भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर ड्यूटी के बाद शाम -5 बजे से विरोध सभा कर और जोरदार नारे लगाते हुए बिजली के निजीकरण का विरोध किया साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी से प्रभावी हस्तक्षेप कर बिजली के निजीकरण का प्रस्ताव व्यापक जनहित में निरस्त कराने का किया माँग। निजीकरण के विरोध में बनारस के समस्त बिजली कर्मी 13 जनवरी को पूरे दिन काली पट्टी बांधेंगे और विरोध सभा करेंगे। अवकाश के दिनों में बिजली कर्मी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम उपभोक्ताओं के बीच जनजागरण अभियान चलाएंगे। 


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संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज बनारस में भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर  पर हुई  विरोध सभा को संबोधित करते हुए कहा कि निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन निजीकरण वापस होने तक लगातार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारी किसी धोखे में नहीं है, उन्हें स्पष्ट है कि एक बार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी घरानों को सौंप दिया गया तो पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था का निजीकरण करने में समय नहीं लगेगा । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और शासन का निर्णय संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का है। शुरुआत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से की जा रही है। 13 जनवरी को समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता पूरे दिन काली पट्टी बंधेंगे और विरोध सभा करेंगे। आन्दोलन के अगले कदम 13 जनवरी को घोषित कर दिये जायेंगे।

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उन्होंने कहा बिजली का निजीकरण होने से सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव गरीबी रेखा से नीचे रह रहे आम बिजली उपभोक्ताओं और किसानों का होता है। इसे दृष्टि में रखते हुए संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है कि अवकाश के दिनों में ग्राम पंचायतों और शहरों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम बिजली उपभोक्ताओं के बीच में जाकर उन्हें निजीकरण से होने वाले गंभीर नुकसान की जानकारी दी जाएगी। मुम्बई में निजी क्षेत्र में बिजली है और वहां घरेलू उपभोक्ताओं को 17-18 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। संघर्ष समिति ने जहां जहां भी निजीकरण है वहां के बिजली टैरिफ का चार्ट बनाकर घर घर वितरित करने की वृहत योजना बनाई है।

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उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं के साथ निजीकरण का सबसे अधिक खामियाजा बिजली कर्मचारियों को उठाना पड़ेगा। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण होने से लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों और 26 हजार  नियमित कर्मचारियों की छंटनी होगी। कॉमन केडर के अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों की बड़े पैमाने पर पदावनति और छंटनी होने वाली है। जहां भी निजीकरण हुआ है वहां बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। विरोध सभा को ई0नरेंद्र वर्मा, राजेन्द्र सिंह, आर0के0 वाही, संतोष वर्मा, ई0एस0के सिंह, मदन श्रीवास्तव, रामकुमार झा, जितेंद्र कुमार आदि ने संबोधित किया।

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