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Wednesday, January 8, 2025

डिजिटल रिकॉर्ड भी होंगे सबूत, 31 मार्च तक सभी कमिश्नरेट में लागू होंगे नए कानून

नईदिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए तीन नए आपराधिक कानून दंड केंद्रित नहीं बल्कि पीड़ित केंद्रित हैं। इनका उद्देश्य त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फरवरी में नए कानूनों के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा कर इन कानूनों को जल्द लागू करने को कहा।


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अमित शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में नए आपराधिक कानूनों के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन से देश में अच्छा संदेश जाएगा। यूपी के सातों कमिश्नरेट में 31 मार्च, 2025 तक नए आपराधिक कानूनों का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित हो। सीएम को हर 15 दिन और मुख्य सचिव, डीजीपी को संबंधित अफसरों के साथ कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा करनी चाहिए। शाह ने कहा कि इसकी नियमित, निरंतर निगरानी होनी चाहिए कि दर्ज कुल जीरो एफआईआर में कितनी राज्यों को स्थानांतरित की गईं।

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हर जिले में फॉरेन्सिक मोबाइल वैन हो

तकनीक का उपयोग बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य के हर जिले में एक से अधिक फॉरेन्सिक मोबाइल वैन उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि फॉरेन्सिक विज़िट के लिए टीमों को तीन श्रेणियों गंभीर, सामान्य और अति सामान्य में बांटना चाहिए, जिससे संसाधनों, विशेषज्ञों का बेहतर उपयोग हो सके और गंभीर मामलों को प्राथमिकता दी जा सके।

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आरोपपत्र की मियाद तय

दुराचार में पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सात दिन में थाने,कोर्ट भेजी जाएगी। पहले लागू सीआरपीसी में समय सीमा तय नहीं थी। चार्जशीट की भी समय सीमा तय की जाएगी। 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा।

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ये होगा नए कानून में

  • राजद्रोह अपराध अब देशद्रोह
  • मॉब लिंचिंग में आजीवन कारावास या मौत की सजा
  • राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं।
  • एफआईआर, केस डायरी, चार्जशीट,जजमेंट सभी डिजिटल
  • तलाशी-जब्ती में आडियो वीडियो रिकार्डिंग जरूरी
  • बयान रिकार्ड कराने का विकल्प
  • भगोड़े की संपत्ति होगी जब्त
  • डिजिटल रिकार्ड भी साक्ष्य होंगे
  • भगोड़े की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा
  • एफआईआर दर्ज कर जांच, सुनवाई की समय सीमा तय

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नए कानून में एफआईआर दर्ज करने, जांच और सुनवाई के लिए समय सीमा तय कर दी गई थी। पीड़ित की शिकायत के तीन दिन में केस दर्ज करना जरूरी हुआ। सुनवाई कर 45 दिनों में कोर्ट को फैसला सुनाना होगा। पीड़ित थाने जाए बिना ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। पीड़ित को प्रगति से अवगत कराना जरूरी होगा। शून्य अपराध संख्या पर एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज करा सकते हैं। अब पुलिस रिमाण्ड अवधि 60,90 दिन तक दी जा सकती है।

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