वाराणसी: सर्दी के मौसम में ठंड, बुखार, सीजनल इन्फ्लूएंजा के लक्षणयुक्त मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। मौसमी परिवर्तन के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वच्छता पर कम ध्यान दिये जाने, अन्य लोगों के निकट संपर्क में रहते हुए बिना उचित सुरक्षा के खाँसने अथवा छीकने, तथा बंद स्थानों पर होने वाली बैठकों, समारोहों में साँस में संक्रमण करने वाले विभिन्न वायरस का प्रसार वर्तमान मौसम में सामान्यतः देखने को मिलता है। ऐसी स्थिति में सतर्क रहें और अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में तुरंत सम्पर्क करें| यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का.
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उन्होंने बताया कि सीजनल इन्फ्लूएंजा के अधिकांश वायरस हल्की फुल्की तथा स्वतः नियंत्रित हो जाने वाली श्वसन तंत्र की बीमारी करते हैं जिसमें बुखार तथा खांसी जैसे लक्षण पाए जाते हैं, परंतु कुछ मरीजों में विशेषकर वृद्ध व्यक्तियों, अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों अथवा अन्य बीमारियों वाली स्थितियों (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज – COPD, डायबिटीज़, कार्डियोवैस्कुलर रोग, गुर्दे अथवा जिगर की क्रोनिक बीमारी) से पीड़ित व्यक्तियों तथा गर्भवती महिलाओं में रोग के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। कम उम्र के बच्चे, वृद्ध व्यक्ति तथा संक्रमित स्थितियों से पीड़ित व्यक्ति इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमण के लिए उच्च जोखिम समूह में आते हैं। इसलिए सतर्क रहें।
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इन्फ्लूएंजा के प्रसार को रोकने हेतु जनमानस में जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है, इसके लिए रेस्पिरेटरी और हैंड हाइजीन के विषय में जानकारी (खांसते अथवा छींकते समय रुमाल, टिशू पेपर अथवा कोहनी से नाक और मुँह को ढकना, खुले स्थानों में धूकने से बचना, भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर यथासंभव मास्क का प्रयोग करना, बार-बार हाथों को धोना) का प्रचार जनमानस में किया जा रहा है। साथ ही जनता को इस रोग के लक्षणों के प्रकट होने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करने तथा लक्षणयुक्त व्यक्तियों के आइसोलेशन के विषय में भी जागरूक किया जा रहा है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि सीजनल इन्फ्लूएन्जा का उपचार अपने नजदीक सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है। सीजनल इन्फ्लूएन्जा के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी अस्पताल में सम्पर्क करें, साथ ही अपने मित्र परिवार व जान पहचान के व्यक्तियो से सीजनल इन्फ्लूएन्जा सम्बन्धित जानकारी अवश्य साझा करें। सीजनल इन्फ्लूएंजा के विषय में जनपद, ब्लॉक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य स्तर के चिकित्सालयों पर प्रशिक्षण दिया गया है, साथ ही फ्रन्ट लाइन वर्कर्स यथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर्स, एएनएम एवं आशा को भी इन्फ्लूएंजा के लक्षणों, बचाव के उपायों, गंभीर रोगियों के चिन्हीकरण एवं रेफरल के लिए प्रशिक्षित किया गया है। संक्रामक रोगों हेतु जनपद स्तरीय चिकित्सालयों सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को किसी असामान्य स्थिति के लिए रोगियों हेतु बेड आरक्षित करने के लिए निर्देशित किया गया है।
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बचाव के लिए क्या करें-
- हाथों को बार-बार धुलें
- अगर छींक आती हैं तो मुंह पर रूमाल रख लें
- पहले से बीमार, बुखार,खांसी और गले में खराश हुये लोगों के संपर्क में आने से बचें
- अस्पताल या अन्य भीड़भाड़ वाले इलाके से घर आने पर सैनिटाइजर का प्रयोग करें
- भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने पर मास्क का प्रयोग जरुर करें
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें और पौष्टिक आहार लें|
क्या न करें-
- हाथ न मिलाये, गले न लगें तथा दैनिक सम्पर्क में आने वाले अन्य लोगों से अभिवादन न करें।
- बिना हाथ धोए अपनी आँख, नाक या मुँह को न छूए ।
- सार्वजनिक जगहों पर न थूके तथा रुमाल अथवा टीसू पेपर का प्रयोग करें।
- चिकित्सक की सलाह के बिना दवा न लें।
- जंक फूड एवं तेलयुक्त भोजन का प्रयोग न करें।
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