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Tuesday, December 3, 2024

काशीवासियों की हुंकार, बांग्लादेश में बन्द हो हिन्दुओं पर अत्याचार

वाराणसी: बांग्लादेश में पिछले 4 महीनों से जारी हिन्दुआें पर अत्याचार के विरोध में काशी के हिन्दू समाज ने आवाज बुलन्द की। मंगलवार को 102 सामाजिक/धार्मिक/आर्थिक संगठनों ने एक स्वर में विरोध करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिन्दू एवं अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचार बंद हो।


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हिन्दू रक्षा समिति वाराणसी के तत्वाधान में भारत के महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने एवं विरोध प्रदर्शन का आयोजन नदेसर स्थित मिंट हाउस तिराहा (स्वामी विवेकानन्द प्रतिमा स्थल) से आरम्भ किया गया। प्रदर्शन स्वामी विवेकानन्द प्रतिमा स्थल से निकलकर दूरदर्शन केन्द्र होते हुए वरुणापुल, कचहरी होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचा। जहां जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन देते हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि बांग्लादेश के अन्दर चुनी हुई सरकार को षड़यंत्र के तहत गिराकर हिन्दू जेनोसाइड का प्लान डीप स्टेट ने रचा और इस षड़यंत्र के तहत मो0युनुस को शान्ति का नोबेल पुरस्कार दिया गया। इसी पुरस्कार के आधार पर मो0युनुस को बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार चलाने की जिम्मेदारी दी गयी। जो कानून की दृष्टि से भी विधि सम्मत नहीं थी। 

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उन्होंने कहा कि मो0 युनुस के नेतृत्व में हिन्दुआें के कत्ल का आगाज किया गया। मन्दिर तोड़े गये, हिन्दू बहन-बेटियों का मान मर्दन किया जा रहा। बांग्लादेश के ज्ञात तिहास में अब तक सबसे बड़ा हमला हिन्दुओं पर वर्तमान कार्यवाहक प्रधानमंत्री मो0युनुस के कार्यकाल में हो रहा। उन्होंने कहा कि अब हिन्दू समाज विश्व भर में उठ खड़ा हुआ है और ऐसी घटनाओं को सहन नहीं करेगा। 

स्वामी जितेन्द्रानन्द ने कहा कि ऐसे ही शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिन्दुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश सरकार द्वारा कारावास भेजना अन्यायपूर्ण है। काशी का हिन्दू समाज बांग्लादेश सरकार से यह आह्वान करता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार तत्काल बंद हों तथा श्री चिन्मय कृष्ण दास को कारावास से मुक्त करें। काशी का हिन्दू समाज भारत सरकार से भी यह आह्वान करता है कि वह बांग्लादेश में हिन्दुओं तथा अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के प्रयासों को हरसंभव जारी रखे तथा इस के समर्थन में वैश्विक अभिमत बनाने हेतु यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठायें।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की चुप्पी पर प्रश्न करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के सन्दर्भ में अभी तक उपरोक्त सभी ने क्या कार्यवाही की ? यह सम्पूर्ण हिन्दू समाज और भारत वर्ष जानना चाहता है। 

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दिव्यांगजनों ने की विरोध प्रदर्शन की अगुवाई

बात धर्म पर आयी तो दिव्यांगजन भी पीछे नहीं रहे। ‘‘शांति और सौहार्द चाहिए, जीने का अधिकार चाहिए। कल नहीं कुछ हल बचेगा, आज लड़े तो कल बचेगा।’’ जैसे उद्घोषों से लिखी तख्तियां लेकर अपने ट्राइसाइकल पर उन्होंने रैली की अगुवाई की। विरोध प्रदर्शन में उन्होंने बढ़चढ़कर अपनी सहभागिता दिखायी। प्रदर्शन में उपस्थित दिव्यांगजनों ने कहा कि जिस हिन्दू का खून न खौले, खून नहीं वो पानी है। कहा कि हिन्दू समाज में बहन-बेटियों को देवी का स्वरुप माना गया है। बांग्लादेश में हिन्दू बहन-बेटियों के पर हो रहे अत्याचार एवं हिन्दू के साथ अमानवीय व्यवहार हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक रमेश कुमार,  वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी, डा.राकेश तिवारी, सत्यप्रकाश सिंह, अरविन्द श्रीवास्तव, विद्यासागर राय, बिपिन सिंह, राजेश विश्वकर्मा, नितिन जी, कन्हैया सिंह, एमएलसी धर्मेन्द्र सिंह, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, पूजा दीक्षित, राघवेन्द्र समेत 102 संगठनों के सक्रिय कार्यकर्ता एवं नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन भारत विकास परिषद के प्रमोद राम त्रिपाठी एवं संचालन नवीन श्रीवास्तव ने किया।

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इन संगठनों के लोगों ने निभाई सहभागिता

भारत विकास परिषद, अखिल भारतीय संत समिति, विश्व हिन्दू परिषद्, विश्व संवाद केन्द्र, काशी, बजरंग दल, क्रीड़ा भारती, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, भाजपा, सेवा भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद्, महिला व्यापार मण्डल, जिला व्यापार मण्डल समेत काशी में संचालित अन्य धार्मिक/सामाजिक/आर्थिक संगठन के लोगों की सहभागिता रही।

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