वाराणसी: जिले में खराब पड़े 6900 बोर अब पाताल को रिचार्ज करने में अहम भूमिका निभाएंगे। इनकी मदद से तेजी से गिरते जलस्तर पर लगाम लगेगी। खराब बोर को चिह्नित किया जा चुका है। अब हर बोर से 6-7 घरों को जोड़ा जाएगा। इस तरह करीब 50 हजार घर को इनसे जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद इन घरों के बारिश का पानी सीधे पाताल में जाएगा। उप्र में इस तरह का यह पहला प्रयोग है।
सीडीओ हिमांशु नागपाल ने बताया कि सभी खराब बोर का प्रयोग रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम के रूप में किया जाएगा। बोर के पास एक चैंबर बनाकर उसे रेन हार्वेस्टिंग के मानक पर तैयार किया जाएगा। फिर उसी बोर के आसपास के छह से सात मकान को उससे जोड़ दिया जाएगा। उस हिसाब से करीब पचास हजार के आसपास मकान इन बोर से जुड़ जाएंगे और इन घरों पर होने वाली बारिश का पानी सीधे पाताल में चला जाएगा।
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साथ ही साथ सीडीओ हिमांशु नागपाल ने यह भी बताया कि खराब हो चुके बोर में अक्सर बच्चे, छोटे पशु गिर जाते हैं। इन्हें बंद कराया जाता है। लेकिन, हमने इन्हें रेन हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट से जोड़ने का फैसला किया है। बोर चिह्नित किए जा चुके हैं। इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है।
सीडीओ नागपाल ने बताया कि इससे जलस्तर गिरने से रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इसकी सभी संभावनाओं और चैंबर बनाने पर विशेषज्ञों से बात हो गई है।
जल संचयन की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा
IIT BHU के प्रो. प्रो. पी.के. मित्रा ने कहा कि यदि ऐसा कर रहे हैं और इसका संचालन सफल तरीके से कर ले गए तो यह मानकर चलिए कि जल संचयन की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम होगा। यह अच्छी पहल है। 50 हजार घर को उन बोर से जोड़ दिया गया तो इसे सरल तरह से समझा जाए तो जिस स्पीड से अभी जल स्तर गिर रहा है। उसमें आधी कमी आ जाएगी। इसी तरह यदि काशी के डेढ़ लाख घरों को प्रोजेक्ट बनाकर जोड़ लें तो हम गिरते जलस्तर को स्थिर करने में सफलता हासिल कर लेंगे। इसके अलावा जो ब्लॉक डार्क जोन में जा चुके हैं, यदि इसी तरह का प्रयोग उन ब्लॉक में किया जाए तो कुछ ही साल में वह ब्लॉक भी डार्क जोन से बाहर आ सकते हैं।
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