वाराणसी: सरकारी अस्पताल में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही का एक मामला सामने आया है जहां एक तरफ राज्य सरकार मरीजों की सुविधा और बेहतर इलाज को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है तो वही जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं ताजा मामला बीते दिन मंगलवार का है. पांडेपुर में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में चाँद खान अपनी मां का इलाज कराने पहुंचा था। आरोप हैं कि उस वक्त उसकी मां की हालत सामान्य थी परंतु डॉक्टरों द्वारा एक इंजेक्शन लिखा गया जोकि अस्पताल में उपलब्ध नहीं था बाहर की मेडिकल से वह इंजेक्शन खरीदा और डॉक्टर को लाकर दिया. इसके बाद इंजेक्शन लगाते ही चांद खान की मां की हालत अचानक बिगड़ गई.
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जब परिजनों ने
डॉक्टर से पूछा तब डॉक्टर कोई भी स्पष्ट जवाब देने के बजाय परिजनों को धमकाने लगा
और कहा कि यहां से लेकर जाओ नहीं तो तुम्हारे खिलाफ एफआईआर करवा देंगे वृद्ध महिला
को परिजन लेकर दूसरे अस्पताल जाने लगे तभी महिला की मौत हो गई। इसके बाद वृद्ध महिला
के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उल्टा
डॉक्टर द्वारा कहा गया जो करना है कर लो यह सब मेरे लिए आम बात है. वही मरीज के
परिजनों का कहना है कि डॉ द्वारा जो बाहर का इंजेक्शन लिखा गया था उसे लगाते ही
मरीज की जान चली गई।
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आपको बतादें कि मरीज
खजुरी निवासी बताया जा रहा है मृत मरीज के बेटे चांद का कहना है कि सरकार द्वारा
सरकारी अस्पताल में बाहर का दवा नहीं लिखा जाता है लेकिन दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल
में बराबर डॉक्टर चंद पैसो के लालच के कारण बाहर का दवा लिखते हैं यह इंजेक्शन
हमने ₹12000 में बाहर से खरीदा था. जिसे डॉक्टर परवेज आलम द्वारा
लगाया गया और इंजेक्शन लगाते ही मेरी माताजी का तबियत बिगड़ेने लगी और डॉ परवेज
आलम से जब मैंने पूछा तो वह अब कुछ भी बताये वापस ले जाने के लिए कहने लगे। जब हम
माँ को लेकर जाने लगे तबतक मेरी मां की मृत्यु हो गई। चांद खान का यह भी कहना है
कि क्या डॉक्टर इसी तरह बाहर की दवाइयां लिखते रहेंगे और मरीज को मारते रहेंगे।
क्या इसपर कोई भी अधिकारी संजान में नहीं लेगे। डॉ की लापरवाही से मेरी मां की जान
गई।
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जब पत्रकार
द्वारा चांद से पूछा गया कि मरीज को क्या हुआ था तो चांद ने कहा कि मेरी मां को
हल्का सा चक्कर आया था और वह यहां पर चलकर आई थी मेरा घर खजुरी में है मे मां टोटो
पर बैठकर यहां तक आई थी डॉ परवेज आलम मरीज को देखकर एडमिट किये हम लोग आए तो
डॉक्टर ने बाहर का इंजेक्शन लिखा। वह इंजेक्शन 12,000 रुपए का मुझे बाहर से मिला
और जब मैं लेकर आया तो इंजेक्शन लगाते ही मेरी मां की तबियत बिगड़ी और मृत्यु हो
गई ।
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न्याय की गुहार
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