Latest News

Thursday, October 24, 2024

जो संभल में हुआ वो वाराणसी में भी हो सकता है; पराली जलाने पर किसान भूख से मर जाएंगे, किसान सम्मान निधि और राशन कार्ड से हाथ धो बैठेंगे

वाराणसी: पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कृषि विभाग ने अब कड़ा रुख अपना लिया है. जिले में पराली जलाने के बढ़ते मामलों के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं. सरकार द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कई किसान नियमों की अवहेलना कर पराली जलाते नजर आए. अब इन किसानों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी, जिसमें 'किसान सम्मान निधि' और 'राशन कार्ड' जैसी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित करना शामिल है.


यह भी पढ़ें: उमरहा में धड़ल्ले से चल रहा अवैध पैथोलॉजी बिना किसी रजिस्ट्रेशन के, मरीजों के जिंदगी से खिलवाड़ का दोषी कौन?

84 मामलों पर कार्रवाई
संभल में पराली जलाने के 84 मामले सामने आने के बाद, कृषि विभाग ने दोषी किसानों पर '2 लाख से अधिक का जुर्माना' लगाया है, जिसमें से '1 लाख 62 हजार रुपये की वसूली' पहले ही की जा चुकी है. इसके अलावा, इन किसानों के 'तीन हार्वेस्टर' भी जब्त कर लिए गए हैं. पराली जलाने की वजह से वातावरण में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है, जिससे केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है. सरकार की तमाम कोशिशों और जागरूकता अभियानों के बावजूद पराली जलाने की यह समस्या किसानों द्वारा लगातार की जा रही है.

यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री आवास के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र सौंपने पहुंचे कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने अनियमितताएं देख बीडीओ को लगाई फटकार

सरकारी योजनाओं से होंगे वंचित
संभल में कृषि विभाग ने चेतावनी दी है कि जो किसान पराली जलाने के दोषी पाए जाएंगे, उन्हें 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' का लाभ नहीं मिलेगा. इसके साथ ही, इन किसानों के 'राशन कार्ड' भी निरस्त किए जाएंगे, जिससे वे सरकारी राशन का लाभ नहीं उठा पाएंगे. यही नहीं, इन किसानों को 'सरकारी कल्याणकारी योजनाओं' से भी वंचित कर दिया जाएगा. यह कदम उन किसानों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा, जो सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं.

कृषि यंत्र भी होंगे जब्त
संभल में किसानों के खिलाफ सख्ती यहीं नहीं रुकेगी. कृषि विभाग ने यह भी ऐलान किया है कि दोषी पाए जाने पर किसानों के 'कृषि यंत्रों' को भी जब्त किया जाएगा. इससे पराली जलाने के खिलाफ एक सख्त संदेश जाएगा और अन्य किसान भी नियमों का पालन करने के लिए मजबूर होंगे.

यह भी पढ़ें: महाकुम्भ 2025 से पहले हर हाल में पूरा करें गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण- नन्दी

जागरूकता के बाद भी लापरवाही
सरकार और पर्यावरण विभाग द्वारा पराली जलाने के नुकसान को लेकर कई जागरूकता अभियान चलाए गए, फिर भी कई किसान नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. यह स्थिति केवल कृषि क्षेत्र के लिए, बल्कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है. पराली जलाने से उठने वाला धुआं कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है, जिनमें श्वास संबंधी समस्याएं प्रमुख हैं.

सख्त कदमों की ज़रूरत
सरकार द्वारा उठाए गए इस सख्त कदम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पराली जलाने से रोकना है. कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब तक कड़े कदम नहीं उठाए जाते, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी. इसके साथ ही, वे किसानों को वैकल्पिक उपायों के बारे में जागरूक करने का भी प्रयास कर रहे हैं, जैसे पराली का उपयोग खाद बनाने में किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा और खेती को लाभ भी मिलेगा.

यह भी पढ़ें: वाराणस विका प्राधिकर  सख् कार्रवा, अवै निर्मा  55,000 रुपय  जुर्माना

No comments:

Post a Comment