वाराणसी: विकास खण्ड चिरईगांव के परिषदीय विद्यालयों में सोमवार को शिक्षकों ने आनलाईन उपस्थिति के विरोध में बांह पर काली पट्टी बांध कर विरोध जताया। शिक्षक संगठन की ओर से आनलाईन उपस्थिति के विरोध के लिए बाकायदा निर्देश जारी किया गया है जिसका असर विद्यालयों में सोमवार को देखने को मिला। विरोध का फोटो बनाकर शिक्षक संगठन ग्रुप के वाट्सएप ग्रुप पर भी अपलोड करने में तनिक देर नहीं किया।
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अगर ख़बरों कि माने तो ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध करने के भी कई कारण हो सकते है जैसा कि कई बार हमने खबरों के माध्यम से खण्ड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी अवगत करवाया था. कि कई शिक्षक ऐसे है जो टाइम से विद्यालय नहीं पहुचते है या फिर दिन भर अपने निजी कार्यों में व्यस्त रहते है. लेकिन अगर अब ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करवाना है तो गुरूजी के अपने निजी कार्य बंद करके विद्यालय आना होगा शायद यही वजह है विरोध का.
दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि अब गुरु जी को समय से विद्यालय आना होगा और जो उनकी नेतागिरी कि दुकान है वह भी बंद हो सकती है. क्योकि कुछ शिक्षक ऐसे भी है जो राजनीती में भी सम्मिलित रहते है अगर ऑनलाइन उपस्थिति देनी होगी तो वो नेताओं से मिल नही पाएंगे और जो क्षेत्र में भोकाल है वह नही रहेगा. एक बात और है कि कभी शिक्षक संगठन ने शिक्षकों के टाइम पर विद्यालय पहुचने का कोई फरमान जारी नही किया और आन्दोलन का फरमान तो तुरंत जारी कर दिया जाता है. क्या कभी शिक्षक संगठन ने इस पर विचार किया है?
लेकिन अब तो आलम यह है कि देश के नौनिहालो के भविष्य संवारने और एक अच्छे नागरिक बनाने की जिम्मेदारी निभाने वाले गुरुजी अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन खड़ा करने में जुटे हैं। विभागीय दिशा निर्देशो का अनुपालन अनसुना कर आनलाईन उपस्थिति का विरोध शिक्षक संगठन एक सुर से कर रहा है। विरोध का प्रदर्शन आनलाईन दर्शाने में उन्हें तनिक भी गुरेज नही है। आखिरकार जब विद्यालय जाना ही है तो आनलाईन उपस्थिति का विरोध कैसा? यह बात अब गुरूजी को अब भला कौन समझाये।
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