वाराणसी: देश का पहला हाइड्रोजन जलयान 10 जुलाई तक बनारस पहुंच सकता है। एक पखवारे पहले वह कोलकाता से चला था। रास्ते में कम पानी होने की वजह से उसे बनारस पहुंचने में समस्या हुई। हालांकि जलयान ने आधा सफर पूरा कर लिया है। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण का प्रयास है कि जलयान के संचालन को पर्याप्त हाईड्रोजन सुलभ हो ताकि गंगा में उसका ट्रायल पूरा किया जा सके।
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रामनगर मल्टीमाडल टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट हो रहा स्थापित
छह महीने परीक्षण कोचीन शिपयार्ड ही करेगा, वहीं अपने स्तर से हाईड्रोजन गैस की व्यवस्था करेगा। इसके लिए रामनगर मल्टीमाडल टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट स्थापित करने की दिशा में काम शुरू हुआ है। यहीं से सिलेंडर में भरकर हाईड्रोजन जलयान तक पहुंचाए जाएंगे और नदी में संचालन किया जाएगा। ट्रायल पूरा होने के बाद जलयान को पर्यटन विभाग अपनी निगरानी में संचालित करेगा। किराया और रूट निर्धारण किया जाएगा। हैंडओवर की प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद तीन स्थायी हाईड्रोजन प्लांट स्थापित होंगे। प्राधिकरण की तरफ से प्रतिदिन 1500 किलोग्राम गैस उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्पादन शुरू करने के लिए दो कंपनियों से बातचीत अंतिम दौर में है।
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सितंबर में काशी आएगा दूसरा इलेक्ट्रिक कैटामरान, डिजाइन में बदलाव
कोचीन शिपयार्ड के महाप्रबंधक शिवराम ने बताया कि बनारस, मथुरा और अयोध्या को एक-एक और इलेक्ट्रिक कैटामरान मिलेगा। कोलकाता में निर्माण कार्य शुरू किया गया है। सितंबर के अंतिम सप्ताह से निर्धारित स्थानों पर भेजा जाने लगेगा। बनारस और अयोध्या में एक-एक कैटामरान पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है। गंगा में संचालन भी हो रहा है, लेकिन निर्माणाधीन दूसरे कैटामरान में कई बदलाव किए गए हैं। तकनीकी रूप से समृद्ध किया जा रहा है। डिजाइन भी बदलेगा। बालकनी समेत कई सुविधाएं लोगों को सुलभ कराई जाएंगी। इस दिशा में कार्य तेज कर दिया गया है। नोएडा आइडब्ल्यूएआइ मुख्य अभियंता तकनीकी विजय कुमार दियलानी के अनुसार, शुरूआत में कोचीन शिपयार्रड में इसे तैयार किया गया।
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