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Sunday, June 23, 2024

बांस चारकोल से बढ़ेगा उत्पादन, जापानी टीम ने किसानों के साथ किया सेमिनार

वाराणसी: विकास खण्ड चिरईगांव में खेती की उर्वरता बढ़ाने, जल शोधन और स्थिर उत्पादन के संबंध में शनिवार की शाम मुस्तफाबाद पंचवटी में जायका सहायतित "वन आधारित गंगा अनुकूलन आजीविका परियोजना" के तहत बांस के कोयले के उपयोग पर ओइस्का जापान की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को जैविक खेती और बांस के कोयले के उपयोग के बारे में बताया गया।


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सेमिनार में जापान से आए कृषि विशेषज्ञों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से मुस्तफाबाद और चांदपुर के किसानों को खेती में बांस के कोयले के उपयोग व जैविक खेती के माध्यम से स्थिर उत्पादन पाने के तरीके बताए। बांस से कोयला बनाने के लिए भट्टे के निर्माण की जानकारी दी गई।

इसमें मुख्य अतिथि के रूप में जापान दूतावास के शुन होसाका ने भारत और जापान के मित्रवत रिश्तों को और मजबूत करने की बात कही। जायका की एनजीओ डेस्क कोआर्डिनेटर तुलिका भट्टाचार्य ने परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वाराणसी में यह परियोजना पहली बार शुरू की गई है। वाराणसी के रमना, चांदपुर और मुस्तफाबाद में यह परियोजना चार वर्षों तक संचालित की जाएंगी।

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साथ ही जापान से आये कृषि विशेषज्ञ आकियो चिकुडा ने किसानों को बताया कि अच्छी मिटटी होने के लिए तीनों गुण जैसे शारीरिक, रासायनिक और जैविक का संतुलन में होना बहुत जरुरी है. उन्होंने किसानों को बताया कि अच्छी मिटटी बनाये रखने के लिए बांस का कोयला बहुत ही प्रभावी है. बांस के कोयले के इस्तेमाल से रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी, मिटटी के पोषक तत्व बने रहेंगे.

साथ ही उन्होंने जैविक खाद बनाने कि विधि किसानों के साथ साँझा किया और खाद बना कर भी दिखाया. साथ ही जापान से आये बांस के चारकोल के विशेषज्ञ आत्सुशी चिदा ने बताया कि कोयला मृदा सुधर में, पानी कि गुणवत्ता सुधार में, वायु सुधार में बहुत ही उपयोगी है. इस कार्यक्रम में ओइस्का इंटरनेशनल जापान से आई यूरी यामामोटो, बांस चारकोल के विशेषज्ञ तद्फ्युमि नाकामुरा, कृषि विशेषज्ञ रयोइची सशो, ओत्सुकी केई उपसचिव जापान दूतावास, डॉ. अम्लान कुमार घोष प्रोफ़ेसर भूमि विज्ञानं एवं कृषि बी.एच.यू., मुस्तफाबाद प्रधानपति पारस, चांदपुर प्रधानपति संजय सोनकर ने भाग लिया.   

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