वाराणसी: जिले में जनपद स्तरीय चिकित्सालयों सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्थाएं की गई हैं। स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीएमआर के संयुक्त तत्वाधान में योजनाबद्ध तरीके से हार्ट अटैक से होने वाली मौत से निपटने की तैयारी की गई है।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि 62 वर्षीय हड़ीयाडीह निवासी एक व्यक्ति के सीने में तेज दर्द के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर में शुक्रवार को उपचार के लिए लाए गए। चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ आर बी यादव एवं डॉ संतोष यादव एवं पैरामेडिकल चिकित्सा कर्मियों के द्वारा तत्काल ईसीजी करके रोगी के स्थिति के बारे में संपूर्ण जानकारी की गई तथा विंडो पीरियड के अंतर्गत ही रोगी को थ्रंबोलाइज्ड कर जान बचाई गई।
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सीएमओ ने बताया कि अब तक जनपद में विभिन्न चिकित्सालयों में संचालित हार्ट अटैक सेंटर पर 59 आए रोगियों की जान बचाई जा चुकी है। इस प्रकार जनपद में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केद्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर हृदयाघात के रोगियों का इलाज करने वाली पहली सीएससी बन गई है । अब तक कल 59 हृदयाघात के रोगियों का इलाज जनपद स्तरीय चिकित्सालय एवं सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किया जा चुका है जिसमें 29 रोगियों का पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय पांडेपुर, 25 रोगियों का श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडली चिकित्सालय कबीर चौरा एवं चार रोगियों का स्वामी विवेकानंद मेमोरियल राजकीय चिकित्सालय भेलूपुर में इलाज किया जा चुका है।
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सीएमओ ने बताया कि थ्रांबोलिसिस थेरेपी के अंतर्गत एक विशेष प्रकार का इंजेक्शन लगाकर मरीज के नसों में रक्त के अवरुद्ध प्रवाह को दूर करने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है। हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदयाघात की समस्या दिखाई देने पर उसे थ्रंबोलाइसिस थेरेपी दी जाती है, इससे मरीज ठीक हो जाता है। आवश्यकता पड़ने पर इससे मरीज को समय मिल जाता है तथा मरीज नजदीकी बड़े केंद्र पर जाकर आवश्यकतानुसार एंजियोप्लास्टी या अन्य जरूरी उपचार करा सकता है। सीएमओ ने बताया कि जनपद में हृदयाघात परियोजना को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो धर्मेंद्र जैन के सहयोग से चलाया जा रहा है। बीएचयू ‘हब’ एवं जनपद के राजकीय चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ‘स्पोक’ के रूप में कार्य कर रहे हैं।
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