वाराणसी: सबसे बड़ी साइबर ठगी को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड और हैकर्स को साइबर क्राइम सेल ने दबोच लिया है। सेंट जांस मड़ौली की रिटायर्ड शिक्षिका से तीन करोड़ 55 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने वाले बैंककर्मी ही निकले। गिरोह में शामिल एक ICICI बैंक लखनऊ का रीजनल हेड तो दूसरा HDFC बैंक का कैशियर है, दोनों आपस में सगे भाई हैं।
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दोनों भाइयों ने मिलकर गैंग बनाया और बैंक समेत मोबाइल और साइबर की टेक्निकल जानकारी रखने वाले दोस्तों को शामिल किया। इसके बाद लोगों से साइबर ठगी शुरू कर दी। कोई बैंक का सबूत मांगता तो वीडियोकॉल करके खुद को बैंक में दिखा देते।
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गैंग के साथ मिलकर दोनों भाइयों ने अब तक कई वारदातों को अंजाम दिया। गिरफ्तारी का भय दिखाकर साइबर ठगों ने स्काई एप डाउनलोड कराया फिर फोन स्क्रीन शेयर कर महिला के बैंक खाते को साफ कर दिया। आरोपियों से पुलिस को कई सुराग मिले हैं।
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डीसीपी क्राइम और एडीसीपी काशी चंद्रकांत मीणा ने बताया कि सिगरा थाना क्षेत्र के रथयात्रा स्थित अमलनाथ अपार्टमेंट निवासी अशोक रक्षित की पत्नी शम्पा रक्षित सेंट जांस मड़ौली की रिटायर्ड शिक्षिका हैं। 8 मार्च को शम्पा रक्षित को सुबह नौ बजे अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉर्टी का बताकर दो घंटे में फोन बंद होने की चेतावनी दी। इसके साथ यह भी बताया कि अभी आपके पास पुलिस का फोन आएगा।
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फोन कटने के कुछ मिनट में शंपा के नंबर पर महाराष्ट्र के विले पार्ले पुलिस स्टेशन से इंस्पेक्टर विनय चौबे के नाम से फोन आया और दूसरे मोबाइल नंबर को आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त बताया। शम्पा ने मना किया तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की धमकी दी और मुंबई स्थित विले पार्ले पुलिस स्टेशन आने की बात भी कही। फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर इन साइबर ठगों ने पूरे परिवार को धमकाया।
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