लखनऊ: यूपी की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से गुरुवार रात को मौत हो गई. माफिया मुख्तार को उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में रात 8:25 बजे जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. कार्डियक अरेस्ट की वजह से माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की वजह बताई गई है.
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धारा 144 लागू
यूपी के मऊ, गाजीपुर और बांदा जिले में धारा 144
लागू कर दी गई है. मऊ और गाजीपुर और बांदा में सुरक्षा बढ़ दी गई
है. बांदा मेडिकल कॉलेज के बाहर बड़ी संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्स की तैनाती की
गई है. डीजीपी मुख्यालय ने सतर्कता बरतने के निर्दश दिए हैं.
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मस्जिदों में भी सुरक्षा का कड़ा पहरा
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद मस्जिदों में भी सुरक्षा का
कड़ा पहरा रहेगा. गाजीपुर और मऊ की मस्जिदों में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स
तैनात रहेगी. मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान किसी भी तरह के ऐलान के मद्देनजर
पुलिस फोर्स की तैनाती रहेगी. शुक्रवार की नमाज के बाद भीड़ को एक जगह एकत्रित
नहीं होने दिया जाएगा. मस्जिदों से निकलने वाली भीड़ को टुकड़ों में बांटकर घरों
के लिए रवाना किया जाएगा.
पोस्टमार्टम से पहले
पुलिस पंचनामा करेगी
पोस्टमार्टम से पहले पुलिस पंचनामा करेगी. पुलिस पांच व्यक्तियों को
पंचांग के रूप में नियुक्त करते हुए पंचनामा की
कार्यवाही करेगी. पुलिस भी मजिस्ट्रेट से पंचनामा कराने की गुजारिश कर सकती है.
हालांकि पंचनामा की कार्यवाही के लिए उपनिरीक्षक स्तर
का पुलिस अधिकारी मौजूद रहेगा.
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कब-कब हुई मुख्तार को सजा
21 सितंबर 2022 को राजधानी लखनऊ के आलमबाग
थाने में दर्ज मामले में मुख्तार को 7 साल की सजा हुई. 23
सितंबर 2022 को हजरतगंज कोतवाली लखनऊ में दर्ज
केस में मुख्तार को 5 साल की सजा हुई. 15 दिसंबर 2022 को हजरतगंज कोतवाली लखनऊ में दर्ज एक
दूसरे केस में मुख्तार को 5 साल की सजा. 29 अप्रैल 2023 को मोहम्मदाबाद कोतवाली गाजीपुर में
दर्ज मुकदमे में 5 साल की सजा. 5 जून 2023
को थाना चेतगंज वाराणसी में दर्ज मामले में उम्र कैद की सजा. 26
अक्टूबर 2023 को थाना करंडा गाज़ीपुर में दर्ज
मामले में 10 साल की सजा. 15 दिसंबर 2023
को थाना भेलूपुर वाराणसी में दर्ज केस में 5 साल
6 महीने की सजा और 13 मार्च 2024
को कोतवाली मोहम्मदाबाद गाजीपुर में दर्ज केस में उम्र कैद की सजा
हुई.
मुख्तार अंसारी 5 बार विधायक रहा है. पहली बार मऊ
सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीत हासिल की
थी. वर्ष 2002 और 2007 में
निर्दलीय विधायक बना. बसपा से निकाले जाने के बाद मुख्तार ने कौमी एकता दल के नाम
से बनाई थी अपनी पार्टी. कौमी एकता दल से ही 2012 का
विधानसभा चुनाव मुख्तार ने जीता था. 2017 में भी मुख्तार
अंसारी ने फिर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता. 2009 के
लोकसभा चुनाव में मुख्तार ने वाराणसी से भाजपा के डॉ मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ
चुनाव लड़ा था. माफिया मुख्तार अंसारी डॉ. मुरली मनोहर जोशी से
करीब 17000 वोटो से हार गया था.
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