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Friday, February 2, 2024

वाराणसी में हार्ट अटैक के रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही ‘स्टेमी केयर परियोजना’ – सीएमओ

वाराणसी: जनपद के राजकीय चिकित्सालयों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) पर संचालित हृदयाघात देखभाल परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) के तहत प्रदान की जा रही इलैक्ट्रो कार्डियोग्राफी (ईसीजी) व थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया हृदयाघात रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है। जनपद के तीन राजकीय चिकित्सालय क्रमशः डीडीयू चिकित्सालय पाण्डेयपुर, एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीर चौरा, एसवीएम राजकीय चिकित्सालय भेलूपुर व 11 सीएचसी पर ईसीजी व थ्रंबोलिसिस की सुविधा उपलब्ध है। इन्हीं चिकित्सा इकाइयों में लगभग 2400 मरीजों को ईसीजी की सेवाएं दी जा चुकी हैं। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी।


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सीएमओ ने बताया कि जनपद में आईसीएमआर की हृदयाघात परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो धर्मेंद्र जैन व रिसर्च साइंटिस्ट डॉ पायल सिंह के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। परियोजना के तहत बीएचयू ‘हब’ एवं जनपद के सभी राजकीय चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ‘स्पोक’ के रूप में कार्य कर रहे हैं। जनपद में इस परियोजना की शुरुआत 25 दिसंबर 2023 से हुई थी। सीएमओ ने बताया कि 25 दिसंबर से 31 जनवरी 2024 तक 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 232, एसवीएम चिकित्सालय में 132, डीडीयू चिकित्सालय में 1097, एसएसपीजी में 593 और सभी शहरी पीएचसी पर 365 मरीजों को ईसीजी सेवा प्रदान की गई। अब तक कुल 2419 मरीजों को ईसीजी की सेवा दी जा चुकी है तथा गंभीर 19 हृदयाघात के मरीजों क्रमशः डीडीयू चिकित्सालय में 10, एसएसपीजी चिकित्सालय में आठ और एसवीएम चिकित्सालय में एक मरीज को थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया से नया जीवन दिया गया। 

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रिसर्च साइंटिस्ट डॉ पायल सिंह ने बताया कि ईसीजी के माध्यम से हृदयाघात के मरीज की जांच की जाती है। व्यक्ति को सीने में अचानक से तेज दर्द होने पर यदि वह एक घंटे के अंदर गोल्डन आवर में ही चिकित्सालय पहुँच जाता है तो उसे थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन देकर उसे स्थिर किया जा सकता है। वहीं व्यक्ति को सीने में लगातार दर्द हो रहा हो तथा वह चार से छह घंटे में चिकित्सालय पहुँच जाता है तो उस विन्डो पिरीयड में थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया पूर्ण की जा सकती है तथा मरीज की जान बचाई जा सकती है। यदि रोगी के सिने में लगातार दर्द हो रहा है तो ऐसी स्थिति में भी मरीज 12 घंटे के अंदर चिकित्सालय पहुँच जाता है तो उस पीरियड में भी थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन देकर से उसे स्थिर किया जा सकता है। थ्रंबोलिसिस प्रक्रिया के अंतर्गत लगाए जाने वाला इंजेक्शन, मरीज के नसों में रक्त के अवरुद्ध प्रवाह को दूर करने की प्रक्रिया को पूरा करता है। इससे मरीज स्थिर हो जाता है और उसकी जान बच जाती है। बाहर इस इंजेक्शन की कीमत अत्यधिक है। लेकिन सरकारी चिकित्सा इकाइयों में सरकार की ओर से प्रदान किया जा रहा है। हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदयाघात की समस्या दिखाई देने पर उसे थ्रंबोलाइसिस थेरेपी दी जाती है, इससे मरीज ठीक हो जाता है। आवश्यकता पड़ने पर इससे मरीज को समय मिल जाता है तथा मरीज नजदीकी बड़े केंद्र पर जाकर आवश्यकतानुसार एंजियोप्लास्टी या अन्य जरूरी उपचार करा सकता है।

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ऐसे बचाई गई जान – 75 वर्षीय हाजीपुर थाना चोलापुर निवासी रामजीत राजभर को बृहस्पतिवार देर रात को सीने में तेज दर्द उठा। इसके बाद परिवार वाले उन्हें डीडीयू चिकित्सालय पर उपचार के लिए ले गए। इसके बाद चिकित्सकों की टीम व पैरामेडिकल चिकित्सा कर्मियों के द्वारा तत्काल ईसीजी करके रोगी की स्थिति के बारे में संपूर्ण जानकारी ली गई तथा विंडो पीरियड के अंतर्गत ही थ्रंबोलाइज्ड कर रामजीत की जान बचाई गई। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और आवश्यक दवा ले रहे हैं।

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