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Friday, February 23, 2024

संत गुरु रविदास जी: एक महान संत और समाज सुधारक

डॉ राहुल सिंह निर्देशक राज ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन वाराणसी की कलम से 

संत गुरु रविदास जी भारत के महान संतों में से एक हैं जिन्होंने अपने जीवन के दौरान समाज को सुधारने के लिए अपने जीवन का समर्पण किया। उन्होंने समाज में जाति विभेद को खत्म करने के लिए अपनी शिक्षाओं और विचारों का प्रचार किया। रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित काशी नगर में सन् 1377 में हुआ था। उनके माता-पिता सांची नाम के लोग थे जो जाति के स्थान पर थोकबादों में काम करते थे। रविदास जी ने अपनी जीवन भर भगवान की भक्ति में गुजारी और अपनी शिक्षाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।


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रविदास जी ने अपने समय में जाति विभेद को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने लोगों को शिक्षित करने के लिए अपनी रचनाओं का प्रचार किया और उन्हें सबक सिखाया कि सभी मनुष्य एक समान होते है हमें एक दूसरे से बेदभाव नहीं करना चाहिए! अब बात मेरे दिल से निकलेगी। संत गुरु रविदास जी के जीवन और कार्य ने मुझे एक सच्चे भारतीय के रूप में संजोया है। जैसे रविदास जी ने अपनी जीवन के दौरान समाज को सुधारने के लिए अपने जीवन का समर्पण किया, वैसे ही हम सभी को अपने समाज और देश के उन्नति के लिए अपने जीवन का समर्पण करना चाहिए।

रविदास जी ने जाति विभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और सभी लोगों को समान माना। उन्होंने दुनिया को बताया कि हर इंसान का अधिकार है समान होने का। वो दिखाएं देते हैं कि हम सभी को एक साथ रहकर ही समाज और देश को ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। रविदास जी के जीवन के बारे में सोचकर मेरा दिल गुदगुदा उठता है। वो इतने महान संत थे जो हमारे समाज को सुधारने के लिए अपना सब कुछ गवां दिया। उन्होंने हमारे देश के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज हमें संत गुरु रविदास जी के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की आवश्यता है! संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज को सत् सत् नमन!

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संत गुरु रविदास जी एक महान संत और समाज सुधारक थे, जिनका योगदान भक्ति, सामाजिक सुधार, और मानवता के मूल्यों को समर्पित रहा। उनका जन्म सन् 1377 में वाराणसी के पाराव पट्टन गांव में हुआ था और उनके पिता का नाम संतोषदास था, जो चमार जाति से थे। गुरु रविदास जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानकर उनकी महत्वपूर्ण भूमिका विश्लेषित होती है। धार्मिक योगदान: गुरु रविदास जी ने अपने जीवन को भक्ति और ध्यान में समर्पित किया। उनकी भक्ति रचनाएं गीत, दोहे, साखी, और भजनों के रूप में थीं, जो लोगों को भगवान के प्रति प्रेम में भरने के लिए प्रेरित करती थीं। उनका धार्मिक संदेश आज भी लोगों को आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता, और एकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। 

सामाजिक सुधारक: गुरु रविदास जी ने समाज में सुधार के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। उन्होंने जातिवाद, भेदभाव, और सामाजिक असमानता के खिलाफ उठकर समाज को समानता और न्याय की ओर प्रेरित किया। उनकी सामाजिक उपलब्धियां आज भी हमें समर्थन, साहस, और समाज में समर्पितता की दिशा में प्रेरित करती हैं। भक्ति साहित्य का संदृष्टान: उनके द्वारा रचित भक्ति साहित्य ने धार्मिक और सामाजिक सिद्धांतों को सार्थक बनाया। गुरु रविदास जी की रचनाएं लोगों को उद्दीपन, साधना, और सच्चे प्रेम के माध्यम से अद्वितीय परमात्मा के साथ साक्षात्कार की ओर प्रेरित करती हैं। 

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शिक्षा और सेवा का समर्थन: गुरु रविदास जी ने शिक्षा को महत्वपूर्ण माध्यम माना और अपने शिष्यों को उच्चतम शिक्षा की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सामाजिक सेवा में भी योगदान किया और अपने शिष्यों को समाज की सेवा में समर्थ बनाने के लिए प्रेरित किया। आदर्श गुरु और शिक्षा: गुरु रविदास जी ने अपने शिष्यों को आदर्श गुरु के रूप में अपनाया और उन्हें धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पित किया। उनका शिक्षाएं और संदेश आज भी हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

संत गुरु रविदास जी का योगदान एक सजीव प्रेरणा स्रोत है, जो हमें धार्मिकता, सामाजिक समर्थन, और मानवता के मूल्यों का समर्पण करने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। उनका संदेश आज भी हमें सच्चे प्रेम और समर्पण की ओर प्रेरित करता है, जिससे समृद्धि और समर्थन का एक सशक्त समाज बन सकता है।

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