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आपको बता दें कि बीते एक हपते से सीवेज का मेंटेनेंस का कार्य करने वाले ठेकेदारों ने इस कार्य को करना बंद कर दिया है। कार्य बंद करने से पहले अभी ठेकेदारों ने महापौर अशोक तिवारी को एक ज्ञापन दिया। जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि पिछले डेढ़ से 2 साल से हमारा जो पैसा है वह हमें नहीं मिल रहा है जिसकी वजह से हम यह काम नहीं कर सकते जब तक हमारा पेमेंट नहीं मिल जाता।
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ठेकेदार अशोक कुमार सिंह और धर्मपाल सिंह ने बताया कि हम लोग नगर निगम में महापौर से मिले महापौर ने हमसे करीब 1 घंटे तक बात किया जिसमें उन्होंने यह साफ किया कि हमारे पास इसके लिए बजट नहीं आता है तो हम कहां से दें। इससे नाराज होकर जितने भी ठेकेदार थे उन लोगों ने एक ज्ञापन महापौर को दिया। उसने उन्होंने कहा है कि जब तक हमें हमारा पैसा नहीं मिल जाता तब तक हम सिविल ट्रीटमेंट प्लांट हो या फिर सीवर का मेंटेनेंस हो हम नहीं कर सकते।
अब तो हालत यह हो गई है कि कई घाटों पर सीवर का गंदा जल सीधे मां गंगा के जल से मिल रहा है। लेकिन अभी तक इसके बारे में ना ही नगर निगम के किसी अधिकारी ने और ना ही महापौर की तरफ से कोई कदम उठाया गया। अब देखना यह है कि आखिरकार ऐसा कब तक होता है। क्या नगर निगम महापौर के आदेश पर इनको जो ठेकेदार है उनको पैसा देता है या अभी यह लड़ाई और भी लंबी चलती है।
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