वाराणसी: फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। यह ने हो इसके लिए शनिवार को चोलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान का शुभारंभ किया गया। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वाराणसी मण्डल की अपर निदेशक डॉ मंजुला सिंह एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर अपर निदेशक ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) शिव नारायण सिंह को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने क्षेत्रीय लोगों को ट्रिपल ड्रग थेरेपी आइवर्मेक्टिन, डीईसी और एल्बेण्डाज़ोल (आईडीए) दवा का सेवन कराया। साथ ही दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर घर के सभी सदस्यों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित भी किया। इसके साथ ही अपर निदेशक व मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों के अधिकारियों तथा स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करने एवं अन्य लोगों को भी दवा सेवन कराने को लेकर शपथ दिलाई।
यह भी पढ़ें: उपायुक्त काशी-जोन ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और पुलिस भर्ती के परीक्षा केन्द्रों का किया निरिक्षण
अपर निदेशक ने कहा कि 28 फरवरी तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान जनपद के चोलापुर ब्लॉक व जैतापुर क्षेत्र में चलाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का कार्य कर रहे हैं। अभियान में ‘डीईसी एवं एल्बेण्डाजोल’ दवा आयु वर्ग के अनुसार तथा आइवरमेक्टिन दवा ऊंचाई व उम्र के अनुसार खिलाई जा रही है। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। शेष सभी लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है और दवा की सही खुराक सभी सेवन कर लें इसलिए इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है, इससे बचाव का उपाय जागरूकता और दवा का सेवन करना है। इसकी दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रमाणित हैं। यह दवाएं सुरक्षित हैं व फाइलेरिया रोग से बचाव में कारगर हैं।
यह भी पढ़ें: रोहनिया पुलिस ने 1.5 किलो गंजा और अवैध देशी तमंचा के साथ दो पुरुष और एक महिला को किया गिरफ्तार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी में पैरों और हाथों में सूजन के अलावा पुरुषों के अंडकोष में व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। यह सूजन मच्छर काटने के बाद 5 से 15 साल बाद आती है। एक बार सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जा रही है। यह दवाएं व्यक्ति के शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवियों को नष्ट कर देती हैं और लोग इस बीमारी से सुरक्षित हो जाते हैं।
नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने कहा कि चोलापुर में करीब 2.81 लाख एवं जैतपुरा क्षेत्र में 66,200 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का लक्ष्य रखा है। स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लक्षित व्यक्तियों को दवा खिलाएंगे। अधीक्षक डॉ आरबी यादव ने सीएचसी पर जांच व उपचार के लिए आए लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित किया।
यह भी पढ़ें: गांव चलो अभियान : भाजपा महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय ने गिनाई सरकार की योजनाएं
इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी एससी पाण्डेय, बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह, एचईओ शिखा श्रीवास्तव, एआरओ राजेश श्रीवास्तव, बीसीपीएम सीमा यादव समेत अन्य अधिकारियों व स्वास्थ्यकर्मियों ने दवा का सेवन किया। इस मौके पर चोलापुर सीएचसी का समस्त स्टाफ, एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की प्रशिक्षक व छात्राएँ, अन्य विभागीय अधिकारी, सहयोगी संस्था सीफार, पाथ, पीसीआई के प्रतिनिधि एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment