वाराणसी: पुलिस आयुक्त वाराणसी के अनुमोदनोपरान्त अपर पुलिस उपायुक्त महिला अपराध की अध्यक्षता में महिलाओ के विरुद्ध घटित अपराध तथा कार्यस्थल पर महिलाओ का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम, 2013 आदि विभिन्न विषयो पर वाद-संवाद गोष्ठी कर कमिश्नरेट वाराणसी के समस्त थानो, रिजर्व पुलिस लाइन व पुलिस कार्यालय से गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाली महिला आरक्षियो से परिचय प्राप्त कर उपरोक्त विषयो के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण जैसे महिला सुरक्षा, महिला स्वावलंबन और महिला सम्मान के प्रति जन जागरूकता हेतु उत्साहवर्धन किया गया। इस दौरान ममता रानी अपर पुलिस उपायुक्त महिला अपराध, प्रज्ञा पाठक सहायक पुलिस आयुक्त महिला अपराध, रेनू मिश्रा कार्यकारी निदेशक आली (AALI) संस्थान लखनऊ उ0प्र0, रिजवाना परवीन मंडलीय सलाहकार यूनीसेफ उ0प्र0, निरूपमा सिंह संरक्षण अधिकारी जिला बाल कल्याण इकाई वाराणसी व आरक्षी विराट सिंह साइबर सेल कमि0 वाराणसी एवं लगभग 200 की संख्या में महिला आरक्षी मौजूद रहे।
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रिजवाना परवीन मंडलीय सलाहकार यूनीसेफ
उ0प्र0 द्वारा भारत में महिलाओ का अधिकार-एक परिचय देते हुए बताया गया कि लैंगिक
उत्पीड़न के परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 के अधीन
समता तथा संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन प्राण और गरिमा से जीवन व्यतीत करने के
किसी महिला के मूल अधिकारों और किसी वृत्ति का व्यवसाय करने या कोई उपजीविका, व्यापार या कारबार करने के अधिकार का, जिसके अंतर्गत
लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार है, उल्लघंन
होता है। महिला शक्ति राष्ट्र शक्ति है। महिला समाज की मार्ग दर्शक के साथ ही
प्रेरणा का स्त्रोत भी है। आन्दोलन के दौरान भी हमारी सैकड़ो माताओ बहनो द्वारा
बढ़-चढ़ कर आन्दोलन मे सक्रिय भूमिका निभाई। हमारे समाज की कडवी सच्चाई रही है कि
महिलाओ को जीवन मे कदम-कदम पर लैंगिंक भेदभाव का सामना करना पडता है, लेकिन अब समय बदल चुका है किसी भी कीमत पर महिलाओ के साथ कार्यस्थल पर एवं
अन्य प्राइवेट जगहों भेदभाव तथा उत्पीड़न नही होना चाहिए, उपरोक्त
भेदभाव तथा उत्पीड़न को रोकने हेतु आज भारतीय दण्ड संहिता, घरेलू
हिंसा अधिनियम 2005 ढेर कानून बन चुके है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो सामान्य
रूप से कर्मचारियों की भलाई, उत्पादकता और कैरियर प्रभावित
करता है। कार्यस्थल में लैंगिक समानता हासिल करना न केवल सामाजिक न्याय का मामला
है, बल्कि नवाचार को अधिकतम करने के लिए भी आवश्यक है।
ममता रानी अपर पुलिस उपायुक्त महिला
अपराध द्वारा महिलाओ के प्रति हिंसा व अपराध के सम्बन्ध में जानकारी हुए बताया गया
कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा जैसे चरित्र हनन, बाहर
जाने पर पाबंदी, शिक्षा से वंचित रखना, लैंगिक छेड़छाड़, बाल विवाह, औरतों
का मीडिया में गलत चित्रण, भूर्ण हत्या, कार्यस्थल पर लैंगिक हिंसा, विधवा उत्पीड़न, जबरन शादी जैसी समस्याएं आज हमारे समाज में बहुतायत से व्याप्त हैं। इन
समस्याओं पर हमें आवाज उठाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना
होगा। भारतीय दण्ड संहिता में वर्णित कानूनों एवं कार्यस्थल पर महिलाओ का लैंगिक
उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम, 2013 की जानकारी देते हुए बताया गया कि यदि किसी महिला के स्पष्ट रूप से
मना कर दिये जाने के बावजूद बार-बार किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत बातचीत का
बढ़ावा देता है या पीछा करता है या 14 सेकेण्ड तक देखता है या फिर सम्पर्क करने का
प्रयास करता है, इसे भारतीय दण्ड संहिता में अपराध माना गया
है। यदि वह महिला कम्प्लेन्ट करती है तो आईपीसी की धारा 354डी के तहत उस व्यक्ति
को दण्डित किया जा सकता है। किसी भी महिला के साथ कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न
हो रहा है तो अपनी शिकायत आंतरिक समिति में कर सकती है और अगर वह किसी
कारणबसअसमर्थ है तो वह अपनी शिकायत अपने मित्र, सहकर्मी,
दोस्तों के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करवाकर समस्या का समाधान कर
सकती है। नारी को हमारे शास्त्रों मे देवतुल्य स्थान मिला है। इसलिए कहा गया है कि
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता यानि जहां नारियो
की पूजा होती है वहां देवताओ का वास होता है। जीवन के इन सभी महत्वपूर्ण रिश्तों
के लिए महिला जरूरी है।
रेनू मिश्रा कार्यकारी निदेशक आली (AALI)
संस्थान लखनऊ उ0प्र0 द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओ का लैंगिक उत्पीड़न
(निवारण, प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम, 2013
की जानकारी देते हुए बताया गया कि POSH अधिनियम 2013 में
भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किये जाने वाले यौन उत्पीड़न
के मुद्दे को हल करने के लिये बनाया गया एक कानून है। इसका उद्देश्य है कि महिलाओं
के लिये एक सुरक्षित और अनुकूल कार्य वातावरण बन सके तथा उन्हें यौन उत्पीड़न के
खिलाफ सुरक्षा मिल सके। रेनू मिश्रा द्वारा यह भी बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय
द्वारा विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य 1997 मामले में एवं भवरी देवी मामले
में एक ऐतिहासिक निर्णय में 'विशाखा दिशा-निर्देश' जारी किया गया, जिसमें शारीरिक संपर्क और यौन
प्रस्ताव, यौन अनुग्रह के लिये मांग या अनुरोध, अश्लील टिप्पणी करना, अश्लील चित्र दिखाना तथा किसी
भी अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक व्यवहार जैसे
अवांछित कार्य शामिल हैं और कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण,
प्रतिषेध व परितोष) अधिनियम, 2013 ("यौन
उत्पीड़न अधिनियम") को आधार बनाया।
यह भी बताया गया कि अधिकतर महिलाओं को
इस तरह की योजनाओं की जानकरी ही नही हो पाती है जिससे वह योजनाओं का लाभ नही उठा
पाती। इस तरह के जागरुकता/उत्साहवर्धन कार्यक्रम से उन्हें उचित जानकारी मिलती है
और ज्यादा से ज्यादा इस प्रकार के जागरुकता होने चाहिए एवं अधिक से अधिक महिला
कर्मचारियो द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए।
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निरूपमा सिंह संरक्षण अधिकारी जिला
बाल कल्याण इकाई वाराणसी द्वारा बच्चो तथा महिलाओ से सम्बन्धित विभिन्न शासकीय
योजनाओ की जानकारी देते हुए बताया गया कि महिलाएं अपनी शिकायत महिला हेल्पलाइन
नंबर 1090, वन स्टॉप सेंटर नंबर 181 आदि पर
कॉल करके हिंसा के विरुद्ध एकजुट होकर अपनी
आवाज उठा सकती है ताकि एक सभ्य समाज का निर्माण कर सके। इसी के साथ पति के
मृत्यु के उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना का लाभ उठा सकती है और उठाना चाहिए
तथा बच्चियो के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना के साथ के स्पॉन्सरशिप योजना
के तहत 4000/- रूपये की आर्थिक सहायता भी मिलता है, आदि
जानकारी दी गयी ।
प्रज्ञा पाठक सहायक पुलिस आयुक्त
महिला अपराध द्वारा जागरूक करते हुए बताया गया कि इस बात का इन्तजार नहीं करना है
कि जब महिलाए पुलिस स्टेशन नहीं आयेगी तब तक हम उनकी शिकायत को सुनेंगे। हमें यह
करने की आवश्यकता है कि एक-एक घर जाकर समस्या होने से पहले हम उसका समाधान कर सके, इस स्थिति में अपने समाज को लाना है। अगर हम सारी जानकारी और जागरूकता
फैला सके तथा लोगो को बता सके कि क्या सावधानियां उन्हे लेनी चाहिए, जिससे कि उनके साथ किसी भी तरह का कोई भी अपराध नहीं हो सके। साइबर अपराध
से जुड़ी बहुत सारी बाते बतायी गयी और घर –घर जाकर खास जो नई
युवतियां है, उन्हे जागरूक करने की आवश्यकता है कि उन्हे
सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे करना है। तब हम अपने समाज मे हो रहे जितने अपराध है,
उन्हे कम कर पायेंगे।
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आरक्षी विराट सिंह साइबर सेल कमि0
वाराणसी द्वारा साइबर अपराध के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि अधिकतम
गेमिंग प्लेटफार्म फ्राड है और यह लगभग 90% है। अभी हाल ही राजस्थान में एक मामला
सामने आया कि साइबर अपराधियो ने फोन पे के माध्यम से ही फ्राड कर लिया। साइबर
अपराधी क्या करते है कि फोन पे में मनी एड करते है, उसके
बाद चार्ज बैक क्लेम कर देते है। इस तरह गेमिंग प्लेटफार्म पर फ्राड होता है।
कमिश्नरेट वाराणसी में गेमिंग फ्राड का मामला कम देखने को मिलता है। इसी तरह
क्रिप्टो ट्रेडिंग एवं बहुत सारे ट्रेडिंग प्लेटफार्म है, जिसके
माध्यम से फ्राड होता रहता है। इससे बचने का सीधा रास्ता है कि आप किसी गेमिंग
प्लेटफार्म पर ट्राजेक्शन न करें, क्योंकि ट्राजेक्शन करते
समय आटोडेविट की फैसिलिटी होती है, जहां कभी-कभी बाई-डिफाल्ट
आटोडेविट क्लिक हो जाता है और जब भी आप गेम खेलेंगे तो पैसे आपके खाते से कटते
रहेंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा तथा उसका टेक्स मैसेज भी नही आता है और वह पैसा
रिफण्डेबल भी नहीं होता है। इस तरह के गेम जैसे फ्रीफायर, पब्जी
आदि में बहुत सारे बच्चे ट्रैप हुए है । किसी भी साधारण गेम को डाउनलोड करके उसे
आप खेल सकते है तथा अपने घर के बच्चो पर नजर रखने की जरूरत है, जिससे कि वह इस तरह के ट्रेप से बच सके ।
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