सुल्तानपुर: अपराध और अपराधियों के लिए उत्तर प्रदेश में कोई जगह नहीं है। इस बात को लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ कहते आए हैं। ऐसे में जहां अपराधी सलाखों के पीछे हैं या प्रदेश छोड़कर जा चुके हैं। वहीं पुलिस कुख्यात अपराधियों का एनकाउंटर भी कर रही है। इसी क्रम में सुलतानपुर में यूपी एसटीएफ की बन्दूक ने प्रदेश के टॉप टेन माफिया विनोद उपाध्याय को ढेर कर दिया। विनोद पर एक लाख का इनाम था साथ ही 35 मुकदमें दर्ज थे जिसमें अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। मुखबिर की सूचना पर शुक्रवार की देर रात सुल्तानपुर में एसटीएफ ने उसे घेर लिया और दोनों तरफ से हुई फायरिंग में विनोद ढेर हो गया और 2004 से शुरू हुए आतंक का 20 साल बाद अंत हुआ। लोगों की मानें तो विनोद उपाध्याय की हनक ऐसी ही थी कि उसके नाम से व्यापारी थर्राते थे। साल 2004 में विनोद का नाम खुलकर सामने आया था जब उसने जीतनारायण मिश्रा को पहले जेल में थप्पड़ मारा और फिर उसके जेल से बाहर आते ही उसकी हत्या कर दी थी।
यह भी पढ़ें: आरपीडी इनटर कॉलेज में पॉपुलर हॉस्पिटल ने लगाया निःशुल्क जांच शिविर
पहले थप्पड़ फिर बुलेट
जानकारों की मानें तो साल 2002 में गोरखपुर विश्वविद्यालय के स्टूडेंट इलेक्शन में विनोद ने अपना रूतबा
बढ़ा लिया था। यहां चुनाव में उसके समर्थन से एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में था जिसे
बड़ी आसानी से जीत हासिल हुई थी। बस यहीं से विनोद की धाक गोरखपुर में बढ़ने लगे।
इसी बीच किसी वजह से विनोद को जेल जाना हुआ। यहां पहले से बंद अपराधी जीतनारायण
मिश्रा को विनोद ने किसी बात पर थप्पड़ मार दिया। इस बता की चर्चा कई दिनों तक जेल
के बाहर तक रही। उधर जीतनारायण मिश्रा जेल से बाहर आया तो विनोद ने वह काम कर दिया
जिसका किसी को अंदाजा नहीं था। विनोद ने जीतनरायण को मौत के घाट उतार दिया।
यह भी पढ़ें: यूपी में फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, योगी सरकार ने किया 18 IPS अधिकारियों का ट्रांसफर
कई सनसनीखेज घटनाओं को दिया अंजाम
विनोद उपाध्याय ने उसकी बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और
अयोध्या के मया बाजार के उपाध्याय के पुरवा का रहने वाला अच्छी कद काठी का युवा
जरायम के दलदल में धंसता गया। उसके ऊपर गोरखपुर, बस्ती, संतकबीर नगर से लेकर लखनऊ तक हत्या, रंगदारी समेत 35 मुकदमें दर्ज हैं हालांकि उसमे से
किसी में उसे सजा नहीं हुई थी। साल 2007 में बसपा के शासन काल
में अपने समर्थित प्रत्याशी को सहकारी बैंक चेयरमैन के पद पर जितवाकर विनोद ने
अपना लोहा मनवाया था और सरकार में धाक दिखाई थी।
यह भी पढ़ें: इन राशियों पर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, पढ़ें क्या कहते हैं आपके सितारे?
2007 में लड़ा था विधायकी का चुनाव
विनोद ने साल 2007 में गोरखपुर से विधायक के चुनाव में
भी हाथ आजमाया था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। विनोद को अल सुबह एसटीएफ ने छलनी
किया है। इस बात की पुष्टि लखनऊ में एसटीएफ चीफ अमिताभ यश ने दी है। उन्होंने
बताया कि एसटीएफ डिप्टी एसपी मुख्यालय दीपक कुमार सिंह की अगुवाई में एसटीएफ की
टीम ने सुल्तानपुर में काउंटर किया है। पुलिस ने उसके पास से .30 बोर की चाइनीज पिस्टल, स्टेन गन, 9 एमएम कंट्री मेड कारतूस और एक स्विफ्ट कार मिली है।
यह भी पढ़ें: जनपद में चल रहा विशेष अभियान, जल्दी बनवा लें अपना आयुष्मान कार्ड
पड़ोसियों ने बताया मंत्री जी रहते हैं यहां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक मामले में विनोद को ढूंढते
हुए जब गोरखपुर क्राइम ब्रांच और पुलिस लखनऊ स्थित विनोद के आवास पहुंची तो वहां
मिली जानकारी से आवक रह गई। पड़ोसियों से जब विनोद के बारे में पूछा गया तो
उन्होंने बताया कि अच्छा पूर्व मंत्री विनोद जी वो तो आते जाते रहते हैं। उनके और
भी आवास हैं। गोरखपुर पुलिस टीम सर्विलांस की सहायता से लखनऊ पहुंची थी यहां दो
आवास में एक में विनोद अपने साले के साथ रहता था और एक में उसका गैंग।
यह भी पढ़ें: योगी सरकार ने ठंड के चलते बदला स्कूलों का समय, जानें क्या है नया समय
गोरखपुर में दर्ज हैं 31 मुकदमें
यूपी पुलिस में विनोद उपाध्याय के डोजियर के मुताबिक उसपर 35 मुकदमें दर्ज हैं, जिसमें
सर्वाधिक 31 गोरखपुर के अलग-अलग थाने में दर्ज हैं। इसके
अलावा बस्ती के पुरानी बस्ती थाने एक मुकदमा आईपीसी की धारा 323/504/506 में दर्ज है। वहीं संतकबीर नगर के बखिरा थाने में दो मुकदमें क्रमशः हत्या
और हत्या का प्रयास एवं गैंगेस्टर एक्ट में दर्ज है। इसके अलावा लखनऊ हंटरगंज थाने
में एक मुकदमा हत्या और हत्या के प्रयास का दर्ज है। माफिया विनोद सरकार की 61
माफियाओं की लिस्ट में शामिल है और गोरखपुर का टॉप टेन अपराधी था।
No comments:
Post a Comment