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Tuesday, January 30, 2024

फाइलेरिया से बचाव की दवा के सेवन को लेकर अग्रसेन पीजी कॉलेज की छात्राओं ने ली शपथ

वाराणसी: नेग्लेक्टेड ट्रोपिकल डिजीज (उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग) दिवस पर मैदागिन स्थित अग्रसेन पीजी कॉलेज में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग एवं कॉलेज के सामुदायिक सेवा केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि को स्मरण करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। साथ ही महात्मा गांधी जी के स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण, अहिंसा, शिक्षा, स्वराज, स्वावलंबन को लेकर दिये गए संदेशों पर भी ज़ोर दिया गया। कार्यक्रम में सभी छात्राओं को फाइलेरिया उन्मूलन और 10 फरवरी से शुरू होने वाले ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने को लेकर शपथ भी दिलाई गई। इस कार्यक्रम में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) व पीसीआई संस्था ने भी महत्वपूर्ण सहयोग किया।


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इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद पाण्डेय ने कहा कि नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में सबसे प्रमुख बीमारी फाइलेरिया, मलेरिया, डेंगू, कुष्ठ, टीबी आदि शामिल हैं। यह बीमारियाँ कैसे होती हैं इसके लक्षण और उपाय क्या हैं इसके बारे में जागरूक रहने से इन बीमारियों से बचा जा सकता है । उन्होंने कहा कि फाइलेरिया, मादाक्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदे पानी और गंदगी में पाया जाता है। इस बीमारी का  परजीवी  (सूक्ष्म कृमि) मच्छरों के जरिए मनुष्य में पहुँच जाता है । यह सूक्ष्म परीजीवी जब एडल्ट (वयस्क) होता है  तो यह व्यक्ति के लिम्फ (लासिका तंत्रों) में फैलता है और कई सूक्ष्म परजीवी को जन्म देता है । इसकी वजह से व्यक्ति के हाथ-पैरों (लिम्फोडेमा), अंडकोष (हाइड्रोसील), महिलाओं के स्तन में सूजन पैदा हो जाती है ।  यह सूजन मच्छर काटने के 5 से 10 वर्षों बाद दिखाई देती है । एक बार सूजन हो जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है । गंभीर स्थिति में यह सूजन इतनी अधिक हो जाती है कि व्यक्ति दिव्यांग हो जाता है। 

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बचाव का तरीका -

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है और मच्छर हम सभी काटते हैं इसलिए साल में एक बार इस बीमारी से बचाव की दवा का सेवन सभी करना चाहिए। इसके लिए सरकार समय-समय पर अभियान चलाकर आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से इस बीमारी से बचाव की दवा सभी को घर-घर खिलाई जाती है। इसके साथ ही उन्होंने मलेरिया, डेंगू के कारण, लक्षण, प्रसार, जांच, निदान आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सभी सरकारी चिकित्सालयों एवं स्वास्थ्य केंद्रों में इन बीमारियों के जांच, निदान और उपचार की सुविधा मौजूद है। उन्होंने छात्राओं से अपील की कि इन बीमारियों की रोकथाम व नियंत्रण के लिए सभी को सामुदायिक रूप से सहभागिता सुनिश्चित करना जरूरी है। सोशल मीडिया में इसके प्रति जागरूकता के लिए प्रचार प्रसार किया जाए।

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कार्यक्रम के संयोजक व प्रोफेसर डॉ आकाश ने कहा कि वह फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सम्पूर्ण सहयोग करेंगे। कॉलेज के सभी अध्यापक व छात्राएँ अभियान के दौरान फाइलेरिया से बचाव की दवा खाएँगी तथा अन्य लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित भी करेंगी। सीफार के प्रतिनिधि ने फाइलेरिया बीमारी के प्रति समुदाय को जागरूक करने की अपील करते हुए कहा कि  फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर यह अभियान लक्षित वर्ष 2027 तक समय-समय पर चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी दवाओं के प्रति लोगों का विश्वास कम है लेकिन इन्हीं दवाओं से फाइलेरिया, मलेरिया, डेंगू, टीबी, कुष्ठ आदि के रोगी स्वस्थ हो रहे हैं। यह सभी दवाएं डब्ल्यूएचओ के द्वारा शत प्रतिशत रूप से सुरक्षित और प्रभावी हैं। अभियान में स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जायेंगे। उन्हीं के सामने फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खाएं और अन्य लोगों को भी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। खाली पेट दवा नहीं खाना है। उन्होंने "फाइलेरिया से कोई मरता नहीं, इसलिए कोई इससे डरता नहीं" का भी संदेश दिया।पीसीआई की जिला समन्वयक सरिता मिश्रा ने सभी छात्राओं से सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब हमारा देश टीबी, कुष्ठ आदि रोगों को खत्म करने में जुटा हुआ है तो क्या हम फाइलेरिया का उन्मूलन नहीं कर सकते हैं। इस मौके पर प्रो डॉ आभा, डॉ नीलू गर्ग, डॉ विभा सिंह, डॉ बंदनी, डॉ कंचन माला, डा अपर्णा, डॉ वेणु वनिता, डॉ विनीता पांडेय, डॉ सोनम, डॉ सुमन गौर एवं अध्यापक मौजूद रहे।

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