वाराणसी: राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद के जैतपुरा व चोलापुर में 10 फरवरी से ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन, डीईसी, अल्बेंडाजॉल) अभियान चलाकर आमजन को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी । इसी के मद्देनजर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है । बुधवार को आदमपुर जोन नगर निगम कार्यालय पर स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूएचओ, सीफार व पीसीआई संस्था के संयुक्त तत्वावधान में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उप नगर आयुक्त मनोज सिंह के नेतृत्व आयोजित इस कार्यक्रम क्षेत्रीय पार्षदों ने प्रतिभाग किया।
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इस मौके पर फाइलेरिया नियंत्रण इकाई के प्रभारी व बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह व डबल्यूएचओ के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ मंजीत सिंह चौधरी ने फाइलेरिया के लक्षण, रोकथाम एवं सर्वजन दवा वितरण (एमडीए) कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। डॉ अमित ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद के जैतपुरा व चोलापुर क्षेत्र में आईडीए अभियान 10 फरवरी से 28 फरवरी तक संचालित किया जाएगा। इस दौरान ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर (दवा वितरण/स्वास्थ्य कर्मी) घर-घर जाकर लक्षित व्यक्तियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन अपने समक्ष कराएंगे। यह बीमारी किसी स्वस्थ व्यक्ति को न हो इसके लिए दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती व गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर बाकी सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी । वर्ष में एक बार इस दवा का सेवन कर इस बीमारी से बचा जा सकता है । सभी को दवा की सही खुराक मिल सके इसके लिए स्वास्थ्य कर्मी प्रत्येक व्यक्ति को दवा खिलाने से पहले उनकी उम्र एवं लंबाई की माप कर सही दवा की खुराक अपने सामने खिलाएँगे । किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा।
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फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित – डब्ल्यूएचओ के डॉ मंजीत कुमार चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा पूरी तरह सुरक्षित व प्रभावी है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। लेकिन यदि किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं। यही परजीवी कुछ समय बाद वयस्क होने पर व्यक्ति के हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा कर देते हैं। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। एक बार प्रभावित अंगों में सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। सिर्फ उचित देखभाल कर सूजन को नियंत्रित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया ऐसे व्यक्ति जिन्हें फाइलेरिया से बचाव की दवा सेवन के बाद कुछ समान्य लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें स्वयं व उनके पूरे परिवार को हर वर्ष लगातार पाँच साल तक अभियान के दौरान दवाओं का सेवन अवश्य करना चाहिए। इससे वह इस रोग से सुरक्षित रह सकेंगे ।
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पार्षदों ने ली शपथ - इस दौरान उप नगर आयुक्त समेत समस्त पार्षदों क्रमशः विवेक चंद्र, अमरदेव यादव, राज खान, रीना सोनकर, बब्लू शाह, रज़िया बेगम ने अभियान में सहयोग करने के लिए शपथ ली। साथ ही सहयोग करने का आश्वासन दिया और कहा कि वह स्वयं फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कर इस अभियान का शुभारंभ करेंगे तथा दूसरों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करेंगे। फाइलेरिया नेटवर्क के साथ ही कार्य कर लोगों को जागरूक करेंगे। इस मौके पर नगर निगम कर्मी सौरभ यादव, सूबेदार यादव, मलेरिया निरीक्षक चंद्रसेन भारती, ईशा श्रीवास्तव, पीसीआई संस्था की जिला समन्वयक सरिता मिश्रा, सीफार संस्था के प्रतिनिधि एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
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क्या है फाइलेरिया – मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। मच्छर काटने के बाद इस बीमारी के लक्षण 5 से 10 वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। फाइलेरिया एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में मच्छर के काटने से फैलता है। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक व कठिन हो जाता है।
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