वाराणसी: फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद में 10 फरवरी से घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मी आमजन को फाइलेरिया रोग से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। यह ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवेर्मेक्टिन, डीईसी व एल्बेण्डाज़ोल) अभियान 28 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान विद्यालयों में फाइलेरिया रोग से बचाव के प्रति जन जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। उक्त बातें कार्यालय सभागार में आयोजित बैठक में चोलापुर के खंड शिक्षा अधिकारी बृजेश कुमार राय ने कही।
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उन्होंने कहा कि स्कूल के सभी प्रधानाध्यापक को निर्देशित किया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए बच्चों को जागरूक किया जाए। इसके लिए सुबह की प्रार्थना सभा में शपथ दिलाई जाए। प्रत्येक कक्षा के बोर्ड पर फाइलेरिया आईडीए अभियान की तिथि लिखने के साथ प्रत्येक कक्षा में फाइलेरिया का एक सत्र चलाया जाए जिसमें फाइलेरिया क्या है, इसके क्या लक्षण हैं, बचाव क्या है, रोग प्रबंधन क्या है आदि के बारे में बच्चों को विस्तार से बताया जाए जिससे वह घर व आसपास के लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक कर सकें। स्कूलों में रैली, निबंध प्रतियोगिता, चित्रलेखन, आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाए। साथ ही अभिभावक बैठकों में बच्चों के माता-पिता को भी फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने व अन्य लोगों को सेवन करने के बारे में जागरूक किया जाए।
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प्रधानाचार्य सुरेश चंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि मच्छर हम सभी काटते हैं ऐसे में फाइलेरिया से बचाव की दवा न सेवन करने से इस रोग का खतरा बना रहेगा। इसलिए हम सभी इस दवा का सेवन तो करेंगे ही साथ ही विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी जागरूक करेंगे। ताकि इस लाइलाज बीमारी से कोई और प्रभावित न हो । प्रधानाचार्य रमेश कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए सरकार घर घर दवा खिलाने का काम कर रही है यही मौका है कि हम सभी एक साथ दवा सेवन कर इस देश से फाइलेरिया को मिटाने में सहयोग करें ताकि हमारे सहित आने वाली पीढ़ियाँ इस बीमारी से चिंता मुक्त हो सकें । उन्होंने अभियान में हर संभव सरकार व स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करने की बात कही। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग से राजकुमार, दुर्गेश रावत, त्रिपुरारी पाण्डेय, पीसीआई से जिला समन्यवक सरिता मिश्रा, सीफार के प्रतिनिधि एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।
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क्या है फाइलेरिया – मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। मच्छर काटने के बाद इस बीमारी के लक्षण 5 से 10 वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। फाइलेरिया एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में मच्छर के काटने से फैलता है। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक व कठिन हो जाता है।
फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित – फाइलेरिया से बचाव की दवा पूरी तरह सुरक्षित व प्रभावी है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। लेकिन यदि किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं। यही परजीवी कुछ समय बाद वयस्क होने पर व्यक्ति के हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा कर देते हैं। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। एक बार प्रभावित अंगों में सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। सिर्फ उचित देखभाल कर सूजन को नियंत्रित रखा जा सकता है।
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