वाराणसी: वाराणसी मण्डल में परिवार कल्याण कार्यक्रम को सुदृढ़करण करने को लेकर शुक्रवार को पाण्डेयपुर स्थित मंडलीय अपर निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग) कार्यालय सभागार में त्रैमासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। मंडलीय अपर निदेशक डॉ मंजुला सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में संयुक्त निदेशक, वाराणसी मण्डल के सभी चार जनपदों (चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर व वाराणसी) के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिफ़्प्सा के मंडलीय कार्यक्रम प्रबन्धक, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक (डीपीएम), जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (डीसीपीएम) एवं जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी ने प्रतिभाग किया। यह बैठक उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के सहयोग से आयोजित की गई।
बैठक में परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत सभी चार जनपदों के त्रैमासिक व वित्तीय वर्ष की उपलब्धियों के साथ ही उनमें सुधार करने को लेकर मंथन किया गया। बताया गया कि सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वेक्षण 2022 के अनुसार – “परिवार नियोजन द्वारा अनचाहे गर्भ व उससे संबन्धित जटिलताओं को कम करने से मातृ मृत्यु में 30 प्रतिशत व शिशु मृत्यु में 10 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। परिवार नियोजन के लगभग 3000 महिलाओं एवं 22000 शिशुओं को बचाया जा सकता है। परिवार नियोजन महिलाओं को सक्षम करता है कि वह गर्भधारण तभी करें जब वह शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह तैयार हो।“
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वाराणसी मण्डल के कुल 226 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 175 पीएचसी पर परिवार नियोजन की पाँच जरूरी सेवाएँ तथा अंतरा, छाया, आईयूसीडी, कंडोम व आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली प्रदान की जा रही हैं। मण्डल के 1677 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में से 1002 में पाँच सेवाएँ एवं 416 उपकेन्द्रों पर चार सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं। पिछले वर्ष के सापेक्ष मण्डल के अंतर्गत सभी जनपदों में महिला व पुरुष नसबंदी में कमी आई है लेकिन वाराणसी की उपलब्धि बेहतर है। आपेक्षित लक्ष्य के सापेक्ष नसबंदी का प्रतिशत बढ़ाने की आवश्यकता है। आगामी चार माह में प्रत्येक माह नसबंदी की समीक्षा कर बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। एडी डॉ मंजुला सिंह ने मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने में परिवार नियोजन कार्यक्रम को बेहद अहम व सहायक बताया। उन्होंने कहा - प्रत्येक नियत सेवा दिवस (एफ़डीएस) में कम से कम 30 नसबंदी कराने के लिए कहा। वाराणसी मण्डल के सभी 28 प्रथम संदर्भन इकाई (एफ़आरयू) में सिजेरियन प्रसव के साथ ही प्रसव पश्चात नसबंदी की सेवाओं को सुदृढ़ीकरण किया जाए। इसके साथ ही लेप्रोस्कोपी व मिनी लैप की सुविधाओं की उपलब्धता व नियमित संचालन सुनिश्चित किया जाए। सभी चिकित्सा इकाइयों, स्वास्थ्य केन्द्रों व उपकेन्द्रों पर परिवार नियोजन साधनों की आवश्यकतानुसार उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। लाभार्थियों की समस्याओं को समझते हुये उन्हें उचित परामर्श दिया जाए।
उन्होंने निर्देशित किया कि मण्डल की सभी 10901 आशा कार्यकर्ताओं को नसबंदी में अपना योगदान देना सुनिश्चित करें तभी आपेक्षित लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही समस्त आशाओं का भुगतान समय से पूरा किया जाए। नसबंदी सेवाएँ प्रदान करने के लिए मासिक नसबंदी सेवा कैलेण्डर तैयार करें और इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी करें। परिवार पूरा हो जाने पर प्रसव पश्चात नसबंदी के महत्व पर ज़ोर देना। योग्य लाभार्थियों का नसबंदी सेवा के लिए मोबिलाइज़ेशन किया जाए। मण्डल के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों व उपकेन्द्रों पर परिवार नियोजन किट (कंडोम बॉक्स) स्थापित किए जाएँ। नवदंपत्ति को शगुन किट प्रदान की जाए और प्रत्येक उपकेन्द्र पर सास-बेटा-बहू सम्मेलन का आयोजन किया जाए। ब्लॉक स्तर पर बीपीएम और बीसीपीएम का क्षमता वर्धन किया जाए, जिससे वह सीएचओ और एएनएम को भी प्रशिक्षित कर सकें। उन्होंने बताया कि यूपी हेल्थ रेंकिंग डैशबोर्ड में वाराणसी मण्डल की तीसरी रेंक हैं। इसमें और अधिक सुधार लाया जाए।
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इस मौके पर संयुक्त निदेशक डॉ जीसी द्विवेदी व डॉ ओपी तिवारी, एसीएमओ डॉ एचसी मौर्य, डॉ मनोज कुमार, डॉ आरके यादव, समस्त डीपीएम व डीसीपीएम, यूपीटीएसयू के राज्य स्तरीय, क्षेत्रीय व चारों जनपद के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ एवं अन्य अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।
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