प्रयागराज: कौशाम्बी जिले के थाना पिपरी में वर्ष 2018 में राजेश कुमार पासी निवासी ग्राम मुरादपुर पिपरी ने गुमसुदगी दर्ज कराई की उसकी 6 साल की बच्ची कही खेलते समय गुम हो गई है दूसरे दिन नर्सरी में बच्ची की लाश बरामद हुई तो पिता के द्वारा गाँव के ही मुन्ना, अरबिंद व जगदीश के विरुद्ध नाबालिग बच्ची का अपहरण, रेप कर हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज कराए जाने पर वर्ष 2021 में अपर सेशन न्यायाधीश कौशाम्बी ने दोनो अभियुक्तों को दोषी मानते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए 1 लाख 8 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया था।
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आजीवन कारावास के दोषी मुन्ना @ अरविंद ने माननीय उच्चन्यायालय में सजा के खिलाफ अपील दाखिल किया। याची की ओर अधिवक्ता सुनील चौधरी ने माननीय न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति सैय्यद आफताब हुसैन रिज़वी की बेंच के समक्ष बहस कर बताया कि याची मुन्ना @ अरविंद व जगदीश को वादी से राजनीतिक रंजिश होने के कारण झूठा फसाया गया है । वादी ने 6 वर्षीय बेटी के गायब होने पर गुमसुदगी दर्ज कराई थी और दूसरे दिन दोपहर में ढूढने पर नर्सरी में लाश मिलने पर फर्जी नामजद राजनीतिक दुश्मनी होने के कारण लोगो के बहकावे में आकर दोबारा एफ आई आर दर्ज करा दिया। वादी ने बयान दिया कि अभियुक्तगण के घर जाने पर शराब के नशे में दोनो ने बताया कि तुम्हारी बेटी को रेप व हत्या कर नर्सरी में फेक दिया है जबकि वादी की बड़ी बेटी रजवंती व गाँव के रंजीत ने बयान दिया कि घटना वाले दिन उसने देखा था कि दोनो आरोपी सायकिल पर बैठाकर मृतक को ले गए थे लेकिन उस दिन अज्ञात के खिलाफ गुमसुदगी दर्ज कराई गई थी।
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याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची को जंगली जानवरों ने खाया था और प्राइवेट पार्ट पर जो मानव वीर्य मिला उससे आरोपियों के डी एन ए टेस्ट मैच नही हुआ है।नाबालिग बच्ची के गायब होने पर गुमसुदगी उसी दिन अपराध में तरमीम हो जानी थी लेकिन दूसरे दिन पुलिस ने आरोपी मुन्ना के सगे भाई को थाने में बैठा कर दोनो आरोपियों के विरुद्ध प्रार्थना पत्र लिखवाकर वादी का अंगूठा लगवा कर झूठी एफ आई आर दर्ज की गई थी। आरोपी मुन्ना का वही सगा भाई सतीशचन्द्र (प्रधान) निवासी तेवारा इस अपील में पैरोकार भी है।घटना को किसी ने नही देखा । सायकिल की रिकवरी पुलिस ने मुन्ना के घर से बरामद किया था।याचीगण की कोई आपराधिक इतिहास नही रहा है।परिस्थितिजन्य साक्षय के आधार पर सजा सुनाई गई है जिसमे घटना की चेन नहीं बन रही है और पूर्णतया साबित नही है। वादीअधिवक्ता व शासकीय अधिवक्ता ने जमानत देने पर विरोध किया।याची जगदीश की ओर से अधिवक्ता ने बहस का समर्थन किया ।जिस पर हाइकोर्ट ने अभियुक्तगणों की जमानत याचिका मंजूर करते हुए 6 सप्ताह में 25 हजार रुपये अर्थदंड जमा करने का आदेश पारित करते हुए शेष अर्थदंड पर रोक लगा दिया।और पेपर बुक के साथ सुनवाई के लिए अपील लिस्ट करने का आदेश पारित किया।
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