वाराणसी: मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनायें व कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से बचाव एवं उससे होने वाली मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से ‘सांस’ यानि ‘सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज़ निमोनिया सक्सेसफुली’ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस संबंध में सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ।
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सीएमओ डॉ संदीप चौधरी की अध्यक्षता में संचालित प्रशिक्षण में शहरी व ग्रामीण स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सकों और स्टाफ नर्स को सांस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सीएमओ ने कहा कि एस.आर.एस. 2020 के अनुसार देश में पाँच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर 32 प्रति 1000 जीवित जन्म है, जबकि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है। नेशनल हेल्थ पॉलिसी वर्ष 2017 के लक्ष्य के अनुसार पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को वर्ष 2025 तक 23 प्रति 1000 जीवित जन्म तक कम करना है। इसकी समय से पहचान एवं उचित इलाज से ही शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
सीएमओ ने कहा कि आने वाली सर्दी के दृष्टिगत व जन जागरूकता के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। समुदाय में को जागरूक करने के लिए यह कार्य लगातार जारी है। समस्त ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग), आईपीडी (अन्तः रोगी विभाग), पीडियाट्रिक वार्ड व जनरल वार्ड आदि में निमोनिया का ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता के पास आवश्यक दवा उपलब्ध रहे। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी व सीएचसी) पर पल्स-ऑक्सीमीटर द्वारा बच्चों के रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जाएगा तथा आवश्यकता पड़ने पर ऑक्सीजन सिलिंडर के प्रयोग से इनका उपचार किया जाएगा। इसके लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर डॉक्टर से परामर्श लें। उन्होंने कहा कि सही समय पर निमोनिया की पहचान कर इसका उपचार कराना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए चिकित्सकों, स्टाफ नर्स, आशा, एएनएम व कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
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छह दिन चला प्रशिक्षण अब स्वास्थ्यकर्मियों को करेंगे प्रशिक्षित - डिप्टी सीएमओ व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 26 अक्टूबर से छह नवंबर के बीच छह दिन चला, जिसमें कुल 100 चिकित्सकों व स्टाफ नर्स को मास्टर ट्रेनर डॉ अजीत, डॉ करन व डॉ वरुण के द्वारा प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण में निमोनिया के कारण, लक्षण, पहचान, उपचार व प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके सभी चिकित्सक व स्टाफ नर्स अब एएनएम, आशा कार्यकर्ता और सीएचओ को प्रशिक्षित करेंगे।
समय पर लगवाएँ पीसीवी टीका – डॉ मौर्य ने बताया कि इसके साथ ही छह सप्ताह के शिशुओं को पीसीवी की पहली डोज़, 14वें सप्ताह पर दूसरी डोज़ और नौ माह पूर्ण होने पर तीसरी डोज़ सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों में लगाई जा रही है। संस्थागत प्रसव के दौरान शिशु के जन्म पर माँ का पहला गाढ़ा पीला दूध (कोलेस्ट्रम) पिलाने के लिए प्रेरित करें। जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने के फायदे के बारे में माँ को जानकारी दें। साथ ही नौ से 12 माह पर, 16 से 24 माह पर और दो से पाँच वर्ष के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए की खुराक पिलाएँ। इसके अलावा जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों को उम्र के अनुसार सभी टीके जरूर लगवाएँ।
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निमोनिया के लक्षण –
- खांसी और जुकाम का बढ़ना
- तेजी से सांस लेना
- सांस लेते समय पसली चलना या छाती का नीचे धंसना
- कंपकंपी व तेज बुखार आना
गंभीर लक्षण –
- कुछ भी खा – पी न पाना
- झटके आना
- सुस्ती या अधिक नींद
निमोनिया से बचाव –
- सर्दियों के दौरान बच्चों को गर्म व सामान्य तापमान में रखें।
- छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराएं।
- संतुलित व स्वस्थ आहार
- अच्छे से हाथ धोएँ
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