रायपुर: अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भाजपा के घोषणापत्र 'मोदी की गारंटी' को "जुमलाबाजी" करार देते हुए आम जनता से इसमें न फंसने और पूरे प्रदेश में भाजपा की हार सुनिश्चित करते हुए एक धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन के लिए मतदान करने की अपील की है। किसान सभा ने कहा है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सकल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य न देने वाली, किसान विरोधी कृषि कानून तथा मजदूर विरोधी श्रम संहिता लाने वाली और सलवा जुडूम के जरिए आदिवासियों पर कहर ढाने वाली भाजपा की किसी भी गारंटी पर अब आम जनता कोई भरोसा नहीं कर सकती।
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आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कहा कि केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार ने पिछले नौ सालों में केवल कॉर्पोरेटों का हित साधा है। इनकी नीतियों से आम जनता की आय में गिरावट आई है, बेरोजगारी और गरीबी बढ़ी है, महंगाई आसमान छू रही है। देश का संघीय ढांचा, धर्मनिरपेक्षता, खतरे में पड़ी है और नफरत की राजनीति फली-फूली है।
किसान सभा नेता ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मजदूर-किसानों, दलित-आदिवासियों और महिलाओं ने भी प्रदेश में भाजपा राज के कुशासन को भुगता है। सत्ता में रहते हुए और पिछले पांच सालों से विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने केवल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किया है और उसने आम जनता की किसी भी समस्या पर कोई संघर्ष नहीं किया। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय ही अब भाजपा को जनता की याद क्यों आ रही है और ऐसी 'गारंटियों का पिटारा' क्यों खोल रही है, जिसे वह अब तक ठुकराती आई है? भाजपा बताएं कि अपने घोषणापत्र के वादों को वह किस तरह और कितने समय में पूरा करेगी?
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उन्होंने कहा कि जिस भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर किसानों को सी-2 लागत का डेढ़ गुना देने से इंकार किया है, वह आज किसानों से 21 क्विंटल धान 3100 रूपये की दर से खरीदने की हास्यास्पद गारंटी दे रही है। जिसने अंधाधुंध तरीके से गैस और पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ाए, वह आज इन्हें सस्ता बेचने की 'जुमलेबाजी ' कर रही है। धान से लेकर नान घोटाले तक जिस भाजपा का कार्यकाल कुख्यात रहा है और दूसरे दलों के भ्रष्टाचारियों के लिए जो दल शरणस्थली बना हुआ है, वह भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश देने का हास्यास्पद दावा कर रही है।
किसान सभा नेता पराते ने कहा कि यह केवल संयोग नहीं है कि जल, जंगल, जमीन, खनिज और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और इसे कॉर्पोरेट लूट से बचाने के सवाल पर तथा आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों के मुद्दे पर भाजपा चुप है, क्योंकि राज्य प्रायोजित सलवा जुडूम के जरिए आदिवासियों पर उसने जो अत्याचार किए हैं, उसके कारण इन चुनावों में भी भाजपा प्रत्याशी बस्तर के अंदरूनी इलाकों में नहीं जा पा रहे हैं।
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