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आपको बता दें कि यह आदेश राज्य सूचना आयोग ने शिकायतकर्ता श्याम नारायण मौर्य के द्वारा लगातार सूचना मांगने पर एक ही सूचना शिकायतकर्ता को हर बार देने का दोषी पाया. आयोग ने अपने दिए गए आदेश में स्पष्ट कहा है कि जनसूचना अधिकारी ने आवेदक को वही सूचना प्रेषित किया जो की पूर्व में की गयी थी.
राज्य सूचना आयोग ने यह भी कहा कि जिला पंचायत राज अधिकारी आदर्श ने जानबूझकर आवेदक को पूर्ण सूचनाएं उपलब्ध नहीं करायी तथा सूचनाओं को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि सूचनाओं के प्रगटीकरण में बाधा उत्पन्न की जा रही है. तथा आयोग द्वारा निर्गत किये जा रहे आदेश को गंभीरता पूर्वक नही लिया जा रहा है.
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राज्य सूचना आयोग ने यह भी कहा कि जन सूचनाधिकारी का यह कृत्य नितांत खेद जनक है कि उनके द्वारा जारी निर्देश का अनुपालन गंभीरता पूर्वक नही किया जा रहा है. इससे यह स्पष्ट है कि विपक्षी आयोग के आदेशों व सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति गंभीर नही है.
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राज्य सूचना आयोग ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है की उपयुक्त प्रकरण में जनसुचनाधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी आदर्श द्वारा बहुत ही लापरवाही बरती जा रही है तथा सूचना के प्रवाह में बाधा पैदा की जा रही है. ऐसे में आयोग द्वारा निर्गत किये जा रहें आदेशों को गंभीरता पूर्वक न लेने का दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 250 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से रूपये 25000/- का अर्थदंड अधिरोपित करते हुए वसूली का आदेश पारित किया जाता है. जो जनसुचनाधिकारी/जिला पंचायत राज अधिकारी वाराणसी आदर्श के वेतन से की जाएगी.
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