वाराणसी: राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत बृहस्पतिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में ‘टीबी मुक्त पंचायत अभियान’ व नवीन पहल ‘टीबी फैमिली केयर गिवर’ विषय को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान 28 स्वास्थ्यकर्मियों और पाँच ग्राम पंचायत अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर बनाया गया। यह प्रशिक्षण दो बैच में आयोजित किया जा रहा है। शुक्रवार को दूसरे बैच 31 स्वास्थ्यकर्मियों और तीन ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में आयोजित किया गया। अब ये मास्टर ट्रेनर ब्लॉक पर प्रशिक्षण देंगे।
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प्रशिक्षण में एनटीईपी के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) संजय चौधरी, जिला पीपीएम समन्वयक नमन गुप्ता और डब्ल्यूएचओ से राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक डॉ वीजे विनोद ने समस्त प्रतिभागियों को टीबी मुक्त पंचायत अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में जिन क्षेत्रों में अधिक या कम टीबी मरीज मिले हैं उनकी सूची ग्राम और वार्ड वार तैयार करें। उनमें से हर माह 10-10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित करें। इसके बाद वहाँ विशेष ध्यान देकर स्क्रीनिंग, जांच, उपचार, परामर्श, पोषण व भावनात्मक सहयोग प्रदान कर जल्द से जल्द टीबी मुक्त पंचायत के रूप में घोषित करें। इस कार्य में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) सहित ग्राम प्रधान, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, एनटीईपी कर्मी व अन्य स्वास्थ्यकर्मी सहयोग करेंगे। इस दौरान टीबी क्या है, लक्षण, जोखिम, जांच, उपचार, निक्षय पोषण योजना आदि के बारे में विस्तार जानकारी दी गई। साथ ही पोषण पोटली वितरण, टीबी के उपचार से जुड़ीं सामुदायिक भ्रांतियों, भावनात्मक सहयोग आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया। पहले यह अभियान सिर्फ चोलापुर ब्लॉक में चल रहा था अब पूरे जनपद में चलेगा।
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‘टीबी फैमिली केयर गिवर’ है नई पहल – प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में नई पहल ‘टीबी फैमिली केयर गिवर’ के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि पारिवारिक देखभाल से रोगी और देखभाल करने वाले के सम्बन्ध बेहतर होते हैं और देखभालकर्ता का आत्मविश्वास बढ़ता है। देखभाल करने वाले कठिन परिस्थितियों को संभालना सीखते हैं, इससे उनमें संतुष्टि का भाव आता है और इसका सीधा प्र भाव रोगी के स्वास्थ्य परिणाम पर पड़ता है। इसी उद्देश्य के साथ जनपद में जल्द ही फैमिली केयर गिवर कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है।
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डीपीसी संजय चौधरी ने बताया कि अब तक टीबी का उपचार ले रहे मरीजों के लिए एक ट्रीटमेंट सपोर्टर नियुक्त किया जाता था, जो कि आशा कार्यकर्ता होती थी। लेकिन अब मरीज का ध्यान रखने के लिए उसी के परिवार से अथवा उसके किसी नजदीकी व्यक्ति को केयर गिवर का दायित्व सौंपा जायेगा। यह पहल टीबी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके उन्हें रोकने और बीमारी के दौरान समय पर रेफरल द्वारा रोगी और उनके परिवार के सदस्यों को समुचित देखभाल और सहायता सुनिश्चित करेगा। इससे उपचार, उचित पोषण और उपचार के मानकों का पालन करने में मदद मिलेगी और टीबी से ग्रसित व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा।
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परिवार के सदस्य निभाएंगे अहम भूमिका - यह केयर गिवर टीबी मरीज को भावनात्मक रूप से तो सहयोग करेगा। साथ ही वह मरीज को उपचार पूर्ण करने, बीच में दवा न छोड़ने, पोषण आहार लेने आदि में भी सहायता करेगा। टीबी मरीज की उचित देखभाल और सहयोग प्रदान करने में परिवार के सदस्य अहम भूमिका निभा सकते हैं।
ऐसे बन सकते हैं केयर गिवर - इस पहल के तहत स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्रत्येक टीबी रोगी के लिए कोई ऐसा व्यक्ति जो अधिकतर समय मरीज के साथ रहता हो व जिसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो एवं लिखना-पढ़ना जानता हो, की पहचान की जायेगी। साथ ही वह रोगी की देखभाल की जिम्मेदारी लेने को तैयार हो और परिवार की देखभाल करने वाला बनने के लिए सहमत हो। देखभाल करने वाला मरीज का रिश्तेदार होना जरूरी नहीं है। पारिवारिक देखभालकर्ता का चयन केवल मरीज की सहमति पर ही किया जाएगा।
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