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आपको बता दे कि जब हमारे संवाददाता विकासखंड चिरईगांव के एडीओ पंचायत कमलेश कुमार सिंह से इस शासनादेश के मद्देनजर यहां पर ड्यूटी पर उपस्थित ग्राम पंचायत अधिकारियों / ग्राम विकास अधिकारी का विवरण मांगा तो उन्होंने संविदाकर्मी आनंद को इसकी जिम्मेदारी देते हुए किसी मीटिंग में चले गए। लेकिन जब हमारे संवाददाता ने आनंद कुमार से इस रिपोर्ट के बारे में बात किया उन्होंने सीधे-सीधे विवरण देने से मना करते हुए कहा कि इससे आप से क्या मतलब है।
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जबकि हमारे संवाददाता ने यह बात एडीओ पंचायत कमलेश सिंह को बता चुके थे कि हमें खबर के लिए यह डिटेल चाहिए तो उन्होंने कोई सवाल ना करते हुए सीधे-सीधे आनंद को आदेश करते हुए कहा कि वह लिस्ट हमें दे दी जाए। लेकिन आनंद की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह लिस्ट देने से कतराते नजर आए। इससे तो यह साफ जाहिर होता है कि इनकी मनसा कुछ ठीक नहीं है या यूं कह ले कि यह भी जो इतने दिनों से सचिव यहां पर कुंडली मार के बैठे हुए हैं उनको बचाने की कोशिश कर रहे है।
अब देखना यह है कि क्या इसमें एडीओ पंचायत कमलेश सिंह संज्ञान लेते हुए यह डिटेल देते हैं या फिर हमें उनके उच्चा अधिकारियों से ही यह डिटेल लेनी पड़ेगी। ख़बर लिखे जाने तक एडीओ मीटिंग में व्यस्त थे लेकिन जिसको यह जिम्मेदारी दे कर गए थे। वह खुद अपने आप को अधिकारी समझ रहे है।
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