वाराणसी: राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के उद्देश्य से शुक्रवार से सघन कुष्ठ रोगी खोज एवं नियमित निगरानी अभियान की शुरुआत की गई। नगरीय क्षेत्र के नान्हुपुर मवैया में एनएमएस नंदलाल गुप्ता के पर्यवेक्षण में आशा कार्यकर्ता विभा दीक्षित व वैभव दीक्षित ने घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर संभावित कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित करेंगे। उनकी पहचान कर तत्काल प्रभाव से उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही कुष्ठ रोग के बारे में समुदाय को जागरूक भी करेंगे। सीएमओ ने कहा - कुष्ठ रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है। कुष्ठ रोगियों से भेदभाव न करें। यह आम रोगों की तरह ही है, जो मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से ठीक हो जाता है। लेकिन समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी बड़ा रूप भी ले सकती है। इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों को खोजने का काम करेंगी। क्षेत्रवासी स्वास्थ्य विभाग की टीम का सहयोग करें।
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जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (डीएलओ) डॉ राहुल सिंह ने बताया कि सघन कुष्ठ रोगी खोज व नियमित निगरानी अभियान उन ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में संचालित किया जाएगा, जहां पिछले तीन सालों में कुष्ठ के रोगी पाए गए हैं। जनपद में ऐसे ही 152 क्षेत्र हैं जहां पिछले तीन सालों में कुष्ठ के रोगी खोजे गए। इसमें विभिन्न ब्लाक के 142 गाँव और नगर के 10 वार्ड शामिल हैं। अभियान के लिए 152 टीम तैयार की गई हैं। एक टीम में एक आशा कार्यकर्ता और पुरुष कार्यकर्ता शामिल है। टीम घर-घर जाकर सर्वे करेंगी व कुष्ठ रोग के लक्षण वाले लोगों की सूची तैयार करेंगी।
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डॉ राहुल ने बताया कि कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह बैसिलस माइक्रो बैक्टीरियम लेप्राई के जरिए फैलता है। हवा में यह बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। यह एक संक्रामक रोग है। यह उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (एनटीडी) की श्रेणी में आता है। यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। यह रोग किसी कुष्ठ रोगी के साथ बात करने या उसके बगल में बैठने, या छूने से नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग मुख्य रूप से चमड़ी एवं तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और कुछ वर्षों में लोगों को पूरी तरह से कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। यदि शुरुआत में ही रोग का पता चल जाए और उसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए तो रोगी को दिव्यांगता से बचाया जा सकता है। वर्तमान में वाराणसी की बैसिलस माइक्रो बैक्टीरियम लेप्राई की दर एक प्रतिशत से भी कम है। वाराणसी कुष्ठ रोग उन्मूलन की दिशा में निरंतर कार्यरत है।
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उन्होंने बताया कि घर-घर जाने वाली टीम के द्वारा इन लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगी की पहचान की जाएगी जो इस प्रकार हैं-
- त्वचा के रंग मे कोई भी परिवर्तन (त्वचा पर लाल रंग या फीके रंग का धब्बा) साथ ही उसमें पूर्ण रूप से सुन्नपन अथवा सुन्नपन का अहसास होता है।
- चमकीली व तैलीय त्वचा।
- कर्ण पल्लव का मोटा होना कर्ण पल्लव पर गांठ/त्वचा पर गांठ
- नेत्रों को बंद करने में दिक्कत या उससे पानी आना |
- भौहों का खत्म होना।
- हाथों में घाव या दर्द रहित घाव अथवा हथेली पर छाले
- कमीज या जैकेट के बटन बंद करने में असमर्थता।
- हाथ या पैर की उंगलियां मुड़ तो नहीं गई है।
- फुट ड्रॉप अथवा चलते समय पैर घिसटते तो नहीं हैं।
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