प्रयागराज: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा कि लायबिलिटी तय करने के बाद ही अंतरिम गुजारा भत्ता निश्चित किया जाए। कोर्ट ने बिना देन दारी तय किये पत्नी को छह हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दिलाने सम्बन्धी परिवार अदालत का आदेश हाइकोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका स्वीकार कर अंतरिम भत्ता दिए जाने के आदेश को रद्द कर दिया था और दोनो पक्षों को सुनकर नए सिरे से गुजारा भत्ता तय करने का निर्देश दिया था। लेकिन आदेश के बावजूद परिवार न्यायालय ने गुजारा भत्ता को आठ हजार रुपये अंतिम रूप से तय कर याची के विरुद्ध रिकवरी वारेंट जारी कर दिया।
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याची ने पुनः हाइकोर्ट में 482 की धारा के तहत याचिका लगाई तो हाइकोर्ट ने रिकवरी वारेंट को वापस लिए जाने हेतु याची को रिकॉल आप्लिकेशन देने की छूट देते हुए याची के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने पर रोक लगा दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति विकाश बुधवार ने देवरिया जिले के राघवेंद्र पटेल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कहा कि याची की पत्नी दोनों बच्चो को छोड़कर कुछ लोगों के बहकावे में आकर मायके में रहते हुए भरण पोषण की मांग की है।
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वह खुद सिलाई कढ़ाई का काम कर पैसे कमा रही है। याची का एक बेटा गम्भीर बीमारी से ग्रषित है।उसका याची इलाज भी करा रहा है और बेटी को पढा भी रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 'रजनीश बनाम नेहा व अन्य' के केस में कहा है कि दोनो पक्ष अपनी वास्तविक सम्पत्ति व देनदारी का विवरण शपथपत्र के साथ भरण पोषण के मुकदमे में दे।दोनो की आय के आधार पर गुजारा भत्ता तय किया जाए। जिसपर हाईकोर्ट ने रिकवरी की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए याची को सभी आदेश को रिकॉल करने के लिए प्रार्थना पत्र देने की छूट दी है और जब तक प्रार्थना पत्र तय नही हो जाता है तब तक याची के विरुद्ध किसी भी तरह की कार्यवाही करने पर रोक लगा दिया है।
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