वाराणसी: मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में पोस्टमार्टम विशेषज्ञ संयुक्त निदेशक लखनऊ के द्वारा दो दिवसों में 92 चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि पोस्टमार्टम एक प्रकार का शल्य क्रिया है जिसे शवपरीक्षा (एटॉप्सी अथवा पोस्टमार्टम एग्जामिनेशन) के नाम से जाना जाता है। यह प्रक्रिया इसलिए की जाती है कि इससे व्यक्ति के मौत के कारणों का पता आसानी से लगाया जा सके। व्यक्ति की संदिग्ध परिस्थितियों में पोस्टमार्टम कराया जाना अनिवार्य किया गया है जिससे कि कानूनी और न्यायिक प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा न आये। पोस्टमार्टम रिपोर्ट स्वच्छ एवं पठनीय अक्षरों में लिखा जाए।
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अपर निदेशक राज्य चिकित्सा विधि विशेषज्ञ लखनऊ के डॉ जी ए खान ने चिकित्सा अधिकारियों को पोस्टमार्टम के बरीकियों से अवगत कराते हुए बताया गया कि पोस्टमार्टम में शरीर को छाती के पास से काटा जाता है और शरीर के अंगों का हिस्सा लिया जाता है जिसे विसरा कहते हैं। शव के विसरल पार्ट यानि किडनी, लीवर, दिल, पेट के अंगों का सैंपल लेकर बाद में विस्तृत जांच कराई जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई अपरिहार्य स्थिति ना हो तो रात्रि में पोस्टमार्टम किए जाने से बचना चाहिए। पोस्टमार्टम दिन में ही किया जाना चाहिए। रात में ट्यूबलाइट या एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल के बजाए बैंगनी दिखाई देता है और फॉरेंसिक साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। पोस्टमार्टम के दौरान लिखे जाने वाले समस्त बिंदुओं को इंगित करते हुए चिकित्सा चिकित्सा अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया गया।
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संयुक्त निदेशक डॉ ए पी तिवारी ने बताया कि पोस्टमार्टम हमेशा मृतक के परिजनों की इजाजत के बाद ही किया जाता है । व्यक्ति की मृत्यु के 6 से 10 घंटे के अंदर पोस्टमार्टम हो जाना चाहिए क्योंकि मृत्यु के बाद इंसानी शरीर में कई तरह के प्राकृतिक बदलाव होते हैं। पोस्टमार्टम में ज्यादा देरी होने पर इसके नतीजे पर असर पड़ता है। इतना ही नहीं, पोस्टमार्टम में यदि ज्यादा देरी हो गई तो मौत की असली वजह का सटीक कारण मालूम करना काफी मुश्किल हो जाता है।
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इस प्रशिक्षण में जनपद के पोस्टमार्टम कार्य में लगाये समस्त चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश प्रसाद, डॉ एस एस कनौजिया, डॉ एच सी मौर्य, डॉ अतुल सिंह, डॉ शिव शक्ति द्विवेदी, डॉ आर एन सिंह सहित अन्य चिकित्सा अधिकारी उपस्थित रहे।
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