वाराणसी, 10 अगस्त 2023।
जिले में गुरुवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सुन्दरपुर स्थित कम्पोजिट विद्यालय में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संदीप चौधरी की मौजूदगी में बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर की गयी। इसके साथ ही जिले के 3488 विद्यालयों व 3983 आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलायी गयी।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर 18 लाख बच्चों को दी गई कृमि नाशक दवा
सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि पेट में कीड़े होने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। उनमें खून की कमी हो जाती है, जिसके कारण बच्चे कमजोर होने लगते हैं। सेहतमंद भविष्य के लिए कृमि से छुटकारा जरूरी है। यह तभी संभव है जब बच्चों, किशोर-किशोरियों को समय से कृमि मुक्ति की दवा खिलायी जाय। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को इस परेशानी से बचाने के लिए कीड़े निकालने की दवा उन्हें जरूर खिलाएं। सीएमओ ने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस हर वर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है। इस अवसर पर एक से 19 साल के बच्चों-किशोर-किशोरियों को कृमि मुक्ति की दवा खिलायी जाती है ताकि उनका भविष्य सेहतमंद हो सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जिले में 18 लाख बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाने का लक्ष्य है।
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अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजय राय ने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर एक से 19 साल के बच्चों-किशोर-किशोरियों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाने के लिए सभी सरकारी, सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों से दवा खिलाने में सहयोग लिया गया है। उन्होंने कहा कि अभियान में उन बच्चों को भी दवा खिलायी गयी जो स्कूल नहीं जाते हैं। साथ ही ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के बच्चों को भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई गयी। उन्होंने कहा कि जो बच्चे आज दवा खाने से छूट गये हैं, उन बच्चों के लिए 17 अगस्त को मॉप अप राउंड आयोजित होगा। इसमें छूटे हुए सभी बच्चों को भी दवा से आच्छादित कर लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने का प्रयास किया जायेगा।
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कृमि संक्रमण के लक्षण-
- दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना कृमि संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं ।
- बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे।
- हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।
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