वाराणसी: जनपद में सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 5.0 अभियान का पहला चरण 7 अगस्त से 14 अगस्त तक सफलतापूर्वक संचालित किया गया। राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण से छूटे जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को पूर्ण प्रतिरक्षित करने के लिए यह अभियान चलाया गया। जिसमें लक्ष्य के सापेक्ष 94 प्रतिशत बच्चों व 97 प्रतिशत गर्भवती को प्रतिरक्षित किया गया। अभियान का दूसरा चरण 11 सितंबर से 16 सितंबर तक चलाया जाएगा।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि आईएमआई 5.0 के पहले चरण में लक्षित लाभार्थियों के सापेक्ष लगभग सभी बच्चों व गर्भवती को प्रतिरक्षित कर लिया गया है। शेष बच्चों व गर्भवती को नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान कवर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनमानस की सुविधा के लिए नगरीय क्षेत्र के सभी सरकारी चिकित्सालयों व सीएचसी में सातों दिन व 24 नगरीय पीएचसी पर सोमवार को छोड़कर बाकी सभी दिनों में टीकाकरण किया जा रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में बुधवार व शनिवार को टीकाकरण सत्रों पर यह सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने अपील की है कि सभी परिजन जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को समय से टीका लगवाएँ, जिससे वह गंभीर बीमारियों से बचे रहें।
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अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (प्रतिरक्षण) डॉ एके मौर्य ने बताया कि पहले चरण के लिए जनपद में छूटे हुये 19,549 बच्चों व 4236 गर्भवती का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से 18,296 (94%) बच्चों व 4102 (97%) गर्भवती को टीका लगाया गया। इसी के अंतर्गत नौ से 12 माह के 4430 (110%) बच्चों को मीजिल्स-रूबेला की पहली डोज़ तथा 16 से 24 माह के 3976 (104%) बच्चों को मीजिल्स-रूबेला की दूसरी डोज़ लगाई गई। इसके अतिरिक्त अभियान के तहत टीकाकरण के प्रति उदासीन और झिझक वाले परिवारों को जागरूक कर उनके बच्चों को उस माह का छूटा हुआ टीका भी लगाया गया है। इसमें लक्ष्य 587 परिवारों के सापेक्ष लगभग 55 प्रतिशत परिवारों को व्यवहार परिवर्तन कर उनके बच्चों को टीका लगाया गया। इस कार्य में ब्लॉक रिस्पोंस टीम, पर्यवेक्षक, यूनिसेफ की मोबिलाइज़ेशन टीम, पार्षद, स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति, कोटेदार, मदरसा शिक्षक आदि ने महत्वपूर्ण सहयोग किया।
गर्भवती को टीडी का टीका - गर्भावस्था के दौरान टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) के दो टीके लगाये जाते हैं। यह टीका गर्भवती को दिये जाने से उनका व उनके गर्भस्थ शिशु का टिटनेस व डिप्थीरिया (गलघोंटू) रोग से बचाव करता है। बच्चों को लगते हैं 11 तरह के टीके - मिशन इंद्रधनुष अभियान में बच्चों के लिए 11 वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिज़ीज़ के टीकाकरण शामिल हैं जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, मैनिंजाइटिस, निमोनिया हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, रोटावायरस वैक्सीन, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीएसवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) हैं।
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पाँच साल - सात बार, टीका न छूटे एक भी बार -
- जन्म पर हेपेटाइटिस बी, पोलियो ज़ीरो डोज़, एवं बीसीजी।
- छह, 10 व 16 सप्ताह पर क्रमशः ओपीवी की पहली, दूसरी व तीसरी, आरपीवी की पहली, दूसरी व तीसरी डोज़, पेंटा की पहली, दूसरी व तीसरी डोज़।
- छह और 14वें सप्ताह पर आईपीवी फ्रैक्शनल की पहली व दूसरी डोज़ एवं नौ माह पूर्ण होने पर तीसरी डोज़।
- छह सप्ताह पर पीसीवी की पहली डोज़, 14वें सप्ताह पर दूसरी डोज़ और नौ माह पूर्ण होने पर तीसरी डोज़।
- नौ से 12 माह पर मीजिल्स-रूबेला (एमआर) की पहली डोज़ व विटामिन ए की पहली खुराक तथा 16 से 24 माह पर एमआर की दूसरी डोज़ और विटामिन ए की दूसरी खुराक 16 से 24 माह पर।
- 16 से 24 माह पर डीपीटी का पहला बूस्टर और 5 से 6 साल पर दूसरा बूस्टर।
- 16 से 24 माह पर ओपीवी बूस्टर डोज़।
- 10 साल पर टीडी का पहला टीका और 16 साल पर दूसरा टीका।
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