वाराणसी: फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ागांव के अंतर्गत खरावन (साधीगंज) पंचायत भवन पर गुरुवार को फाइलेरिया (हाथी पांव) ग्रस्त 25 रोगियों को रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) किट और आवश्यक दवा प्रदान की गई। साथ ही रोगियों को प्रभावित अंगों की नियमित सफाई के तरीके बताए गए।
इस मौके पर फाइलेरिया नियंत्रण इकाई रामनगर के प्रभारी व बायोलॉजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह ने सभी रोगियों को एमएमडीपी किट प्रदान की। साथ ही उन्होंने फाइलेरिया नेटवर्क के सभी रोगियों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया ग्रस्त अंगों मुख्यतः पैर की साफ-सफाई रखने से इंफेक्शन का डर नहीं रहता है और सूजन में भी कमी रहती है। इसके प्रति लापरवाही बरतने पर अंग खराब होने लगते हैं। इससे समस्या बढ़ जाती है। इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकने के लिए दवा भी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की साफ-सफाई बेहद आवश्यक है। इसलिए एमएमडीपी किट प्रदान की जा रही है। इस किट में एक-एक टब, मग, बाल्टी तौलिया, साबुन, एंटी फंगल क्रीम आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा समुदाय में फाइलेरिया रोगी सहायता समूह (पीएसजी) नेटवर्क के सदस्य लोगों को फाइलेरिया से बचाव के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही बीमारी से जुड़े मिथक को भी दूर कर रहे हैं।
डॉ अमित ने सभी आशा कार्यकर्ताओं और संगिनी को फाइलेरिया के कारण, लक्षण, पहचान, जांच, उपचार व बचाव आदि के बारे में विस्तार से बताया। फाइलेरिया की सभी ग्रेडिंग (हाथ-पैरों में सूजन व घाव की स्थिति) के बारे में जानकारी दी। एमएमडीपी किट को हाथीपांव ग्रसित रोगियों के उपयोग के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में सीफार संस्था का भी सहयोग रहा।
फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य व बाबा विश्वनाथ सहायता समूह की जाडावती देवी (65) ने बताया कि उन्हें करीब 30 साल से हाथीपाँव बीमारी है, पहले बहुत झाड़ फूंक करवाया,कुछ जड़ी बूटी का भी सेवन किया पर कोई फायदा नही हुआ। इस बीच फाइलेरिया रोगी सहायता समूह से जुड़ने का मौका मिला तो फाइलेरिया रोग के बारे में पता चला कि यह लाइलाज बीमारी है। सिर्फ प्रभावित अंगों की देखभाल कर इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। जानकारी के आधार पर स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया। जहां हाथी पाँव के देखभाल के लिये सम्पूर्ण जानकारी मिली और साथ ही एमएमडीपी किट भी दी गई। जिसके उपयोग से वह अपने सूजे हुये पैरों की नियमित देखभाल कर रही हैं। इससे आराम मिल रहा है। समूह की ही शकुंतला देवी (60) ने बताया कि वह 22 साल से फाइलेरिया हाथीपांव से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें पहले बच्चे के समय पैर में सूजन हुआ था यही भ्रांति मुझे शुरू से थी लेकिन समूह से जुड़ने के बाद पता चला की फाइलेरिया मच्छर काटने से ही होता है। अब किट के जरिये हम अपने सूजे हुये पैरों की साफ-सफाई और देखभाल करते हैं साथ में योगा व सामान्य व्यायाम भी कर रहे हैं जिससे आराम मिल रहा है। इसके अलावा समुदाय में फाइलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं।
इस मौके पर बीएचयू की टीम से सुनील कुमार ने कुछ फाइलेरिया मरीजों का ब्लड सैंपल लिया। कार्यक्रम में वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक विनोद कुमार, सीफार के प्रतिनिधि आशा कार्यकर्ता व संगिनी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।
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