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Sunday, June 11, 2023

जागरुकता ही एड्स व टीबी से बचाव का बेहतर उपाय

वाराणसी: एचआईवी/एड्स व टीबी के प्रति समाज में जागरुकता लाने से ही इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। सतर्कता ही इन बीमारियों से बचाव का बेहतर उपाय है। इसके लिए समाज के हर वर्ग को मिलजुल कर प्रयास करना होगा ताकि इसके खतरे से लोगों को सर्तक किया जा सके।
एचआईवी/एड्स व टीबी पर सारनाथ स्थित एक होटल में आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने उक्त विचार व्यक्त किया। नेशनल एड्स कंट्रोल अर्गनाइजेशन व यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के तत्वाधान में एलांयस इण्डिया व यूपीएनपी प्लस के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. पीयूष राय ने लोगों को टीबी, एचआईवी/एड्स के खतरे से अवगत कराते हुए इसके संक्रमण से बचाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन दोनों बीमारियों के कारणों के बारे में समाज को जागरूक करने से ही इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। डा. पीयूष राय ने कहा कि इन बीमारियों के होने पर घबराने की बजाय उपचार कराने की जरूरत होती है। उपचार की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जो लोग भी एचआईवी संक्रमित हो उन्हें टीबी की जांच भी जरूर करानी चाहिए। इसी तरह टीबी संक्रमित लोगों को भी एचआईवी संक्रमण की जांच आवश्यक रूप से कराना चाहिए ताकि समय रहते उनका उपचार किया जा सके। 



उन्होंने बताया टीबी से संक्रमित व्यक्ति को प्रत्येक माह पोषक आहार के लिए पांच सौ रुपये उसके खाते में सीधे भेजे जाते है। साथ ही उसके उपचार की भी व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है। इण्डिया एचआईवी एड्स एलायंस (एलायंस इण्डिया) की मोना बालानी ने कहा कि एड्स की बीमारी छुआ-छूत से नहीं, असुरक्षित यौन सम्बन्धों समेत अन्य कारणों से होती है, लिहाजा हमें इस गंभीर रोग के प्रति खुद सतर्क रहने के साथ ही इस बारे में समाज को भी जागरूक करना होगा। 

उन्होंने बताया कि एचआईवी एक वायरस है। जब यह शरीर में पाया जाता है तो उस अवस्था को एचआईवी पॉजीटिव कहते हैं। एचआईवी संक्रमण के कारण व्यक्ति में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती चली जाती है। नतीजा होता है कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति एक साथ कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसी अवस्था को ही एड्स कहा जाता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी पाजीटिव होने के बाद अगर समय से उपचार शुरू हो जाए तो पीड़ित सामान्य जीवन जी सकता है। उपचार न होने से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और उसे तमाम तरह के रोग हो जाते है। ऐसे व्यक्ति को टीबी होने का खतरा सर्वाधिक होता है इसलिए एचआईवी संक्रमित को टीबी की भी जांच कराकर इसका समय से उपचार कराना चाहिए। 

कार्यक्रम में एआरटी सेंटर बीएचयू की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुराधा ने एचआईवी संक्रमण के कारणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एचआईवी का संक्रमण असुरक्षित यौन सम्बन्धों के अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़वाने, संक्रमित सुई के प्रयोग से भी होता है। इसके अलावा एचआईवी संक्रमित माता-पिता से होने वाले बच्चे को भी एचआईवी संक्रमण का खतरा रहता है। लिहाजा हमें इन सबके प्रति बेहद ही सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित को रोग छिपाने की बजाय उसका फौरन उपचार शुरू कराना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि कई लोग बीच में दवा छोड़ देने है। ऐसे लोगों के लिए ही एचआईवी का संक्रमण जानलेवा साबित हो जाता है। उन्होंने बताया कि एआरटी सेंटर में एचआईवी संक्रमितों को दवा देने के साथ ही उनकी बेहतर जीवन जीने की सलाह भी दी जाती है। कार्यशाला में वाराणसी, चंदौली व गाजीपुर के काफी संख्या में लोगों के अलावा ट्रांस जेंडर, सेक्स वर्कर समुदाय के लोगों ने भी भाग लिया और टीबी व एचआईवी/एड्स के बारे में जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला में तकनीकी अधिकारी राजीव श्रीवास्तव के अलावा यूपीएसएसीएस की प्रभुजीत कौर, यूपी एनपी प्लस के अभिषेक सिंह, दिनेश यादव शामिल रहें।

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