वाराणसी: महान लेखक, विचारक, चिंतक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुयाई देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का पूरा जीवन संपूर्ण रुप से देश और देश की जनता के लिए समर्पित था, वे महज एक राजनेता और देश प्रधान मंत्री ही नहीं बल्कि एक ऐसे युगपुरुष थे जिनका प्रभाव देश पर ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में था।
यह विचार आज पंडित जवाहरलाल नेहरु के 59 वीं पुण्य तिथि पर इंग्लिशिया लाइन स्थित कार्यालय पर पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि गोष्ठी में व्यक्त किया गया, विचार गोष्ठी में अपना वक्तव्य रखते हुए प्रमुख वक्ता पूर्व एम0एल0सी0 वरिष्ठ राजनेता पंडित राजेश पति त्रिपाठी ने कहा कि आज देश जिस मुकाम तक पंहुच सका है वहां तक लाने की आधारभूत संरचना के भागीरथी के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरु का अवदान सदियों सदियों तक इस देश के लोग नहीं भुला पाएंगे, यह बात और है कि कुछ बौने कद के लोग अपने कुछ दिनों के कार्यकाल को बढ़ा चढ़ा कर कुछ इस तरह प्रचारित करने का प्रयास करते हैं जैसे वे पंडित जवाहरलाल नेहरू के महान कद की बराबरी कर लिये हैं परन्तु ये लोग बराबरी तो क्या नेहरू की परछाई को छूने के लायक भी अब तक नहीं बन सके हैं.
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरु द्वारा देश के नव निर्माण की जो आधारभूत संरचना की गई है उसके गहरे निशान देश के चप्पे-चप्पे पर पड़े हुए हैं, ना तो उनके नजदीक कोई पहुंच सकता है और ना ही उसे कोई मिटा सकता है, पंडित जवाहरलाल नेहरू मात्र एक राजनेता ही नहीं महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, उच्च कोटि के विचारक, चिंतक लेखक और युग दृष्टा थे कोई लाख प्रयास भले कर ले कृतज्ञ राष्ट्र की आने वाली कई पीढ़ियां पंडित नेहरु के योगदान को कभी भुला नहीं पाएंगी। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ नेता विजय शंकर पांडे ने कहा कि यदि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंचवर्षीय योजना के माध्यम से देश के लिए आधारभूत ढांचा तैयार नहीं किया होता तो आज का भारत इस मुकाम तक कतई नहीं पहुंच पाता.
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दसियों साल तक जेल में बिताने की बात जब उन्होंने आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था तो यह देश एक कंगाल, बदहाल, लुटा पिटा और बिखरा हुआ देश था पर उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल और तत्कालीन नेताओं के सहयोग से इस देश को एक सूत्र में बांधकर विकास के महान शिल्पी के रूप में देश का जिस तरह नव निर्माण किया वह अद्भुत और अकल्पनीय था।
विचार गोष्ठी का संचालन फाउंडेशन के सचिव बैजनाथ सिंह ने किया, ईसके अलावा विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से सर्व राधेश्यामसिंह, बैजनाथ सिंह, भूपेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट, राधेलाल एडवोकेट, प्रभूनाथ पान्डेय एडवोकेट, हरेन्द्र शुक्ला, आनन्द मिश्रा, आनन्द सिंह, सुभाष राम, डॉक्टर उमापति उपाध्याय, डाक्टर प्रेम शंकर पांडे, ब्रह्म देव मिश्रा,मनोज चौबे, पुनीत मिश्रा, महेंद्र चौहान, महेन्द्र प्रताप सिंह, पंकज मिश्रा, संजय तिवारी, कमलाकांत पांडे, युवराज पाण्डेय, ज्वाला मिश्रा, वैभव त्रीपाठी, अशोक कुमार पांडे, गौरीशंकर मौर्य, रवी दूबे, निशांत ओझा, पंकज मिश्रा, मोहम्मद अरशद, पिंटू शेख आदि लोग प्रमुख रूप से सम्मिलित रहे।
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