वाराणसी: वेक्टर जनित रोगों की प्रभावी रोकथाम को लेकर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के इंडियन मेडिकल इंस्टिट्यूट में गुरूवार को राजीव माझी, संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में राष्ट्रीय स्तरीय, राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय अधिकारियों सहित विभिन्न सहयोगी संस्थाओं ने भाग लिया जिसमें मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, कालाजार, जेई-एईएस सहित कुष्ठ रोग की रोकथाम को लेकर राज्य की प्रगति की समीक्षा के गई और आगे की रणनीति मज़बूत कर कार्यक्रम को बेहतर बनाने पर मंथन किया गया।
इस दौरान अगस्त में शुरू होने वाले सार्वजानिक दवा सेवन कार्यक्रम के पहले की तैयारियों पर विशेष चर्चा की गई और इसके लिए अलग-अलग संस्थाओं को कार्यक्रम को शत प्रतिशत सफल बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई। वाराणसी में वेक्टर जनित रोगों को लेकर किये जा रहे प्रयासों को तेज़ करने के निर्देश भी दिए गए।
डॉ.माझी ने उत्तर प्रदेश में वेक्टर जनित रोगों की रोथाम के लिए किये जा रहे प्रयासों को सराहा और बेस्ट प्रैक्टिसेज को बिहार और झारखण्ड जैसे राज्यों में लागू करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने अगस्त में होने वाले सार्वजानिक दवा सेवन को लेकर सरकार की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा इस बार सरकार एडवोकेसी को मज़बूत करने के साथ अभियान में पंचायती राज की भागीदारी सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता के क्षमता वर्धन पर विशेष जोर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही सरकार की एक टीम उत्तर प्रदेश के सभी कालाज़ार प्रभावित जिलों में भ्रमण कर आईआरएस की प्रभावकारिता को परखेगी। संयुक्त सचिव ने बच्चों में कुष्ठ रोग के प्रति चिंता जताई और एमबी केस लोड को कम करने के लिए विशेष प्रयास करने को कहा।
डॉ. तनु जैन, निदेशक, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र ने सभी विभागों को एक साथ मिलकर काम करने के निर्देश दिए और विशेष रूप से फाइलेरिया के लिए शीघ्र पहचान और इलाज की रणनीति विकसित करने को कहा। उन्होंने कहा इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों को कार्यक्रम से जोड़ने की बात कही। बताया कि मच्छरों के प्रसार को रोकने के लिए फाइलेरिया कार्यक्रम को स्वच्छ भारत अभियान के साथ जोड़कर व्यापक स्तर पर स्वच्छता गतिविधियाँ कराई जाएंगी। सार्वजानिक दवा सेवन अभियान के लिए आशा कार्यकर्ताओं को वालंटियर सहयोग देने के साथ-साथ उन्हें दवा सेवन से मना करने वाले लोगों को समझाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। शत प्रतिशत दवा सेवन सुनिश्चित करने के लिए ग्राम प्रधानों और शिक्षकों का भी सहयोग लिया जाएगा। खासकर शहरी क्षेत्रों में वेक्टर जनित रोगों को रोकने के लिए मलेरिया यूनिट को सभी तरह के वेक्टर रोगों के इलाज के लिए सक्षम बनाया जाएगा। डॉ. तनु ने उपलब्ध दवाओं की प्रभावकारिता को लेकर रिसर्च प्राथमिकताएं निर्धारित करने की ज़रूरत पर भी जोर दिया।
डॉ. वीपी सिंह, सहायक निदेशक, मलेरिया एवं वीबीडी ने बताया - दस्तक अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों को जागरूक करने के सार्थक प्रणाम आए हैं। वर्ष 2018 से 2022 तक मलेरिया केसों में कमी आई है। हांलाकि डेंगू के केस पिछले साल की अपेक्षा बढ़े हैं। हाल ही में राज्य के 12 फाइलेरिया प्रभावित जिलों में किये गए ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे में वाराणसी और प्रयागराज में मिक्रोफिलारिया की दर मानकों से कम पाया गया है। वर्ष 2022 में वाराणसी में लिम्फैटिक फाइलेरिया के 997 केस थे। हाइड्रोसील के 206 केस थे जिनमें से 200 की सर्जरी हो चुकी है। कालाजार का एक भी केस नहीं है।
बैठक में राज्य कुष्ठ रोग अधिकारी, वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी समेत विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, पीसीआई, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज, चाई, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के प्रतिनिधि शामिल रहे।
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