वाराणसी: अगर आप भी जिंदगी में अधिक तनाव लेने लगे हैं, तो संभल जाइए। इसको नजर अंदाज मत कीजिए। यह आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। बदलती जीवनशैली और अस्वस्थ खानपान की आदतों के कारण हाइपरटेंशन या हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) जैसी बीमारियों को बुलावा देते हैं। इसे साइलेंट किलर बीमारी के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रति लोगों के बीच जागरुकता लाने के लिए हर साल 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी।
सीएमओ ने बताया कि इस बार दिवस की थीम है अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें। इस दिवस पर जिले के सभी प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित राजकीय चिकित्सालयों में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे। इसमें 30 साल से ऊपर के व्यक्तियों की स्क्रीनिंग सहित आवश्यक परामर्श, उपचार, दवाएं दी जाएगी। सभी स्वास्थ्यकर्मी 30 साल के ऊपर के सभी व्यक्तियों का सी-बैक फॉर्म भरेंगे। इस फॉर्म में व्यक्ति के शारीरिक सामान्य स्वास्थ्य जानकारी होती है।
सीएमओ ने बताया कि उच्च रक्तचाप एक साइलेंट किलर है। उच्च रक्तचाप में अक्सर सिर दर्द या चक्कर आने की समस्या आती है। कई दिनों तक हाई बीपी बने पर यह मस्तिष्क, हृदय, किडनी और आंखों पर भी असर डालता है। बचपन में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने से बच्चों में स्ट्रोक, हार्ट अटैक, किडनी फेल होना, आंखों की रोशनी कम होना और एथेरोस्क्लेरोसिस या धमनी के सख्त होने का खतरा ज्यादा होता है। हाई बीपी में जरूरी नहीं है कि हमेशा लक्षण दिखाई दें, लेकिन तब भी यह शरीर को प्रभावित करता है और आगे चलकर व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा रहता है। कुछ मामलों में हाई ब्लड प्रेशर सिरदर्द, आई साइट पर असर, चक्कर आना, नाक बंद, सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, दिल की धड़कन का तेज होना और मितली का कारण बन सकता है।
क्या है हाइपरटेंशन - राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय पंचकर्म विभाग के डॉ अजय कुमार ने बताया कि हाइपरटेंशन यानी कि हाई ब्लडप्रेशर वह स्थिति होती है, जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसमें तनाव, फास्ट फूड, व्यायाम की कमी, धूम्रपान का सेवन आदि शामिल है। सामान्य रक्त परिसंचरण यानि ब्लड सर्कुलेशन की रेंज 120/80 एमएम ऑफ एचजी होती है।
उन्होंने कहा कि रोजाना करीब एक घंटे शारीरिक व्यायाम, योगा व प्राणायाम करें। खाने में कम व संतुलित मात्रा में नमक का प्रयोग, कम वसा वाले भोजन के इस्तेमाल से मानसिक तनाव से बचा जा सकता है। आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श पर विभिन्न आयुर्वेद औषधियों के सेवन और शिरोधारा जैसे पंचकर्म के प्रयोग से उच्च रक्तचाप को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उच्च रक्तचाप के रोगियों के उपचार और दवाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
ऐसे करें बचाव-
- धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
- हरी-सब्जियों और फलों का सेवन करें।
- छह माह में एक बार बीपी जरूर चेक करवाएं
- कम फैट वाले डेयरी प्रॉडक्ट्स को डायट में शामिल करें।
- रोजना करीब एक घंटे तक व्यायाम करें।
- भोजन में नमक की मात्रा कम रखें।
- शरीर को ऐक्टिव रखें और अपना वजन घटाएं।
- रोजाना मॉर्निंग वॉक या रनिंग की आदत डालें।
- फैमिली के साथ अच्छा समय बिताएं।
क्या कहते हैं आँकड़े - नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के आँकड़ों की माने तो जनपद में वर्ष 2015-16 में 15 वर्ष व उससे ऊपर की 4% महिलाएं सामान्य से थोड़ा ऊपर, 0.5% मध्यम से ऊपर और 0.6% सबसे अधिक हाइपरटेंशन से ग्रसित थीं। जबकि 2019-21 में यह दर बढ़कर क्रमशः 13.3%, 3.9% और 19 प्रतिशत हो गई है। वहीं 15 वर्ष व उससे ऊपर के 5.4% पुरुष सामान्य से थोड़ा ऊपर, 0.7% मध्यम से ऊपर और 0.3% सबसे अधिक हाइपरटेंशन से ग्रसित थे। जबकि 2019-21 में यह दर बढ़कर क्रमशः 20.9%, 5.6% और 27.1 प्रतिशत हो गई है।
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