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Monday, February 13, 2023

अशोका इंस्टीट्यूट में साउथ कोरिया स्थित योनसेल यूनिवर्सिटी के रिसर्च फैकल्टी का हुआ उद्बोधन

वाराणसी: अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट में साउथ कोरिया स्थित योनसेल यूनिवर्सिटी के रिसर्च फैकल्टी डा.आशुतोष मिश्र ने कहा कि कुछ ही सालों में भारत की सड़कों पर भी चालकरहित कारें दौड़ेंगी। फुल ऑटोनॉमस कारों में इंटीग्रेटेड कस्टम सेंसर, कैमरे और रडार होंगे, जबकि इसकी धारणा प्रणाली कार में लगे कई सेंसर और एल्गोरिदम से मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल करेगी। यह सिस्टम सड़क की घुमाव, गड्ढों, मार्गों और गलियों पर नजर रखेगा।


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चालक रहित कारों के विशेषज्ञ डा. मिश्र सोमवार को अशोका इंस्टीट्यूट में इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एआई-पावर्ड ड्राइवरलेस कार इलेक्ट्रिक के अलावा पेट्रोल और डीजल दोनों वेरिएंट के लिए बीएस-8 ईंधन उत्सर्जन अनुपालन वाले इंजन से लैस होगी। वाहन में लगे सेंसर में आपातकालीन डायवर्जन, रोडब्लॉक, जाम ट्रैफिक, कोहरे के मौसम की स्थिति, भारी वर्षा जैसी असंख्य बाधाओं की पहचान करने में सक्षम होंगे। ये वाहन स्कूटरों और टैक्सियों के झुंड की पहचान भी कर सकते हैं जो लेन से अलग हो कर चलते हैं या जो ऑटोरिक्शा सड़क के बीच में अचानक रुक जाते हैं। यहां तक कि यह सड़कों के बीच में हाथ से खींची जाने वाली गाड़ियों को भी पहचान सकता है। सेंसर की मदद से चालक रहित कार किसी सामान्य स्थिति की तुरंत पहचान कर सकती है और लगभग 500 मीटर की दूरी भी तय कर सकती है। ये वाहन 50 फीसदी गूगल मैप्स पर और बाकी कंपनी के सेंसर्स पर निर्भर होंगे। दुनिया भर में कार बनाने वाली तमाम कंपनियां सुरक्षित और विश्वसनीय ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी विकसित कर रही हैं। कुछ सालों की बात है जब हमारी बिना ड्राइवर की कारें सभी को गंतव्य तक ले जा सकेंगी।

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चालक रहित कारों के विशेषज्ञ डा.मिश्र ने स्टूडेंट्स को बताया कि यह कार में सामने से आने वाली कोई भी गाड़ी, आदमी, भीड़, जानवर या फिर गड्डा, कटान सब कुछ दिख जाएगा और किसी तरह का अवरोध होने पर वह अपने आप ब्रेक लेकर रुक जाएगी। इतना ही नहीं अवरोधक के हटने के साथ ही यह मानव रहित कार अपने गंतव्य के लिए रवाना भी हो जाएगी। वह सड़क दुर्घटना के हर कारणों को भांप सकेगी। वह किसी भी मोड़ या घुमावदार रास्ते पर चलने के साथ ही आगे पीछे भी मुड़कर फर्राटा भर सकेगी।

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चालक रहित कारों की तकनीक से स्टूडेंट्स को रुबरु कराते हुए डा.मिश्र ने बताया कि ऑडी, बीएमडब्ल्यू, फोर्ड, गूगल, जनरल मोटर्स, टेस्ला, वोक्सवैगन और वोल्वो समेत तमाम कंपनियां स्वायत्त कारों के विकास में लगी हैं। सेल्फ-ड्राइविंग कारों के डेवलपर्स मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क के साथ-साथ इमेज रिकग्निशन सिस्टम से बड़ी मात्रा में डेटा का उपयोग करते हैं, ताकि ऐसे सिस्टम का निर्माण किया जा सके जो स्वायत्त रूप से ड्राइव कर सकें। उन्होंने कहा कि चालक रहित कारों में एक घूमता लिडार सेंसर वाहन की निगरानी करता है और कार के वर्तमान परिवेश का एक गतिशील त्रि-आयामी ( 3डी ) नक्शा बनाता है। साथ ही आगे और पीछे के बंपर में रडार सिस्टम बाधाओं की दूरी की गणना करता है। लैंडमार्क, ट्रैफ़िक संकेत और रोशनी जैसी चीज़ों की अग्रिम सूचना के लिए कार का सॉफ़्टवेयर गूगल  मानचित्र से परामर्श लेता है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में गंभीर दुर्घटनाएं मानवीय भूल या खराब विकल्पों, जैसे नशे में या विचलित ड्राइविंग के कारण होती हैं। स्वायत्त कारें उन जोखिम कारकों को समीकरण से हटा देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब चालक रहित कारें बनारस की सड़कों पर चलती दिखेंगी। भविष्य में इन वाहनों के लिए अलग से ट्रैक आदि का निर्माण किया जा सकेगा।

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इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की विभागाध्यक्ष डा.सौम्या श्रीवास्तव ने डा.मिश्र का स्वागत किया। बाद में उन्हें स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। एकल संवाद कार्यक्रम में डा.अजय भूषण प्रसाद, संदीप मिश्र, एसएन सिंह, पवन कुमार सिन्हा, अनुजा सिंह, गौरव ओझा, अर्जुन मुखर्जी, अविनाश प्रसाद, दीक्षा पांडेय, आनंद वर्धन पांडेय, प्रदीप कुमार वर्मा आदि शिक्षक उपस्थित थे।

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