वाराणसी: कालाजार उन्मूलन के लिए सरकार बेहद गंभीर है। इसी क्रम में राष्ट्रीय कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में बुधवार से कालाजार संभावित लक्षण वाले मरीजों को खोजने के लिए एक्टिव केस डिटेक्शन (एसीडी) यानि सक्रिय रोगी खोज अभियान शुरू किया गया। यह अभियान सात फरवरी तक चलेगा जिसमें आशा कार्यकर्ता कालाजार प्रभावित क्षेत्रों सहित सीमावर्ती गाँव में घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करेंगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है वह कालाजार प्रभावित इलाकों में घर-घर जाकर सभी सदस्यों की स्क्रीनिंग करें और संभावित व्यक्ति पाये जाने पर ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा प्रभारी को सूचित करें जिससे वहाँ त्वरित कार्रवाई की जा सके और उस इलाके में इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) छिड़काव भी किया जा सके। एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि जनपद में पूर्व से ही संचारी रोग नियंत्रण व दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के जरिये समुदाय को डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया, चिकनगुनिया के साथ कालाजार को लेकर जागरूक किया जा रहा है। अभियान में संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों की किट के माध्यम से जांच की जा रही है, पॉजिटिव पाए जाने पर उनको उपचार पर रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि जल जमाव और दीवारों में नमी होने से कालाजार रोग पाँव पसारने लगते हैं।
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जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि जनपद के दो ब्लॉक के दो गाँव कालाजार से प्रभावित हैं। इसमें काशी विद्यापीठ का हरपालपुर और सेवापुरी का अर्जुनपुर गाँव कालाजार प्रभावित है। इनके आसपास के गाँव जैसे काशी विद्यापीठ के केसरीपुर, खुलासपुर, परमानंदपुर, रहीमपुर, कनईसराय और इस्लामपुर तथा सेवापुरी के बसहुनचक, भीषमपुर, मटुला, तख्खू की बौली और ककरहवाँ में स्क्रीनिंग अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए काशी विद्यापीठ में 14 टीमें और सेवापुरी में 6 टीमें तैयार की गईं हैं। एक आशा एक दिन में 50-50 घर कवर करेंगी। नए रोगी फिर से न मिले इसके लिए नियमित रूप से सक्रिय रोगी खोज अभियान के साथ चलाया जा रहा है। वहीं पूर्व में जिस गांव में कालाजार के मरीज मिले हैं वहां कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए आईआरएस छिड़काव नियमित किया जा रहा है।
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पिछले दो सालों में नहीं मिला कोई नया मरीज - डीएमओ ने बताया कि जिले के काशी विद्यापीठ ब्लॉक में साल 2008 व 2009 में कालाजार के रोगी पाए गए थे, उसके बाद साल 2017 तक कोई रोगी नहीं मिला। लेकिन साल 2018 में एक, साल 2019 में दो और साल 2020 में एक कालाजार मरीज पाया गया। यह रोगी काशी विद्यापीठ के हरपालपुर और सेवापुर के अर्जुनपुर गाँव में ही पाये गए । इसके बाद अब तक कालाजार का एक भी मरीज नहीं पाया गया। लेकिन सतर्कता बरतते हुये इन गांवों के साथ सीमावर्ती गाँव में समय-समय पर सक्रिय रोगी खोज अभियान और दवा का छिड़काव कर बचाव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कालाजार, बालू मक्खी के काटने होता है जिसको शीघ्र निदान, उपचार और कीटनाशक दवा से छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है।
लक्षण -
- बुखार रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आता है
- भूख कम लगती है, शरीर में पीलापन और वजन घटने लगता है
- स्प्लीन यानि तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ने लगता है
- त्वचा-सूखी, पतली और शल्की होती है और बाल झड़ने लगते हैं
- शरीर में खून की कमी बहुत तेजी से होने लगती है
रोकथाम -
- घर को साफ रखना चाहिए। दीवार एवं आसपास के कोनों की नियमित और पूरी सफाई आवश्यक है।
- घर में प्रकाश आना चाहिए।
- रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति की कड़ी (बालू मक्खी) को नष्ट करने के लिए छिड़काव जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक कराएं तथा तीन महीने तक घरों में में किसी प्रकार की सफेदी और पुताई न कराएं।
- कमरे के जमीन से दीवार की कुछ ऊंचाई तक पक्की दीवार की चुनाई कराएं।
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